पुनिया का चला 70+ फॉर्मूला तो चुनाव मैदान से बाहर हो जाएंगी वसुंधरा राजे

नई दिल्ली ,

राजस्थान बीजेपी में सतीश पूनिया के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बीच सियासी अदावत किसी से छिपी नहीं है. बीजेपी के दोनों ही नेता एक दूसरे को शिकस्त देने की फिराक में रहते हैं. प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया ने 70 साल से अधिक उम्र के नेताओं को टिकट नहीं देने की वकालत करके आग में घी डाल दिया है. अगर इस फॉर्मूले पर बीजेपी नेतृत्व आगे बढ़ता है तो वसुंधरा राजे से लेकर गुलाबचन्द कटारिया जैसे दिग्गज नेताओं के चुनाव लड़ने पर संकट गहरा सकता है.

जनसंघ के विचारक नानाजी देशमुख ने राजनीति में सेवानिवृति की उम्र 65 करने को कहा था इसी को आधार बनाते हुए पुनिया ने नेताओं ने लिए 70 साल की उम्र में रिटायरमेंट का फॉर्मूला रखा है. साथ ही सतीश पूनिया ने कहा, ‘मैं 70 साल की उम्र के बाद चुनावी राजनीति से दूर हो जाऊंगा. राजनीति में एक तय उम्र के बाद बुजुर्गों को मार्गदर्शन करना चाहिए और चुनाव की राजनीति में युवाओं को आगे लाए जाने की दिशा में काम करना चाहिए.

सतीश पुनिया ने कहा कि राजस्थान में युवाओं को बीजेपी संगठन से जोड़ने का काम तेजी से चल रहा है. नई पीढ़ी आएगी तो संगठन का ज्यादा विस्तार होगा. उन्होंने कहा कि 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में 50 फीसदी टिकट बीजेपी युवाओं को देगी. पूनिया ने कहा कि मैने इस पर काम शुरू कर दिया है. प्रदेश में ऐसे नेताओं की सूची तैयार की जा रही है जिन्होंने 70 साल की उम्र पूरी कर ली है.

बीजेपी शीर्ष नेतृत्व अगर सतीष पुनिया के फॉर्मूले को अपनाता है तो राजस्थान के कई बड़े नेताओं के चुनाव लड़ने के अरमानों पर पानी फिर सकता है. सतीश पुनिया की उम्र मौजूदा समय में 58 साल है जबकि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की उम्र फिलहाल 69 साल है. ऐसे में अगले साल राजस्थान विधानसभा चुनाव के समय वसुंधरा राजे की उम्र 70 साल हो जाएगी. ऐसे में पुनिया के सियासी रिटायर्मेंट का फॉर्मूला क्या वसुंधरा राजे के सियासी राह में कहीं रोड़ा न बन जाए.

राजस्थान में 2023 के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी खेमे में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर खींचतान तेज है. वसुंधरा राजे के समर्थक फिर से उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने की जद्दोजहद में जुटे हैं और साथ ही वसुंधरा खुद भी सक्रिय हैं. वहीं, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया खुलकर कई बार विरोध कर चुके हैं और कहते रहे हैं पार्टी का संसदीय बोर्ड तय करेगा कि राज्य का मुख्यमंत्री का चेहरा कौन बनेगा. बीजेपी में व्यक्ति पूजा नहीं है. माना जाता है कि इस तरह के बयान देकर वसुंधरा राजे का विरोध करते रहे हैं.

बीजेपी में मुख्यमंत्री का चेहरा बनने के लिए राजस्थान बीजेपी में वसुंधरा राजे से लेकर सतीश पुनिया, गजेंद्र सिंह शेखावत और गुलाब चंद्र कटारिया तक अपनी-अपनी जुगत में है. ऐसे में बीजेपी आलाकमान ने काफी दिनों पहले ही साफ कर दिया था कि राजस्थान विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के चुनाव चिन्ह कमल पर लड़ा जाएगा. इसके बावजूद वसुंधरा राज्य समर्थक सीएम फेस घोषित करने की मांग करते रहे हैं. ऐसे में सतीश पुनिया ने चुनाव लड़ने के लिए 70 उम्र की बात कह कर वसुंधरा राजे के लिए चिंता बढ़ा दी है.

पूनिया के सियायी रिटायरमेंट फॉर्मूले पर अगर बीजेपी शीर्ष नेतृत्व आगे बढ़ता है और 2023 के विधानसभा चुनाव में इसी पैटर्न पर टिकट बांटते हैं को वसुंधरा राजे ही नहीं बल्कि पार्टी के कई नेताओं के अरमानों पर पानी फिर सकता है. सूबे में बीजेपी के 12 विधायक, 5 लोकसभा सांसद, 3 राज्यसभा सांसद और 18 पूर्व विधायक की उम्र 70 साल के पार हैं. ऐसे में इनके चुनाव लड़ने पर सियासी संकट गहरा सकता है.

पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचन्द कटारिया, वासुदेव देवनानी, कैलाश मेघवाल, पूर्व मंत्री कालीचरण सर्राफ, नरपत सिंह राजवी, नन्दलाल मीणा, लादूराम विश्नोई, सुंदरलाल काका, तरुण राय कागा, गोपाल जोशी, डॉ रामप्रताप, हरीश चंद्र कुमावत, रतनलाल जलधारी, जयनारायण पुनिया, सुरेंद्र पारीक, कन्हैयालाल मीणा, छितरिया लाल जाटव, गोलमा देवी, मनोहर सिंह, केसाराम चौधरी, शम्भू सिंह खेतासर, सांग सिंह भाटी, कर्नल सोनाराम और अमराराम चौधरी जैसे नेता चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.

राजस्थान की सत्ता में वापसी के लिए बीजेपी हरसंभव कोशिश में जुटी है. ऐसे में पार्टी किसी तरह का कोई सियासी जोखिम नहीं उठाना चाहती है. इसीलिए शीर्ष नेतृत्व की लगातार यही कोशिश रही है कि सूबे में बीजेपी के सभी गुट मिलकर आपस में काम करेंगे. जेपी नड्डा से लेकर अमित शाह तक ने अपने दौरे में वसुंधरा राजे, गजेंद्र शेखावत और सतीश पुनिया खेमे को एक साथ काम करने का संदेश दे चुके हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि वसुंधरा राजे के सियासी प्रभाव को देखते हुए क्या बीजेपी सतीश पुनिया के 70 साल उम्र के फॉर्मूले को लागू करने की साहस जुटा पाएगी?

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