रीवा
रीवा नगर में अध्यक्ष पद के लिए निर्वाचन का समय नजदीक आते ही भाजपा-कांग्रेस दोनों ही दल सक्रिय होकर अपने-अपने अध्यक्ष बनाने के जुगाड़ में लग गए हैं। दरअसल रीवा नगर निगम में अध्यक्ष पद को लेकर घमासान मचा हुआ है। यहां पर भाजपा के पास पूर्ण बहुमत हो गया है। बावजूद इसके भाजपा को क्रॉस वोटिंग व सेंधमारी का डर सता रहा है। ऐसे में निर्वाचित पार्षदों को शपथ ग्रहण के बाद बस के द्वारा शहर से बाहर ओरछा के लिए भेज दिया गया है। यहां के जीते हुए प्रतिनिधियों को बस में जाने का वीडियो भी सामने आया है।
गुरुवार को भाजपा के नवनिर्वाचित 25 पार्षदों ने जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय में शपथ ली। जिला कलेक्टर मनोज पुष्प ने सभी को शपथ दिलाई। शपथ के बाद अचानक ही सभी भाजपा पार्षद चंद्रलोक होटल के पास इक्ट्ठा हुए और दो बसों में सवार होकर ओरछा के लिए रवाना हो गए। हालांकि, बस में बैठे पार्षद नंदलाल ताम्रकार से बात की गई तो उन्हें ये नहीं पता था की कहां जा रहे न ही बस के ड्राइवर को ये पता की सभी को कहां ले जाना है। लेकिन ये जानकारी सामने आ रही है कि भगवान के दर्शन के बहाने सभी को ओरछा ले जाया जा रहा है।
कांग्रेस की महिला नेता एवं नगर निगम की पूर्व नेता प्रतिपक्ष कविता पांडेय ने इस बारे में बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि भाजपा परिषद अध्यक्ष के चुनाव से इतनी डरी हुई है कि पार्षदों को जबरन अपने साथ ले गई। भाजपा ने चालाकी से भाजपा पार्षदों का शपथ ग्रहण पहले करा दिया जबकि हर बार महापौर के साथ ही पार्षद भी शपथ लेते थे, पर इस बार ऐसा नहीं हुआ। पार्षदों को बस में बैठाकर अनजान जगह भेज दिया गया है जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं। इस तरह से पार्षदों को ले जाना निंदनीय है। पार्षद चुनाव जीतकर आए हैं कोई गुलाम नहीं है जो इन्हे इस तरह ले जाया जा रहा है।
रीवा नगर निगम में कुल 45 वार्ड हैं। जिनमें से 18 में भाजपा के पार्षदों ने जीत हासिल की थी तो 16 में कांग्रेस और 11 वार्डों में निर्दलीय पार्षद चुनाव जीतकर आए थे। बहुमत के लिए 23 पार्षदों की जरुरत है। लेकिन भाजपा ने 7 निर्दलीय पार्षदों को अपने साथ जोड़ लिया है जिसके बाद अब उनके पास 25 पार्षद हो गए हैं जो बहुमत से 2 ज्यादा है। कांग्रेस भी लगातार निर्दलियों के साथ ही कुछ भाजपा पार्षदों से भी संपर्क कर रही है। 1 अगस्त को अध्यक्ष का चुनाव होना है जिसमें भाजपा को क्रॉस वोटिंग का डर सता रहा है। शायद इसी वजह से भाजपा अपने पार्षदों को दूसरी जगह भेज रही हो।
हालांकि, ऐसा माना जा रहा है की कांग्रेस के नवनिर्वाचित महापौर अजय मिश्रा बाबा के संपर्क में कुछ निर्दलीय पार्षदों के साथ ही भाजपा के भी कुछ पार्षद हैं। जो 1 अगस्त को होने वाले अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा से बगावत कर सकते है। शायद यही डर भाजपा को सता रहा था इसलिए उन्हे दूसरी जगह भेज दिया गया। हालांकि भाजपा का दावा है कि किसी को जबरन नही भेजा गया है सभी अपनी इच्छा से गए हैं। पार्षदों के एक साथ जाने के पीछे की वजह चाहे जो हो लेकिन शपथ ग्रहण के बाद एक साथ अचानक ऐसे जाना अपने पीछे कई सवाल खड़ा करता है।