अनूपपुर,
मध्य प्रदेश के अनूपपुर में गरीबों के बीच बांटे जाने वाला करीब 12 हजार बोरी चावल वेयर हाउस में सड़ गया है. ये चावल तीन साल से स्टॉक में रखा था. देखरेख के अभाव में चावल पूरी तरह खराब हो गया. हैरानी की बात यह है कि इस खराब चावल को गरीबों के बीच बांटे जाने की तैयारी की जा रही थी.
सूचना मिलने पर खाद्य मंत्री बिसाहूलाल सिंह और फूड अफसर निरीक्षण करने पहुंचे और जांच के आदेश दिए. फूड इंस्पेक्टर सीमा सिन्हा ने बताया कि करीब 12 हजार बोरियां खराब हुई हैं. ये चावल खाने योग्य नहीं है. विभाग को शिकायत मिली थी कि सड़ा चावल बांटने की तैयारी चल रही है. वहीं, अनूपपुर जिले के विधायक सुनील सराफ ने आरोप लगाया कि यहां खाद्य विभाग में भारी भ्रष्टाचार हो रहा है. बता दें कि खाद्य मंत्री साहू अनूपपुर जिले के रहने वाले हैं.
जानकारी के मुताबिक, बीते तीन वर्षों से वेयर हाउस बिजुरी के गोदाम में करीब 640 टन चावल भंडारित किया गया था. ये चावल देखरेख ना होने की वजह से खराब हो गया. अब विभाग उसे शासकीय उचित मूल्य की दुकानों पर भेजने की तैयारी कर रहा था. सूचना मिलने पर स्थानीय प्रशासन अलर्ट हुआ. कलेक्टर ने पत्र जारी कर खराब चावल की जांच करने के लिए टीम भेजी. ये चावल कोतमा ब्लॉक के शुभ वेयर हाउस में रखा था. प्रशासन ने इसे सील कर दिया है.
बताया गया कि चावल को बिजुरी के शुभ वेयर हाउस में साल 2017-18 और 2018-19 में भंडारित किया गया था. मगर, CMR चावल का समय पर उठाव नहीं किया गया, जिसके कारण गोदाम में भंडारित 4 स्टेक करीब 640 टन चावल पूरी तरह से खराब हो चुका है. इस 4 स्टेक में से 2 स्टेक चावल खाने योग्य ही नहीं बचा है.
अब नागरिक आपूर्ति विभाग सड़े हुये चावल के अपग्रेडेशन करने की तैयारी में जुट गया था, जिसके बाद कलेक्टर ने मामले को संज्ञान में लिया और अधिकारियों की जांच करने का आदेश दिया. सोमवार को जांच टीम शुभ वेयर हाउस पहुंची, जहां जांच में चावल खराब पाए जाने के बाद वेयरहाउस को सील कर दिया गया है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि जिले में लगातार मनमानी और गुणवत्ता विहीन चावल को जमा कराने के कारनामे किसी से छिपे नहीं हैं. यहां मिलरों के साथ मिलीभगत कर गरीबों की थाली में अमानक चावल की खेप पहुंचा कर गड़बड़ी की जा रही है. बताते हैं कि केंद्र प्रभारी और ट्रांसपोर्टर के बीच विवाद में ये चावल सड़ गया है.
इस चावल को केंद्र प्रभारी कोतमा ने समय पर उठान नहीं करवाया. इसके पीछे नॉन के केंद्र प्रभारी और उस समय के ट्रांसपोर्टर के बीच की निजी झगड़ा बताया जा रहा है. तत्कालीन वेयर हाउस कोतमा के शाखा प्रबंधक ने भी गोदाम में भंडारित चावल की देखरेख नहीं की.