दिल्‍ली में मंकीपॉक्‍स का पहला केस, कोई ट्रेवल हिस्‍ट्री नहीं, देश में वायरस का चौथा मामला

नई दिल्‍ली

मंकीपॉक्‍स वायरस ने राजधानी में दस्‍तक दे दी है। दिल्‍ली में मंकीपॉक्‍स का पहला मामला सामने आया है। पश्चिमी दिल्‍ली में रहने वाले 32 वर्षीय व्‍यक्ति को पॉजिटिव पाया गया है। दिल्‍ली में मंकीपॉक्‍स के मरीज की कोई ट्रेवल हिस्‍ट्री नहीं है। मंकीपॉक्‍स के नोडल अस्‍पताल, LNJP हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। मरीज में बुखार और त्‍वचा पर घाव जैसे लक्षण दिखने पर भर्ती कराया गया था। दिल्‍ली वाले केस को मिलाकर भारत में मंकीपॉक्‍स के अब कुल चार मामले हो गए हैं। बाकी तीनों केस केरल से हैं और तीनों विदेश से यात्रा करके लौटे थे। वहां पिछले 8 दिन के भीतर वायरस के तीन मामले मिले। तीनों विदेश से यात्रा करके लौटे थे। तीसरा केस यूएई से 6 जुलाई को मलप्पुरम लौटे 35 साल के युवक का है। उसे 13 जुलाई से बुखार है। युवक का इलाज तिरुवनंतपुरम के मेडिकल कॉलेज में चल रहा है। भारत में मंकीपॉक्स का पहला मरीज कोल्लम में 12 जुलाई को मिला था। संक्रमित शख्स यूएई से आया था। दूसरा केस अगले ही दिन कन्नूर में सामने आया, जहां दुबई से आए शख्स इस बीमारी से पीड़ित मिला था।

केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया कि संक्रमित युवक के संपर्क में रहे लोगों पर नजर रखी जा रही है। डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि चीजें पूरी तरह नियंत्रण में हैं। जांच और निगरानी बढ़ा दी गई है। सभी जिलों में आइसोलेशन सेंटर का इंतजाम किया गया है। हवाईअड्डों पर हेल्प डेस्क बनाई गई हैं। इसका ध्यान रखा जा रहा है कि सभी स्वास्थ्यकर्मी मंकीपॉक्स से निपटने के लिए ट्रेंड हों।

मंकीपॉक्स अब ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी, WHO का ऐलान
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है। मंकीपॉक्स पर यह डब्ल्यूएचओ का सबसे टॉप लेवल का अलर्ट है। हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा का मतलब है कि WHO मंकीपॉक्स को दुनियाभर के लिए बड़ा खतरा मानता है और इसे फैलने से रोकने और महामारी में बदलने की आशंका से बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय पहल की तुरंत जरूरत है। यह घोषणा दुनियाभर की सरकारों के लिए तुरंत कार्रवाई की अपील का काम करती है।


केरल के वायनाड जिले के मानन्थावाद्य स्थित दो पशुपालन केंद्रों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर (ASF) के मामले सामने आए हैं। भोपाल स्थित पशु रोग संस्थान की जांच में इन केंद्रों के सुअरों में ASF बीमारी की पुष्टि हुई। एक केंद्र में 300 सुअरों को मारने के निर्देश दिए गए हैं। केंद्र ने चेताया था कि बिहार और कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर के मामले सामने आए हैं। यह सुअरों में फैलने वाला वायरल इन्फेक्शन है। इसमें मृत्यु दर बहुत अधिक है। इस बीमारी के खिलाफ अभी कोई वैक्सीन नहीं है। इंसानों को खतरा नहीं है।

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