चीन फंस रहा अपनी ही कुटिल चाल में, क्या श्रीलंका जैसे हो जाएंगे हालात?

इस वर्ष के आरंभ में शुरू हुए यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद से बढ़ी महंगाई तथा ऊर्जा संकट ने दुनियां की कई बड़ी अर्थव्यस्थाओं को संकट में डाल दिया है। यूरोप आर्थिक मंदी की चपेट में आता दिख रहा है तो श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे देश लगभग दिवालिया हो चुके हैं। अमेरिका और भारत में खुदरा (रिटेल) महंगाई 7 प्रतिशत से नीचे आने का नाम नहीं ले रही। वहीं, विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यस्था चीन में बैंकों और निर्माण क्षेत्र (हाउसिंग सेक्टर) में बड़ी हलचल दिख रही है। चीन की सख्त ‘जीरो कोरोना’ नीति के चलते भी अब उसकी अर्थव्यस्था में गिरावट आ रही है जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव रियल एस्टेट में मंदी तथा बैंको के दीवालिया होने की आशंका से लग रहा हैl ज्योतिष के दृष्टिकोण से देखे तो चीन में बड़ी आर्थिक मंदी के संकेत तो नहीं किंतु अगले वर्ष अप्रैल तक किसी आर्थिक संकट, सरकार में फेरबदल तथा पडोसी देशों से युद्ध के हालत जरूर दिख रहे हैं।

बुध-केतु के कपट योग में फंस गया चीन
छोटे देशों को कर्ज़ दे कर उनकी राष्ट्रीय संपत्ति हड़पने की चीन की नीति अब उसकी अर्थव्यस्था पर भारी पड़ने वाली है l चीन की कुंडली 1 अक्टूबर 1949 दोपहर 3 बजकर 15 मिनट की है। चीन की कुंडली मकर लग्न की है जिसमें चंद्रमा भी मकर राशि में स्थिति है। मकर लग्न की इस कुंडली में नवम भाव में बलवान बुध अपनी राशि में होकर पाप ग्रहों केतु तथा सूर्य से युत है जो कि जातक तत्व के अनुसार कपटी योग का निर्माण करता है।

चीन की कुंडली में गुलिका भी बुध से युत होकर इस ‘कपटी योग’ को और भी अशुभ बना रहा है। पिछले कुछ वर्षों से अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, पूर्वी यूरोप, पाकिस्तान, श्रीलंका आदि क्षेत्रों में सरकारों को बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए सस्ते ऋण देकर उनके सामरिक ठिकानों पर कब्ज़ा ज़माने की नीति चीन की रही है जो कि अब बुध में केतु की चल रही अशुभ विंशोत्तरी दशा में चीन पर ही भारी पड़ने वाली है। मकर राशि में वर्तमान में गोचर कर रहे शनि साल के अंत तक चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को सरकार में बड़े फेरबदल करने पर विवश कर देंगे l

केतु की यह अशुभ अंतर्दशा अगले वर्ष 17 फरवरी तक है जिससे पहले चीन की अर्थव्यस्था बेहद सुस्त रहेगी तथा वहां के कुछ बैंक दिवालिया भी हो सकते हैं l किंतु अगली अन्तर्दशा योगकारक शुक्र की है जिसपर लग्नेश शनि तथा चतुर्थेश मंगल की दृष्टि पड़ रही है अतः चीन को जल्द ही अर्थव्यस्था में गति मिल जाएगी l अगले वर्ष अप्रैल के बाद चीन की अर्थव्यस्था फिर से रफ़्तार पकड़ेगी किन्तु उससे पहले इस वर्ष भारत की सीमाओं पर युद्ध जैसे हालत या कुछ सैन्य संघर्ष के चलते विश्व व्यापर पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
सचिन मल्होत्रा,ज्योतिषशास्त्री

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