नई दिल्ली,
द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया है. NDA उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को बड़े अंतर से हराया है. वह देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति होंगी. तीसरे राउंड के वोटों की गिनती में ही द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया था. फिर चौथे और आखिरी राउंड की गिनती के बाद जीत का अंदर और बढ़ गया.
राष्ट्रपति चुनाव के वोटों की गिनती कुल चार राउंड में हुई. चुनाव में कुल 4754 वोट पड़े थे. गिनती के वक्त 4701 वोट वैध और 53 वोट अमान्य पाये गए. कुल वोटों की वैल्यू 528491 थी.इसमें से द्रौपदी मुर्मू को कुल 2824 वोट मिले. इनकी वैल्यू 676803 थी. वहीं यशवंत सिन्हा को I877 वोट मिले. जिनकी वैल्यू 380177 रही.
यशवंत सिन्हा का तीन राज्यों में नहीं खुला खाता
नतीजों के बाद आए वोटिंग चार्ट के मुताबिक, द्रौपदी मुर्मू को हर राज्य से वोट मिले. लेकिन उनको सबसे ज्यादा वोट उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश से मिले. दूसरी तरफ विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत का तीन राज्यों में खाता भी नहीं खुला. सिन्हा को आंध्र प्रदेश, सिक्कम और नागालैंड में एक भी वोट नहीं मिला.
राउंड दर राउंड यूं जीतती गईं द्रौपदी मुर्मू
द्रौपदी मुर्मू पहले राउंड से ही यशवंत सिन्हा से आगे थीं. पहले राउंड में सांसदों के वोट गिने गये थे. पहले राउंड में द्रौपदी मुर्मू ने 3,78,000 की वैल्यू के साथ 540 वोट हासिल किए थे. वहीं यशवंत सिन्हा ने 1,45,600 की वैल्यू के साथ 208 वोट हासिल किए थे. पहले राउंड में कुल 15 वोट अवैध थे.
फिर दूसरे राउंड में 10 राज्यों के वोटों की गिनती हुई. इसमें कुल वैध मत 1138 थे, जिनकी कुल वैल्यू 1,49,575 थी. इसमें से द्रौपदी मुर्मू को 809 वोट मिले, जिनकी वैल्यू 1,05,299 और यशवंत सिन्हा को 329 वोट मिले, जिनकी वैल्यू 44,276 थी.
तीसरे राउंड के वोटों की गिनती के बाद साफ हो गया कि द्रौपदी मुर्मू देश की अगली राष्ट्रपति होंगी. तीसरे राउंड के वोटों की गिनती की बात करें तो इसमें कुल वोट 1,333 थे. जिनकी वैल्यू 1,65,664 थी. इसमें से मुर्मू को 812 वोट मिले. वहीं यशवंत सिन्हा को 521 वोट मिले.
ओडिशा में हुआ था द्रौपदी मुर्मू का जन्म
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 1958 में ओडिशा के मयूरभंज में हुआ था. 1979 में उन्होंने भुवनेश्वर के रमादेवी कॉलेज से बीए की पढ़ाई की थी. फिर 1997 में वह राजनीति में उतरीं और बीजेपी में शामिल हो गईं. इसी साल वह पार्षद बनीं. फिर 2000 में वह रायरंगपुर से विधायक चुनी गईं. उसी साल उनको ओडिशा की राज्य सरकार में मंत्री बनाया गया. विधायक के तौर पर उन्होंने अच्छा काम किया था. इसलिए 2009 में वह दोबारा विधायक चुनी गईं. इसके बाद 2015-2021 तक वह झारखंड की राज्यपाल रहीं.