आटा, चावल, दही और लस्सी पर जीएसटी लगाने का फैसला किसका था? सरकार ने किया खुलासा

नई दिल्ली

हाल में अनाज, दही, लस्सी सहित विभिन्न वस्तुओं पर जीएसटी (GST) लगाया गया था। पहले ये वस्तुएं जीएसटी के दायरे से बाहर थीं। 18 जुलाई से इन चीजों की पैकेट के रूप में बिक्री पर पांच फीसदी जीएसटी लगाया गया है। इससे इन चीजों के दाम बढ़ गए हैं। अमूल और मदर डेयरी जैसी कंपनियों ने दही और लस्सी की कीमत बढ़ा दी है। विपक्षी पार्टियां सरकार से इसे वापस लेने की मांग कर रही हैं। लेकिन सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि अनाज, दही, लस्सी सहित विभिन्न वस्तुओं पर जीएसटी लगाए जाने का फैसला विभिन्न राज्यों के मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने सर्वसम्मति से लिया था। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद की लखनऊ में हुई 45वीं बैठक में विभिन्न राज्यों के मंत्रियों का एक समूह (जीओएम) बनाने का फैसला किया गया था।

लखनऊ में जीएसटी काउंसिल की मीटिंग 17 सितंबर, 2021 को हुई थी। चौधरी ने कहा कि उस जीओएम में कर्नाटक, बिहार, केरल, गोवा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के मंत्री शामिल थे। उन्होंने कहा कि यह जीओएम सर्वसम्मति से फैसले लेता है। इससे पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने सवाल किया था कि हाल ही में जिस बैठक में अनाज, दही, लस्सी आदि पर जीएसटी लगाए जाने का फैसला हुआ, क्या उसमें विपक्षी दलों द्वारा शासित दिल्ली, केरल, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के मंत्री मौजूद थे। उन्होंने यह सवाल भी किया कि क्या इन प्रदेशों ने बैठक में इन वस्तुओं पर जीएसटी लगाए जाने का विरोध किया था या असहमति जताई थी।

जीएसटी के दायरे में आएंगे पेट्रोल-डीजल
चौधरी ने कहा कि फैसला करने वाले समूह में शामिल लोगों की स्वीकृति से ही फैसला लिया गया। उन्होंने पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाए जाने से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा कि इस तरह के फैसले जीएसटी परिषद लेती है और उसमें यह प्रस्ताव आया था। चौधरी ने कहा, ‘प्रस्ताव पर अभी विचार किया जा रहा है।’ भाजपा सदस्य अशोक बाजपेयी ने सवाल किया था कि क्या ‘एक देश, एक मूल्य’ के सिद्धांत के तहत पेट्रोलियम उत्पादों पर समान जीएसटी लागू किया जाएगा।

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