क्या कांग्रेस और नेहरू भी पिट्ठू थे, शिवाजी ने भी तो लिखे थे माफीनामे… जब सावरकर पर घिरीं कांग्रेस प्रवक्ता

नई दिल्ली

शिवाजी ने भी औरंगजेब को एक नहीं पांच-पांच माफीनामे लिखे थे, कांग्रेस पार्टी ने अपने प्रस्ताव में ब्रिटिश हुकूमत के प्रति निष्ठा जताई, नेहरू जी ने अंतरिम सरकार में शपथ तो ब्रिटेन की महारानी के नाम पर ली थी… ये सब बातें हुईं एक टीवी डिबेट में। कांग्रेस प्रवक्ता रागिनी नायक ने विनायक दामोदर सावरकर को बार-बार अंग्रेजों का पिट्ठू साबित करने पर जोर दिया तब उनसे पूछा गया कि आखिर शिवाजी, कांग्रेस पार्टी और जवाहर लाल नेहरू को क्या माना जाए?

सावरकर पर लेख के बाद गहमागहमी
दरअसल, महात्मा गांधी की स्मृति में स्थापित किए गए राष्ट्रीय स्मारक और संग्रहालय ने अपनी मासिक पत्रिका ‘अंतिम जन’ का विशेष संस्करण प्रकाशित किया है जो वीर सावरकर को समर्पित है। गांधी स्मृति और दर्शन समिति (जीएसडीएस) द्वारा हिंदी में प्रकाशित पत्रिका के ताजा अंक में कवर पेज पर सावरकर की तस्वीर लगाई गई है। जीएसडीएस के उपाध्यक्ष विजय गोयल ने पत्रिका के इस संस्करण की प्रस्तावना- महान देशभक्त वीर सावरकर लिखी है। उन्होंने लिखा है कि स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में सावरकर का स्थान और उनका सम्मान गांधी से कम नहीं है।

टीवी डिबेट में हुआ आमना-सामना
इस पर कांग्रेस नेताओं ने ऐतराज जताया है, वहीं महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने अपमान बताया है। इसी मुद्दे पर चर्चा के दौरान बीजेपी और कांग्रेस नेताओं के बीच जोरदार बहस देखने को मिली। बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि बार-बार माफीनामे का जिक्र किया जाता है तो नेहरू ने 1946 में जो शपथ लिया वो क्या था? इस चर्चा में शिवाजी के औरंगजेब को लिखे माफीनामे का जिक्र भी आया।

कांग्रेस प्रवक्ता से पूछा सवाल- इंदिरा गांधी ने क्यों कही यह बात?
एक निजी चैनल पर चर्चा के दौरान कांग्रेस प्रवक्ता से यह सवाल किया गया कि आखिर क्यों पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सावरकर को महान विभूति कहा और डाक टिकट क्यों जारी किया गया। इस सवाल के जवाब में कांग्रेस प्रवक्ता रागिनी नायक ने कहा कि गांधी नाम लिए बिना सावरकर को संघ अपने पैरों पर नहीं खड़ा कर पा रहा। सावरकर ने माफीनामा लिखा, भूख हड़ताल पर जो साथी थे उनका साथ नहीं दिया और टू नेशन थिअरी की बात की। रागिनी नायक ने कहा कि आरसी मजूमदार की 1980 दशक में एक किताब आई जिसमें सावरकर के पांच माफीनामे का खुलासा हुआ। 1970 में इसका खुलासा हो गया होता तो ऐसा नहीं होता।

त्रिवेदी ने पूछा- क्या कांग्रेस और नेहरू भी अंग्रेजों के पिट्ठू?
इस जवाब पर बीजेपी प्रवक्ता सुंधाशु त्रिवेदी ने कहा कि इंदिरा गांधी को यानी कुछ भी नहीं पता था। सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव है जिसका भी महत्वपूर्ण योगदान है उसको सम्मान मिलेगा। उन्होंने कहा कि वीर सावरकर को दो जन्मों की सजा क्यों हुई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस प्रवक्ता या इनके नेता यह बता दें कि आजादी की लड़ाई में किसी कांग्रेसी नेता को गोली लगी हो या फांसी की सजा हुई हो। उन्होंने कहा कि 1914 में कांग्रेस पार्टी ने प्रस्ताव पास करके ब्रिटिश हुकूमत के प्रति निष्ठा जताई। 1946 में जब अंतरिम सरकार बनी तब नेहरू जी ने ब्रिटिश क्वीन के नाम पर ही शपथ ली थी। वहीं लोहिया ने यह कहे हुए सरकार में शामिल होने से इनकार कर दिया था कि वो किसी भी सूरत में ब्रिटेन की महारानी के नाम की शपथ नहीं ले सकते।

शिवाजी ने लिखे थे पांच माफीनामे, क्या वो कायर थे?
केंद्रीय सूचना आयुक्त उदय माहुरकर ने इस चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि वह सूचना आयुक्त भारत सरकार के तौर पर नहीं बल्कि बतौर लेखक उपस्थित हैं। उन्होंने कहा कि एक पक्ष को दबाने प्रयास हुआ है और इतिहास के साथ जो खिलवाड़ उसको दुरुस्त करने का काम जरूरी है। उन्होंने कहा कि सावरकर अंग्रेजों और मुस्लिम तुष्टीकरण के खिलाफ थे उन्होंने कहा था कि भारत का नुकसान इससे होगा। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि छत्रपति शिवाजी को आदर्श मानते हैं उन्होंने अपने चाणक्य नीति के तहत औरंगजेब को माफी के पांच पत्र लिखे उनमें तीन पर संधि हुई थी। जेल से बाहर निकलने के लिए माफीनामा सावरकर की चाणक्य नीति का हिस्सा थी।

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