UNSC की भारत को स्थायी सदस्यता क्यों नहीं मिल रही? क्या चीन बन रहा अड़ंगा

नई दिल्ली,

भारत पिछले कई सालों से संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद (UNSC) का सदस्य बनना चाहता है. वो खुद को दुनिया की मुख्यधारा के साथ जोड़ना चाहता है. लेकिन हर बार भारत का वो सपना, सपना ही रह जाता है. पांच में चार देश तो समर्थन भी करते हैं, लेकिन एक देश की वजह से वो स्थायी सदस्या रह जाती है. वो देश है चीन जो अभी भी भारत की राह में रोड़ा बनने का काम कर रहा है.

UNSC के पांच स्थायी सदस्य हैं- अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन. इसके अलावा 10 अस्थाई देश भी हैं जो हर दो साल के अंतराल में चुने जाते हैं. अब UNSC की सदस्यता भारत के लिए जरूरी इसलिए हो जाती है क्योंकि इस संगठन का हिस्सा बनते ही कोई भी देश दुनिया के हर अहम फैसले में एक अहम भूमिका निभाता है. इसी वजह से भारत पिछले कई सालों से UNSC का सदस्य बनना चाहता है. लेकिन चीन की वजह से ये मुकाम अभी तक हासिल नहीं हो पाया.

लोकसभा सत्र के दौरान UNSC के सवाल पर विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने एक विस्तृत जवाब दिया है. उन्होंने बताया है कि पांच में से चार देश द्विपक्षीय वार्ताओं में भारत को समर्थन देने की बात कर चुके हैं. मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि हर बार सिर्फ चीन के विरोध की वजह से भारत की UNSC सदस्यता रह जाती है. उन्होंने बताया कि भारत ने लगातार मांग की है कि UNSC में रीफॉर्म की आवश्यकता है, कई दूसरे देशों को शामिल करने की जरूरत है. मुरलीधरन ने ये भी जानकारी दी कि भारत सरकार की तरफ से हर स्तर पर ये मांग प्रमुखता के साथ उठाई जा रही है.

अब यहां ये जानना जरूरी हो जाता है कि वर्तमान में क्योंकि भारत UNSC का सदस्य नहीं है, ऐसे में इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ता है. कई बार भारत की तरफ से पाकिस्तान और उसके आतंकियों के खिलाफ प्रस्ताव लाए गए हैं. चार देश तो समर्थन भी कर देते हैं, लेकिन चीन हमेशा अपनी वीटो ताकत का इस्तेमाल कर उस प्रस्ताव को ही गिरा देता है. ये वीटो पॉवर भी UNSC सदस्यों को दी जाती है, जिस वजह से कोई भी देश किसी अहम फैसले पर रोक लगा सकते हैं. ऐसे में अगर भारत इसका स्थायी सदस्य बन जाता है, ये सारी ताकतें देश को भी मिल जाएंगी.

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