100-100 करोड़ में बना रहे थे राज्यपाल और सांसद, ‘महाठग’ गैंग की पूरी कुंडली

नई दिल्ली

राज्यपाल बनवाने का रेट 100 करोड़ रुपये। सांसद बनवाने का रेट 100 करोड़। जालसाजों की ये कहानी और उनके सीबीआई के फंदे में फंसने का किस्सा कम रोचक नहीं है। ये जालसाज लोगों को झांसे में लाने के लिए पूरी तैयारी करता था। राज्यसभा की सीट दिलवाने, राज्यपाल के रूप में नियुक्ति करवाने और केंद्र सरकार के मंत्रालयों एवं विभागों के अधीन अलग-अलग सरकारी संस्थाओं का अध्यक्ष बनवाने का लालच देते थे। हालांकि, उनकी कारगुजारी की भनक देश की शीर्ष एजेंसी को लग गई और उन्होंने जाल बिछाकर इसके सरदार समेत 4 को अरेस्ट कर लिया।

लोगों को ऐसे फंसाते थे
ये ठग इतने शातिर थे कि वो खुद को बड़े-बड़े अधिकारियों और राजनीतिक दलों के आला नेताओं से अपने रिश्ते बताते थे। लोगों को झांसे में लाने के लिए वह कई तरह के दावे करते थे। वो कारोबारियों और अमीरों को झांसे में लाने की कोशिश करते थे। सीबीआई ने जिन 4 लोगों को इस ठगी रैकेट में गिरफ्तार किया है वो कुछ लोगों से राज्यसभा सदस्य बनवाने के नाम पर लोगों से 100-100 करोड़ रुपये मांग रहे थे।

सीबीआई के फंदे में गिरोह के 4 सदस्य
सीबीआई ने इस मामले में महाराष्ट्र के लातूर जिले के रहने वाले कमलाकर प्रेमकुमार बंदगर, कर्नाटक के बेलगाम निवासी रवींद्र विट्ठल नाइक और दिल्ली-एनसीआर के रहने वाले महेंद्र पाल अरोड़ा और अभिषेक बूरा को गिरफ्तार किया है। जबकि पांचवां आरोपी एजाज खान सीबीआई के अधिकारी पर हमला कर भाग गया।

लोगों को यूं फंसाता था बंदगर
आरोपी बंदगर लोगों को झांसा में लाने के लिए खुद को सीबीआई मुख्यालय में तैनात बड़ा अधिकारी बताता था। इसके अलावा इस गिरोह में शामिल अन्य सदस्य लोगों को अलग-अलग तरीके से झांसे में लेते थे। बंदगर अपने लोगों की मदद करने के लिए पुलिस के अधिकारियों को धमकाता भी था। बंदगर उच्च पदस्थ अधिकारियों के साथ अपने ‘संबंधों’ का हवाला देते हुए बूरा, अरोड़ा, खान और नाइक से कोई भी ऐसा काम लाने को कहता था, जिसे वह भारी-भरकम रकम के एवज में पूरा करवा सकता है।

सरकारी काम करवाने का भी लालच
आरोप है कि आरोपी सौ करोड़ रुपये के एवज में राज्यसभा की उम्मीदवारी दिलवाने के झूठे वादे के साथ लोगों को ठगने की कोशिशों में जुटे थे। सीबीआई को सूचना मिली थी कि आरोपी वरिष्ठ नौकरशाहों और राजनीतिक पदाधिकारियों के नाम का इस्तेमाल करेंगे, ताकि किसी काम के लिए उनसे संपर्क करने वाले ग्राहकों को सीधे या फिर अभिषेक बूरा जैसे बिचौलिए के माध्यम से प्रभावित किया जा सके। यह भी पता चला है कि बंदगर विभिन्न पुलिस थानों के अधिकारियों से अपने परिचित लोगों का काम कराने को कहा था और विभिन्न मामलों की जांच को प्रभावित करने की कोशिश भी की थी।

दिल्ली के अलग-अलग जगहों पर ठिकाना
सीबीआई की गिरफ्त में आए आरोपी अरोड़ा ने दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में ठिकाना बना लिया था। वहीं, अभिषेक बूरा ने प्रीत विहार मं विकास मार्ग रोड पर ऑफिस खोला था।

About bheldn

Check Also

‘मर्जी से दुकान के बाहर नाम लिखने से नहीं रोका, बस किसी को मजबूर नहीं कर सकते’ नेमप्लेट विवाद पर SC ने कहा

नई दिल्ली, कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानों और भोजनालयों के लिए नेमप्लेट विवाद पर शुक्रवार …