विपक्षी सांसदों पर सख्त NDA सरकार? संसद से निलंबन के आंकड़े बता रहे सच

नई दिल्ली

संसद की कार्रवाई के दौरान इस हफ्ते दो दर्जन से अधिक सांसदों को सस्पेंड किया जा चुका है। इस कार्रवाई ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। एक तरफ कहा जा रहा है कि इन सांसदों का व्यवहार संसदीय गरिमा के अनुकूल नहीं था, इसलिए उन पर गाज गिरी। वहीं विपक्ष का कहना है कि इन सांसदों पर अनावश्यक रूप से कड़ी कार्रवाई की गई है। दोनों पक्षों की बहस के बीच एक रिपोर्ट भी है, जिसके आंकड़े दिखाते हैं कि एनडीए शासनकाल के दौरान सांसदों के निलंबन की घटनाओं में इजाफा हुआ है।

एनडीए सरकार में सबसे ज्यादा
इस रिपोर्ट के मुताबिक 2014 में एनडीए के सत्ता के आने के बाद सांसदों के निलंबन में 170 फीसदी का इजाफा हुआ है। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2006 के मॉनसून सत्र और फरवरी 2014 के बीच करीब 51 सांसदों को दोनों सदनों से सस्पेंड किया गया। वहीं अगस्त 2015 से अब तक यह आंकड़ा बढ़कर 139 सांसदों तक पहुंच गया है। इस मामले ने तूल तब पकड़ लिया जब मंगलवार को राज्यसभा के 19 विपक्षी सांसदों को शेष हफ्ते के लिए निलंबित कर दिया गया। यह लोग महंगाई और जीएसटी में इजाफे पर तत्काल चर्चा की मांग को लेकर हंगामा कर रहे थे। इसके बाद इन सांसदों ने आरोप लगाया कि देश में लोकतंत्र को निलंबित कर दिया गया है। वहीं इसके अगले दिन एक सांसद, जबकि गुरुवार को तीन अन्य को निलंबित कर दिया गया। वहीं इससे पहले सोमवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने चार कांग्रेस सदस्यों को पूरे मॉनसून सत्र के लिए सस्पेंड कर दिया था।

1989 में निलंबित हुए थे 63 लोकसभा सांसद
अगर आंकड़ों की बात करें तो लोकसभा में 1989 में कुल 63 सदस्यों को निलंबित किया गया था। लोकसभा के लिहाज से यह सबसे बड़ा आंकड़ा है। 2019 में 45, 2015 में 25, 2014 में 18, 2013 में 12 और 2012 आठ लोकसभा सांसदों पर निलंबन की गाज गिरी थी। वहीं राज्यसभा में 2022 में 23, 2021 में 12, 2020 में 8 और 2010 में 7 सदस्यों पर निलंबन का चाबुक चला था।

सस्पेंड कर सकते हैं खामोश नहीं
वहीं टीएमसी सांसदों के निलंबन पर डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि संसद भवन एक गहरे और अंधेरे चेंबर में बदल चुकी है। देश में लोकतंत्र को सस्पेंड कर दिया गया है। बाद में उन्होंने ट्वीट किया कि आप हमें सस्पेंड कर सकते हैं, लेकिन हमें खामोश नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि हमारे सांसद लोगों से जुड़े मुद्दों को उठा रहे थे, लेकिन उनके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई हो रही है।

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