बर्मिंघम,
भारत के स्टार एथलीट मुरली श्रीशंकर ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में इतिहास रच दिया है. उन्होंने देश को कॉमनवेल्थ के पुरुष लॉन्ग जम्प इवेंट में पहली बार सिल्वर मेडल दिलाया है. यदि ओवरऑल देखा जाए तो श्रीशंकर कॉमनवेल्थ के लॉन्ग जम्प में मेडल जीतने वाले दूसरे भारतीय पुरुष एथलीट हैं. भारत को कॉमनवेल्थ के लॉन्ग जम्प में सबसे पहला मेडल 44 साल पहले मिला था. यह उपलब्धि पहली बार सुरेश बाबू ने हासिल की थी. उन्होंने 1978 के कॉमनवेल्थ गेम्स कनाडा में हुए थे. तब लॉन्ग जम्प में सुरेश बाबू ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था.
केरल के श्रीशंकर के लिए यह इतिहास रचना इतना आसान नहीं था. उन्होंने इंग्लैंड में पड़ रही कड़ाके की ठंड का सामना करते हुए खुद को मजबूत बनाए रखा. क्वालिफाइंग राउंड में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले श्रीशंकर को फाइनल राउंड में बेहद कड़ाके की ठंड का सामना करना पड़ा. मुरली ने 8.08 मीटर की छलांग लगाकर सिल्वर मेडल जीता है. वह एपेंडिसाइटिस के कारण 2018 के गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स से चूक गए थे.
कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के एथलेटिक्स इवेंट में भारत का यह दूसरा मेडल है. इससे पहले तेजस्विन शंकर ने हाई जंप में ब्रॉन्ज मेडल जीता था. श्रीशंकर के अलावा मोहम्मद अनीस याहिया भी फाइनल में पहुंचे थे, लेकिन वह 7.97 की बेस्ट जंप के साथ पांचवें स्थान पर रहे.
‘बेशक… फाइनल का दबाव तो होता ही है’
सिल्वर जीतने के बाद श्रीशंकर ने आजतक से कहा, ‘सिल्वर मेडल जीतकर खुश हूं. गोल्ड मेडल जीतने वाले प्लेयर ने भी 8.08 ही जम्प की थी. यहां मौसम एक बड़ी चुनौती थी. यहां बहुत ज्यादा ठंड थी. तीन राउंड के बाद ठंड और भी ज्यादा बढ़ गई थी. मैं क्वालिफाइंग राउंड में अच्छी लय में था. तब टेकअप भी अच्छा चल रहा था. बेशक… फाइनल का दबाव तो होता ही है. इसी वजह से मेरा पहला जम्प बहुत पीछे से लग गया था.’
उन्होंने कहा, ‘टेक्निक भी उतनी अच्छी नहीं थी. चौथे जम्प में थोड़ी गलती हुई और वह फाउल रही थी. मगर पांचवें जम्प में अच्छा एफर्ट लगाया, जिससे सिल्वर मेडल जीत लिया. अभी सिल्वर से खुश हूं, लेकिन अगली बार और ज्यादा मेहनत करना है. अगली बार गोल्ड जीतना है.’
‘मेरा पूरा परिवार ही खेल से जुड़ा है’
23 साल के श्रीशंकर ने कहा, ‘मैं वर्ल्ड चैम्पियनशिप में मेडल जीतना चाहता था. कम से कम ब्रॉन्ज तो जीत ही सकता था. मगर अब कोई बात नहीं. कॉमनवेल्थ में सिल्वर जीत लिया है. मेरे परिवार ने काफी सपोर्ट किया. मैं इस मेडल को परिवार और देश को समर्पित करता हूं. मेरा पूरा परिवार ही खेल में है. खाना खाते समय भी खेल की बातें होती हैं. टीवी में भी स्पोर्ट्स ही देखते हैं. लॉकडाउन के समय मेरे कजिन ने पूरा सपोर्ट किया. एक अलग ही जिम बना दिया था.’