नई दिल्ली
जून 2022 तक जिन 1568 केंद्रीय इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट की सरकार निगरानी कर रही थी उनमें से 721 (46 प्रतिशत) लेट (reasons for delay in infra projects) हैं। सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने संसद को ये जानकारी दी।
सबसे ज्यादा पेट्रोलियम मंत्रालय के प्रोजेक्ट लेट
जिन शीर्ष 3 सेक्टरों में सबसे ज्यादा प्रोजेक्ट लटके हैं वे हैं- पेट्रोलियम मंत्रालय, रेल मंत्रालय और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय। पेट्रोलियम मिनिस्ट्री के 139 में से 91 प्रोजेक्ट (65 प्रतिशत) में देरी है। रेलवे के 211 में से 127 (60 प्रतिशत) प्रोजेक्ट लेट हैं तो सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के 843 में से 301 (36 प्रतिशत) प्रोजेक्ट निर्धारित समय से लेट हैं।
1568 इन्फ्रा प्रोजेक्ट में से 721 लेट
दरअसल, MoSPI का इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐंड प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग डिविजन 150 करोड़ रुपये से ज्यादा लागत वाले केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट की निगरानी करता है। राज्यसभा में MoSPI के राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने एक सवाल के जवाब में बताया कि 1 जून तक 1568 प्रोजेक्ट्स की निगरानी की गई जिनकी आनुमानित लागत 26.54 लाख करोड़ रुपये है। इनमें से 721 प्रोजेक्ट निर्धारित समय से पीछे चल रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने बताया कि प्रोजेक्ट में देरी के लिए तकनीकी और प्रशासनिक समेत तमाम फैक्टर जिम्मेदार हैं। प्रोजेक्ट दर प्रोजेक्ट देरी के कारण अलग-अलग हैं। केंद्रीय मंत्री ने इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में देरी की वजह भी गिनाई।
प्रोजेक्ट में देरी की वजहें
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रोजेक्ट में ज्यादा समय लगने की वजह हैं- लॉ ऐंड ऑर्डर की समस्या, जमीन अधिग्रहण में देरी, पर्यावरण और फॉरेस्ट क्लियरेंस में देरी, पुनर्वास का मुद्दा, निगम/स्थानीय निकाय से इजाजत, युटिलिटी शिफ्टिंग और कॉन्ट्रैक्ट से जुड़े मसले।
रेलवे का बेंगलुरु-सत्यमंगलम सेगमेंट 26 साल लेट
अगर सबसे ज्यादा देरी से चल रहे टॉप 20 इन्फ्रा प्रोजेक्ट पर नजर डालें तो पता चलता है कि रेलवे का कर्नाटक में बेंगलुरु-सत्यमंगलम सेगमेंट सबसे ज्यादा लेट है। शुरुआत में इस प्रोजेक्ट के पूरा होने का समय मार्च 2002 था लेकिन अब इसके मार्च 2028 में पूरा होने का अनुमान है। यानी 2-4 साल नहीं बल्कि पूरे 26 साल की देरी।
सबसे ज्यादा देरी वाले टॉप 20 इन्फ्रा प्रोजेक्ट में रेलवे के अलावा पावर, कोल और परमाणु ऊर्जा से जुड़े प्रोजेक्ट हैं। इनमें पेट्रोलियम सेक्टर का एक मल्टी-स्टेट प्रोजेक्ट भी शामिल है। कोच्चि-कुट्टनाड-बंगलौर-मंगलौर पाइपलाइन फेज-2 के पूरा होने की शुरुआती डेडलाइन दिसंबर 2012 थी लेकिन अब इसके फरवरी 2025 में पूरा होने का अनुमान है।