‘जंगलों में नक्सलियों की गोली नहीं बल्कि सैलानियों की ठहाके गूंजे’, झारखंड की नई टूरिज्म पॉलिसी लॉन्च

रांची/दिल्ली

झारखंड की पहचान अब सिर्फ खान और खनिज ही नहीं रह जाएगा बल्कि सैलानियों के लिए भी बहुत कुछ है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सपना है कि राज्य की जंगलों में नक्सलियों की गोली नहीं बल्कि पर्यटकों की ठहाके गूंजे। उन्होंने इस बात का भरोसा भी दिया। दिल्ली के आईटीसी मौर्या होटल में सीएम हेमंत सोरेन ने झारखंड पर्यटन नीति 2021 को लॉन्च किया। उन्होंने कहा कि नई पर्यटन नीति का उद्देश्य झारखंड में टूरिज्म को बढ़ावा देना है। इससे झारखंड के पर्यटन के साथ-साथ राज्य के लोगों का भी विकास होगा। नई नीति में राज्य के प्राकृतिक सौन्दर्य वाले स्थलों के साथ धार्मिक स्थलों का विकास करने की योजना है। राज्य के पर्यटन स्थलों में बैद्यनाथ धाम, पारसनाथ, मधुबन, इटखोरी, नेटरहाट, बेतला, दलमा को विकसित करने पर विशेष जोर है।

जमीन के नीचे ही नहीं, ऊपर भी बहुत कुछ
झारखंड सरकार चाहती है कि टूरिज्म सेक्टर का इस कदर विकास किया जाए कि स्थानीय स्तर पर लोगों की आमदनी बढ़े। अफसरों ने साफ-साफ कहा कि उनका फोकस टैक्स कलेक्शन पर बिल्कुल नहीं है। बल्कि वो जल-जंगल-जमीन के साथ-साथ मानव के विकास के लिए योजनाएं बनाएं हैं। लोगों की आमदनी बढ़ेगी तो बाकी चीजें खुद-ब-खुद बदल जाएंगी। अपने संबोधन में हेमंत सोरेन ने किसी का नाम तो नहीं लिया मगर पूर्ववर्ती सरकारों पर तंज जरूर कसा। उन्होंने कहा कि झारखंड के कोयले से कई राज्य जगमग हो रहे हैं, प्रदेश को उसका वास्तविक हक नहीं मिल रहा। कई चीजों को बचाने के लिए सरकार की ओर से जद्दोजहद करना पड़ रहा है। खासकर उन्होंने नेतरहाट स्कूल का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि न जाने कितने प्रशासनिक अधिकारी नेतरहाट के पढ़े हुए हैं। राज्य से लेकर केंद्र सरकार तक के लिए नीतियां डिजाइन करते हैं, मगर आज वो स्कूल अपना अस्तित्व खोने की कागार पर है, उसे बचाने की कोशिश की जा रही है। फिर भी झारखंड प्राकृतिक सम्पदा से भर-पूरा राज्य है, सिर्फ जमीन के नीचे ही नहीं बल्कि जमीन के ऊपर बहुत-सी चीजें हैं, जिसे लोगों को देखनी चाहिए।

धरती का पहला हिस्सा झारखंड में प्रकट हुआ
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि भू-गर्भीय अनुसंधान में इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि जलमग्न ब्रह्मांड में साढ़े तीन सौ करोड़ वर्ष पहले धरती का सबसे पहला हिस्सा जो प्रकट हुआ था, वो झारखंड का ही हिस्सा है। राज्य के राजमहल में 15 करोड़ वर्ष पुराने फॉसिल्स प्रचुर संख्या में मौजूद हैं, जिन्हें सरकार ने एक पार्क में संग्रहित किया है। इसके अलावा 42 तरह की खनिज संपदाओं से समृद्ध इस धरती के नीचे और ऊपर तमाम विशेषताएं हैं, जो इसे पर्यटन और अध्ययन के लिए दुनिया के आकर्षण का केंद्र बनाती हैं। सरकार पर्यटकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए पर्यटक सुरक्षा बल, 24 घंटे की पर्यटक हेल्पलाइन और केंद्रीय नियंत्रण कक्ष की स्थापना सुनिश्चित कर रही है। कार्यक्रम में राज्य की प्राकृतिक संपदा, परंपरा और संस्कृति की झांकी दिखानेवाली नेशनल ज्योग्राफिक इंडिया की फिल्म पोस्टकार्ड ऑफ झारखंड के प्रोमो का भी प्रदर्शन किया गया।

माइनिंग टूरिज्म को लेकर दिखा गजब का क्रेज
नई नीति का एक अनूठा पहलू खनन पर्यटन को बढ़ावा देना भी है। लॉन्चिंग कार्यक्रम में मौजूद लोगों में भी इसे लेकर उत्सुकता दिखी। अब देखना होगा की सरकार इसे धरातल पर कैसे उतारती है। वैसे इसमें बताया गया है कि झारखंड प्राकृतिक ही नहीं, धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर भी पर्यटकों को आकर्षित कर सकते हैं। सरकार का ध्यान बैद्यनाथ धाम, पारसनाथ, मधुबन और इटखोरी को धार्मिक तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करने पर है। लातेहार, नेतरहाट, बेतला, चांडिल, दलमा, गेतलसूद सर्किट जैसे इको-सर्किट का विकास कर इको-टूरिज्म की अपार संभावनाओं को तलाशा जाएगा। विभिन्न मेलों, त्योहारों, सांस्कृतिक और ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। राज्य की समृद्ध परम्परा और सांस्कृतिक विरासत से पर्यटकों को रूबरू कराया जाएगा। पैराग्लाइडिंग, वाटर स्पोर्ट्स, रॉक क्लाइम्बिंग, मोटर ग्लाइडिंग जैसी साहसिक गतिविधियों की शृंखला भी शामिल है। बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा से सटे होने के कारण झारखंड को भौगोलिक लाभ भी मिलेगा।

पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन भी दिया गया
झारखंड पर्यटन नीति को लॉन्च करने के अवसर पर अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह, सीएम के प्रधान सचिव राजीव वरुण एक्का, सचिव विनय चौबे, विभागीय सचिव अमिताभ कौशल भी मौजूद रहे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्य के पर्यटन मंत्री हफीजुल हसन थे, लेकिन किन्हीं कारणों से वो समारोह में उपस्थित नहीं हो सके। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में प्रतिष्ठित लोग और पर्यटन उद्योग से जुड़ी हस्तियां मौजूद थी। कार्यक्रम में पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के जरिए पूरी पॉलिसी को काफी विस्तार से बताया। कुछ लोगों को शंकाओं का भी समाधान किया गया। राज्य के समृद्ध पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन, कला-संस्कृति, खेल और युवा मामला विभाग, झारखंड सरकार, फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की मेजबानी में झारखंड की नई पर्यटन नीति लागू की गई।

टूरिज्म इंडस्ट्री के लिए भी कई तरह की छूट
झारखंड की नई पर्यटन नीति में टूरिज्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के लिए भी बहुत कुछ है। लॉन्चिंग प्रोग्राम में बताया गया कि सिंगल विंडो सिस्टम के माध्यम से लाइसेंस, प्रोत्साहन और सब्सिडी के लिए एक सुव्यवस्थित प्रणाली के साथ पूरी प्रक्रिया परेशानी मुक्त हो जाएगी। कई तरह के टैक्स में राहत की बात कही गई है। जिसमें रिम्बसमेंट की सुविधा राज्य सरकार की ओर से मुहैया कराई जाएगी। बिजली से लेकर टैक्स तक में छूट का लाभ लिया जा सकता है। सके अलावा बिल्ट ऑपरेट ट्रांसफर (बीओटी), बीओओटी (बिल्ट ऑन ऑपरेट ट्रांसफर), बीएलटी (बिल्ट लीज ट्रांसफर) के जरिए निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बीच एक रचनात्मक और पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारी का प्रस्ताव किया गया है। मगर झारखंड सरकार की पर्यटन नीति से साफ है कि वो प्रतिभाशाली और मेहनतकश ग्रामीण आबादी के सहयोग से इसे विकसित करना चाहती है। उसकी मंशा है कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हो, रोजगार के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष अवसर पैदा हो। स्थानीय स्तर पर लोगों के जीवन-स्तर सुधरे।

About bheldn

Check Also

खनौरी बॉर्डर पर और तेज हुआ किसानों का प्रदर्शन, डल्लेवाल के समर्थन में आमरण अनशन पर बैठे 111 किसान

चंडीगढ़, अपनी मांगों के प्रति मोदी सरकार के उदासीन रवैये की आलोचना करते हुए 111 …