रेल मंत्रालय ने पिछले दिनों एक सरकुलर जारी किया है। इसमें बताया गया है कि प्रीमियम ट्रेनों में पहले से भोजन बुक नहीं कराने वालों से अब सर्विस चार्ज नहीं लिया जाएगा। हालांकि इस फैसले में भी रेलवे की चालाकी ही झलकती है। पहले रेलवे खाने-पीने के सामानों पर जो अलग से 50 रुपये का सर्विस चार्ज लेता था, अब चाय को छोड़ कर अन्य सामानों के दाम में ही उसे जोड़ दिया गया है। मतलब उन सामानों के दाम 50 रुपये बढ़ गए हैं।
ट्रेन में सर्विस चार्ज का क्या था वाकया
यह वाकया बीते 28 जून का है। उस दिन नई दिल्ली और भोपाल के बीच लने वाली शताब्दी एक्सप्रेस में सफर करने वाले किसी यात्री से चाय के लिए 70 रुपये चार्ज किया गया था। उसके कैशमेमो को सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा था। उस कैश मेमो में चाय की कीमत 20 रुपये दर्शायी गयी थी जबकि सर्विस चार्ज के रूप में 50 रुपये। इस घटना पर रेलवे की खूब आलोचना हुई थी।
तब रेलवे का क्या कहना था
उस बिल पर रेलवे के अधिकारियों का कहना था कि जो बिल सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है, उस में कोई गलती या ओवरचार्जिंग नहीं है। उनका कहना है कि जून 2018 में ही रेलवे बोर्ड के टूरिज्म एंड कैटरिंग डाइरेक्टरेट ने इसके लिए एक पत्र निकाल दिया है। इसमें कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति राजधानी या शताब्दी एक्सप्रेस जैसी ट्रेन में पहले से भोजन बुक नहीं कराता है और वह यात्रा के दौरान मील या टी आदि की डिमांड करता है तो उसे इसकी सप्लाई की जाएगी। लेकिन हर मील पर यात्री को 50 रुपये सर्विस चार्ज के रूप में अतिरिक्त चुकाने होंगे।
अब बदल दिया गया नियम
रेलवे बोर्ड ने अब उस नियम को ही बदल दिया है। रेलवे बोर्ड टूरिज्म एंड कैटरिंग डाइरेक्टरेट से जारी एक सरकुलर के मुताबिक अब राजधानी, शताब्दी, दूरंतो, वंदे भारत, तेजस एक्सप्रेस जैसी प्रीमियम ट्रेनों में सर्विस चार्ज नहीं लिया जाएगा। हालांकि, जिन यात्रियों से सर्विस चार्ज वसूला जाता था, उनके लिए चाय को छोड़ कर अन्य सामानों के दाम बढ़ा दिए गए हैं। अब उन सामानों के दाम में ही सर्विस चार्ज जोड़ दिया गया है। मतलब कि चाय तो अब 20 रुपये में मिल जाएंगे। लेकिन, जो ब्रेकफास्ट पहले 105 रुपये में मिलता था वह अब 155 रुपये में मिलेगा। जो लंच या डिनर पहले 185 रुपये में मिलता था उसकी कीमत 235 रुपये कर दी गई है।
होटल या रेस्टोरेंट में पहले ही मिल गया है सर्विस चार्ज से छुटकारा
होटल या रेस्टारेंट में सर्विस चार्ज अलग से वसूलने पर केंद्र सरकार पहले ही सख्ती दिखा चुकी है। तभी तो बीते 4 जुलाई को उपभोक्ता मामलों के विभाग ने आदेश जारी किया था कि सेवा शुल्क की मांग करना अनुचित है। इसलिए किसी भी होटल या रेस्टोरेंट या किसी अन्य संस्था द्वारा ऐसा कोई सेवा शुल्क नहीं लगाया जाना चाहिए। हालांकि, सरकार के इस फैसले का होटल और रेस्टोरेंट इंडस्ट्री ने विरोध किया है।