नई दिल्ली
52 हजार स्कूली बच्चों की मानव शृंखला से तिरंगा बनाकर विश्व रेकॉर्ड स्थापित करने के लिए 3 अगस्त को रिहर्सल में हुई अव्यवस्था को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी से कार्रवाई की मांग करते हुए सात दिन के अंदर एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी है। एनसीपीसीआर ने इस अव्यवस्था को गंभीरता से लेते हुए कहा कि विडियो से पता चल रहा है कि इस प्रोग्राम में बच्चे काफी परेशान हुए हैं। दिल्ली सरकार का यह वास्तविक कार्यक्रम गुरुवार 4 अगस्त को था, जिसे सुबह-सुबह यह कहते हुए स्थगित किया गया कि बुराड़ी मैदान में पानी भर गया है। मगर कुछ टीचर्स ने बताया कि यह फैसला काफी देरी से लिया गया, कई स्टूडेंट्स स्कूल पहुंच चुके थे।
पानी भरने से इवेंट भी स्थगित
4 अगस्त सुबह 5:36 बजे ट्वीट कर कहा गया, आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर दिल्ली के बच्चे आज सबसे बड़ा तिरंगा बनाने वाले थे, लेकिन बुराड़ी मैदान में बारिश का पानी भरने के कारण यह कार्यक्रम फिलहाल स्थगित किया जा रहा है। कल हमारे बच्चों ने इसका शानदार रिहर्सल भी किया था। उन्होंने रिहर्सल की फोटो भी साझा की है।
इस इवेंट की रिहर्सल 3 अगस्त को बुराड़ी मैदान में थी। टीचर्स का आरोप है कि करीब हजार बसों में इन हजारों बच्चों को बुराड़ी मैदान ले जाया गया, जिससे भयंकर जाम लगा, बच्चे घंटों जाम में फंसे। इसके बाद भारी बारिश में वे भीग गए। सुबह से घरों से निकले कई स्टूडेंट्स की रिहर्सल नहीं हो पाई, कई पहुंच ही नहीं पाए। पार्किंग की अव्यवस्था की भी शिकायतें मिलीं।
मनोज तिवारी ने भी की शिकायत
इस मामले को लेकर एनसीपीसीआर को दो शिकायतें मिलीं, जिनमें बीजेपी सांसद मनोज तिवारी शामिल हैं। एनसीपीसीआर के चेयरपर्सन प्रियंक कानूनगो ने चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार को भेजे पत्र में कहा है कि सांसद ने जानकारी दी है कि हजारों की संख्या में स्कूली बच्चों को दिल्ली के मुख्यमंत्री की अपील पर सबसे बड़ा तिरंगा बनाने के लिए बुराड़ी ग्राउंड में बुलाया गया। लापरवाही की वजह से बच्चे प्रताड़ित हुए। विडियो में देखा जा सकता है कि बच्चे बारिश में भीगने के लिए छोड़ दिए गए, जो उनकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। कार्यक्रम को बिना किसी पूर्व जानकारी के रद्द कर दिया गया। एनसीपीसीआर ने इस शिकायत और विडियो को चीफ सेक्रेटरी को भेजते हुए कार्रवाई करने को कहा है।
‘बच्चों की जान को जोखिम में डाला’
सांसद मनोज तिवारी ने एनसीपीसीआर को दी अपनी शिकायत में कहा है कि मुख्यमंत्री ने विश्व रेकॉर्ड बनाने और अपनी प्रसिद्धि के लिए मासूम बच्चों से ना केवल शारीरिक श्रम करवाया, बल्कि उनकी जान को जोखिम में डाला। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने भी उनका पूरा साथ दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि इस पूरे कार्यक्रम को जोर-शोर से प्रचारित करने के लिए करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाए गए, लेकिन बच्चों की सुरक्षा और मौसम की परिस्थिति से बचाने के लिए कोई इंतजाम नहीं किए।