महबूबा, कार्ति, चिदंबरम… सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब तेज होगी ED जांच की रफ्तार

नई दिल्ली

देश के अंदर मनी लॉनड्रिंग के तमाम केस दर्ज हैं। ईडी इन मामलों में सख्त रुख अपनाए हुए है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम एक्ट के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को मिले गिरफ्तारी और संपत्ति जब्त करने अधिकारों को जायज ठहराया। अब सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद ईडी और भी ज्यादा खुलकर अपना काम करेगी। विपक्ष इस मामले को लेकर सरकार पर हमलावर हो रहा है। केंद्र सरकार पर आरोप लगाया जा रहा है कि ये बदले की भावना कार्रवाई की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कुछ हाई-प्रोफाइल मनी लॉन्ड्रिंग आरोपियों पर जल्द कार्रवाई हो सकती है। इसमें कांग्रेस के लोकसभा सांसद कार्ति चिदंबरम, उनके पिता पी चिदंबरम, जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उद्योगपति शिविंदर मोहन सिंह का नाम शामिल है।

कई मामलों की जांच रुक गई थी
इनमें से कई मामलों की जांच और सुनवाई लगभग रुक गई थी क्योंकि जांच एजेंसी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में जांच एजेंसी के कई प्रावधानों को चुनौती दी गई थी, जो गिरफ्तारी, तलाशी और जब्ती से संबंधित थी। इसमें एक मामला प्रवर्तन निदेशालय से केस इंफॉर्मेशन फाइल की एक प्रति आरोपी से साझा करने का मामला भी था।

सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की शक्तियों को सही पाया
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सभी तर्कों को खारिज कर दिया और ईसीआईआर की एक प्रति प्रदान नहीं करने के लिए पीएमएलए के तहत प्रवर्तन निदेशालय की संवैधानिक शक्तियों को मान्य किया। कुछ आरोपियों ने हलफनामा दाखिल करने से छूट की मांग की थी, जो जांच की प्रक्रिया के दौरान एक महत्वपूर्ण दस्तावेज और आरोपियों के बयान दर्ज करने का था। मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का सामना कर रहे न्यूज पोर्टल न्यूज़क्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ ने अपनी ईसीआईआर साझा नहीं करने के एजेंसी के फैसले को चुनौती दी थी। जिसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था आप जोर जबरदस्ती नहीं कर सकते।

हाईप्रोफाइल मामलों की जांच कर रही है ईडी
ईडी ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन और आईएनएक्स-मीडिया मामलों में कार्ति चिदंबरम और उनके पिता पी चिदंबरम के खिलाफ कई आरोप पत्र दायर किए थे। एजेंसी के पास मनी ट्रेल अदालतों के समक्ष दायर अभियोजन शिकायत का हिस्सा है जिसने आरोपों का संज्ञान लिया था और मुकदमे का आदेश दिया था। ईडी के सूत्रों ने कहा कि आरोपी ने मुकदमे की प्रक्रिया को रोकने के लिए उच्च न्यायालयों में अपील दायर की गई थी, जो कुछ मामलों में दो साल से अधिक समय से लंबित है।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम एक्ट के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को मिले गिरफ्तारी और संपत्ति जब्त करने अधिकारों को जायज ठहराया। कोर्ट ने कहा कि ईडी को गिरफ्तारी का जो अधिकार (धारा-19 में) मिला है, वह मनमाना नहीं है। जस्टिस ए. एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल लोगों की संपत्ति की कुर्की (धारा-5 के तहत) करना संवैधानिक रूप से वैध है। यह भी जरूरी नहीं है कि हर केस में ईडी उस व्यक्ति को ECIR दिखाए। ECIR पुलिस की FIR के बराबर होती है।

ईडी गिरफ्तारी का कारण बताती है इतना काफी है- सुप्रीम कोर्ट
कोर्ट ने यह भी कहा है कि ईडी अधिकारी और पुलिस अधिकारी अलग हैं। अगर ईडी गिरफ्तारी का कारण या आधार बताती है, तो इतना ही काफी है। मामले में टिप्पणी करते हुए कहा गया कि दुनियाभर में यह तजुर्बा रहा है कि मनी लॉन्ड्रिंग वित्तीय सिस्टम के अच्छे कामकाज के लिए खतरा है, यह साधारण अपराध नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी आरोपी को जब गिरफ्तार किया जाता है, तो स्पेशल कोर्ट के सामने पेश किया जाता है। अगर आरोपी की हिरासत लगातार जारी रखने की जरूरत है, तो कोर्ट दस्तावेज देख सकता है। सुप्रीम कोर्ट में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट को चुनौती दी गई थी। 240 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह आदेश दिया। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कांग्रेस ने कहा कि जब सरकारें राजनीतिक प्रतिशोध में लगी हुई हैं, तब इस फैसले का लोकतंत्र पर दूरगामी असर होगा।

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