340 कमरे वाले राष्ट्रपति भवन के गेस्ट रूम में रहेंगी मुर्मू, दिलचस्प है वजह

नई दिल्ली,

आज दुनिया की नजर में भारत क्या है? भारत वो देश है जहां, आखिरी कतार में खड़ा व्यक्ति, अपने कर्मों के दम पर, देश का राष्ट्रपति बन सकता है. भारत वो देश है जहां जात-पात, धर्म और वर्ग से ऊपर उठकर एक आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनाया जाता है. आज का दिन भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया है.

द्रौपदी मुर्मू ने आज राष्ट्रपति पद की शपथ ली है. मुर्मू देश की पहली ऐसी राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने आजाद भारत में जन्म लिया. उनसे पहले जितने भी राष्ट्रपति रहे उनका जन्म देश की आजादी से पहले हुआ था और वो 64 साल की उम्र में इस पद पर बैठने वाली सबसे युवा राष्ट्रपति हैं.संथाल आदिवासी समाज में पैदा हुईं बेहद गरीब परिवार में पलने वाली द्रौपदी मुर्मू आज से मैडम President कहलाएंगी.

एक महिला के लिए सफलता के शिखर तक पहुंचने का संघर्ष बहुत मुश्किल होता है. उसे जीवन में हर स्तर पर लड़ना पड़ता है. उसे सामाजिक परंपराओं के बंधन तोड़ने होते हैं, उसे समाज की महिला विरोधी सोच से लड़ना होता है. उसे परिवार की उन बेड़ियों को तोड़ना होता है, जो बचपन से ही उसकी उड़ान रोकने के लिए बांधी जाती हैं. और इस सबके बावजूद अगर कोई महिला उच्च पद पर पहुंचती है तो कई बार पूरी व्यवस्था उसे पीछे खींचने के प्रयास में लग जाती है.

सोचिए, एक आदिवासी महिला ने एक छोटे से गांव से संघर्षों की शुरुआत की और आज वो देश की राष्ट्रपति हैं.जब एक आदिवासी महिला, जिसे जीवन में कुछ भी आसानी से नहीं मिला. वो जब देश के राष्ट्रपति बनती हैं तो वो पूरे समाज के लिए प्रेरणा बन जाती है. द्रौपदी मुर्मू ने 15वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने के बाद अपने संबोधन में 4 ऐसी बातें कहीं जो आपको उम्मीद प्रेरणा और शक्ति से भर देंगी.

1. मैंने अपनी जीवन यात्रा ओडिशा के एक छोटे से आदिवासी गाँव से शुरू की थी. मैं जिस पृष्ठभूमि से आती हूँ, वहां मेरे लिये प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करना भी एक सपने जैसा ही था. लेकिन अनेक बाधाओं के बावजूद मेरा संकल्प दृढ़ रहा और मैं कॉलेज जाने वाली अपने गांव की पहली बेटी बनी.

2. मैं जनजातीय समाज से हूँ, और वार्ड कौन्सिलर से लेकर भारत की राष्ट्रपति बनने तक का अवसर मुझे मिला है. यह लोकतंत्र की जननी भारत वर्ष की महानता है. ये हमारे लोकतंत्र की ही शक्ति है कि उसमें एक गरीब घर में पैदा हुई बेटी, दूर-सुदूर आदिवासी क्षेत्र में पैदा हुई बेटी, भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकती है.

3. राष्ट्रपति के पद तक पहुँचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, ये भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है. मेरा निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है.

4. ये मेरे लिए संतोष की बात है कि जो सदियों तक वंचित रहे, जो विकास के लाभ से दूर रहे, वो गरीब, पिछड़े , दलित और आदिवासी मुझे ही अपना प्रतिबिंब देख सकते हैं. मेरे इस निर्वाचन में में गरीब का आशीर्वाद शामिल है बेटियों के सपन की झलक है.

मयूरभंज से राष्ट्रपति भवन तक का सफर
द्रौपदी मुर्मू, ओडिशा के मयूरभंज जिले में एक छोटे से गांव उपरबेड़ा की रहने वाली हैं. वहां उनका जो घर है, उसकी छत खपरैल की बनी हुई है. कच्ची छत के उस मकान में गिने चुने कमरे हैं. जिसमें द्रौपदी मुर्मू के परिवार के कुछ लोग आज भी रहते हैं. द्रौपदी मुर्मू ने कच्ची छत के 4 कमरे वाले उस मकान से 340 कमरों वाले राष्ट्रपति भवन तक का सफर तय किया है. आज उनका नया पता रायसीना हिल्स है. हम आपको इस नए घर से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें बताते हैं.

द्रौपदी मुर्मू के नए घर राष्ट्रपति भवन में 340 कमरे हैं. ये दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा राष्ट्रपति भवन है पहले नंबर पर है इटली का राष्ट्रपति भवन. राष्ट्रपति भवन वर्ष 1912 से बनना शुरू हुआ था. इसको बनने में 17 साल लगे. भारत के राष्ट्रपति भवन में एक दरबार हॉल है, जहां एक कुर्सी है जिस पर राष्ट्रपति बैठते हैं. इस कुर्सी की लोकेशन से जुड़ी एक दिलचस्प बात ये है कि इससे अगर एक सीधी लकीर खींची जाए तो ये राजपथ होते हुए दूसरे छोर पर इंडिया गेट के बीचों बीच जाकर मिलती है. इसी दरबार हॉल में राजकीय समारोह और पुरस्कार वितरण जैसे कार्यक्रम होते हैं.

राष्ट्रपति भवन के खंभों में घंटियों का डिजाइन बना है. इसे डेली ऑर्डर कहा जाता है. ब्रिटिश हुकूमत का मानना था कि अगर ये घंटियां स्थिर रहें तो सत्ता लंबे वक्त तक चलेगी. हलांकि ऐसा नहीं हो पाया था. भवन बनने के बाद से हुकूमत कमजोर होती चली गई थी.विदेशों से आने वाले राष्ट्राध्यक्ष नॉर्थ ड्राइंग रूम में राष्ट्रपति से मिलते हैं. इस कमरे में देश के पूर्व राष्ट्रपतियों की तस्वीरें भी लगी हुई हैं.

राष्ट्रपति भवन में दो अनोखे ड्रॉइंग रूम हैं, इन्हें Yellow और Grey ड्रॉइंग रूम कहा जाता है. Yellow रूम में छोटे राजकीय समारोह होते हैं और Grey ड्रॉइंग रूम में अतिथियों का स्वागत किया जाता है.राष्ट्रपति भवन में होने वाले बड़े समारोह अशोक हॉल में किए जाते हैं. इस हॉल में जो कालीन बिछा हुआ है उसे 500 कारीगरों ने बनाया था. अशोक हॉल की छत पर देश ही नहीं, विदेशी सम्राटों से जुड़ी चित्रकारी की गई है.

राष्ट्रपति भवन का मुगल गार्डन आम लोगों के भी आकर्षण का केंद्र रहता है. 15 एकड़ में फैले मुगल गार्डन में वर्ष 1928 से ही पौधे लगाने का काम चल रहा है. यहां के फूलों के नाम भी देश विदेश के प्रसिद्ध लोगों के नाम पर रखे गए हैं. ऐसी विशेषताओं वाला राष्ट्रपति भवन अब द्रौपदी मुर्मू का नया घर है.

गेस्ट रूम में रहेंगी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
कभी आपने सोचा है कि 340 कमरों के मकान में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू किस कमरे में रहेंगी? आम नागरिकों की सोच यही है कि द्रौपदी मुर्मू के लिए राष्ट्रपति भवन का सबसे बड़ा और विशेष कमरा चुना गया होगा. लेकिन आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि 340 कमरों और विशाल परिसर वाले राष्ट्रपति भवन में द्रौपदी मुर्मू एक Guest Room में रहेंगी. अगले 5 साल द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति भवन के गेस्ट रूम रहकर अपना कार्यकाल पूरा करेंगी.

देश के राष्ट्रपति का राष्ट्रपति भवन के गेस्ट हाउस में रहना एक परंपरा है और ये सिलसिला बहुत लंबे समय से चला आ रहा है आजादी से पहले राष्ट्रपति भवन को वायसरॉय हाउस कहा जाता था.15 अगस्त 1947 के बाद इसका नाम बदल राजभवन कर दिया गया था. इस राजभवन में रहने वाले पहले व्यक्ति थे देश के पहले गवर्नर जनरल सी. राजगोपालाचारी.

राजगोपालाचारी बहुत विनम्र और ज़मीन से जुड़े हुए व्यक्ति थे इसलिए उन्हें वायसराय का भव्य राजसी कमरा रास नहीं आया. तब उन्होंने गेस्ट हाउस के कमरे को रहने के लिए चुना था. इसे Family wing कहा जाता है. 26 जनवरी 1950 को डॉ.राजेंद्र प्रसाद देश के पहले राष्ट्रपति बने. उन्हीं के कार्यकाल में राजभवन का नाम बदलकर राष्ट्रपति भवन हो गया. राष्ट्रपति भवन में जिस कमरे में राजगोपालाचारी रहते थे, डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने भी उसी कमरे में रहने का फैसला किया. तब से लेकर अब तक देश के सभी राष्ट्रपति इसी परंपरा को निभा रहे हैं.

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