बीजिंग
चीन का सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने 16वें दौर की सैन्य वार्ता के बाद भारत पर जमकर प्यार छलकाया है। ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा है कि भारत और चीन को प्रतिद्वंदी बनाने के बजाय भागीदार बनाने के लिए काम करना चाहिए। इतना ही नहीं, इस लेख में यह भी कहा गया है कि अमेरिका और पश्चिमी मीडिया भारत और चीन संबंधों में दरार डालने की कोशिश कर रही हैं। ऐसे में भारत और चीन को अमेरिका के जनमत के उत्पीड़न का विरोध करना चाहिए। दोनों को अपने भाग्य को अपने हाथों में रखना चाहिए और अपने अपने देश के विकास पर फोकस करना चाहिए। ग्लोबल टाइम्स चीन का सरकारी अखबार है, जो कई मौकों पर भारत के खिलाफ जहर उगल चुका है।
चीनी मीडिया का दावा- भारत-चीन में बढ़ रहा विश्वास
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि चीन और भारत के बीच कमांडर स्तर की 16वें दौर की वार्ता रविवार को भारत की ओर मोल्दो-चुशूल सीमा मिलन स्थल पर हुई। दोनों पक्षों ने सोमवार की देर रात बयान जारी कर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने और संपर्क में रहने की अपनी सामान्य इच्छाओं की पुष्टि की। दोनों देश सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से संवाद बनाए रखने पर भी सहमत हुए। यह एक सकारात्मक संकेत है कि चीन-भारत संबंध तेजी से मजबूत हो रहे हैं और दोनों पक्ष सीमा विवाद को हल करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। सीमा मुद्दों को हल करने में दोनों पक्षों के बीच आपसी विश्वास धीरे-धीरे फिर से बढ़ रहा है। इस कारण दोनों देशों के बीच विवादों को प्रभावी ढंग से हल करने के लिए आवश्यक माहौल बन रहा है।
भारत-चीन आपसी मतभेदों से निपटने में सक्षम
चीनी मीडिया ने आगे कहा कि पिछली वार्ता 4 महीने पहले हुई थी। जून 2020 में गलवान घाटी संघर्ष के बाद भारत-चीन सैन्य वार्ता में यह सबसे लंबा अंतराल है। पश्चिमी मीडिया इन बातचीत को पहले ही निर्रथक बताया है। उनका दावा है कि कि दोनों पक्षों के बीच मतभेद स्पष्ट हैं, इसलिए चर्चाओं में समझौते तक पहुंचना लगभग असंभव था। लेकिन, तथ्यों ने साबित कर दिया है कि चीन और भारत अपने बीच की समस्याओं और मतभेदों से निपटने में पूरी तरह सक्षम हैं। सोमवार को जारी संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति अमेरिका और पश्चिमी जनमत से उत्पीड़न की अप्रत्यक्ष प्रतिक्रिया है।
सीमा गतिरोध को लंबे समय तक नहीं जारी रख सकते
ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि चीन-भारत सीमा गतिरोध को शुरू हुए तीन साल बीत चुके हैं। इसे लंबे समय तक जारी नहीं रखा जा सकता है। चीन और भारत दोनों एशियाई शक्तियां हैं जो सीमा पर संघर्ष के समय अपनी सेनाओं को तैनात करने में सक्षम हैं। दोनों देशों की कुल आबादी 2.8 अरब से अधिक है। एक जटिल और अस्थिर दुनिया में, यह स्पष्ट है कि संघर्ष को न्यूनतम स्तर पर रखना और मतभेदों के साथ पर्याप्त धैर्य बनाए रखना दोनों पक्षों के लिए काफी जरूरी है। दोनों पक्षों के लिए सीमा विवाद को हमेशा के लिए निपटाने की तुलना में अधिक यथार्थवादी बनना जरूरी है। इससे दोनों देशों की समझदारी की भी परीक्षा होती है।
भारत-चीन संबंधों में दखल दे रहा अमेरिका
ग्लोबल टाइम्स ने अमेरिका और पश्चिमी देशों पर निशाना साधते हुए कहा कि वे भारत-चीन संबंधों में दखल दे रहे हैं। अपने संपादकीय में ग्लोबल टाइम्स ने आगे लिखा कि सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों को चौकन्ना रहने की जरूरत है। जब भी चीनी और भारतीय अधिकारी बातचीत शुरू करने के लिए तैयार होते हैं, तो अमेरिका और पश्चिमी मीडिया हमेशा बड़े पैमाने पर प्रचार का एक नया दौर शुरू करते हैं। अमेरिकी अधिकारी बार-बार चीन को लेकर उत्तेजना वाले बयान देते हैं। ये सभी नई दिल्ली को लुभाने के लिए वाशिंगटन की चालें हैं और चीन को नियंत्रित करने की भूराजनीतिक आवश्यकता के कारण भारत को लुभाने की कोशिशें हैं।