पटना
आरसीपी सिंह को बेआबरू कर बाहर निकालने और पार्टी में इस तरह के विद्रोह को देखते हुए माना जा रहा है कि इसका असर आगामी चुनावों पर जरूर पड़ेगा। आरसीपी ने अब जेडीयू के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दोनों ओर से आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलना अभी बाकी है। हालांकि इसकी शुरुआत कल आरसीपी के इस्तीफे से हो चुकी है। लेकिन अब सवाल ये है कि आगे क्या? आरसीपी के करीबियों का कहना है पार्टी के अंदर के कुछ नेताओं ने आरसीपी सिंह के खिलाफ माहौल बनाया है। जिसका नतीजा अब पार्टी को ही भुगतना पड़ेगा। माना जा रहा है तलवार दोनों ओर से खींच चुकी है। आरसीपी की संपत्तियों का ब्योरा पार्टी की ओर से ही खंगाला जा रहा है। वहीं, आरसीपी भी नीतीश कुमार के राज़दार रहे हैं। करीबी रहे हैं। ऐसे में दोनों ओर से कई राज़ अभी बाहर आने वाले हैं। इस बात का अंदाजा लगाया जा रहा है कि जिस तरीके से जेडीयू की ओर से बेआबरू कर निकाला गया, आरसीपी भी पार्टी को बेपर्दा करने में जुट गए तो पार्टी आगामी चुनाव तक जेडीयू की स्थिति और खराब हो सकती है।
आगामी चुनाव पर पड़ेगा असर
कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हनुमान कहे जाने वाले पार्टी कद्दावर नेता रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने कल अपने पैतृक गांव मुस्तफापुर में पत्रकारों के सामने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही उन्होंने पार्टी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा भी खोल दिया है। उन्होंने पार्टी के सबसे बड़े नेता नीतीश कुमार के खिलाफ भी भड़ास निकाली। उन्होंने कहा कि वो सात जनम तक प्रधानमंत्री नहीं बन पाएंगे। साथ ही उन्होंने ललन सिंह को भूंजा खाने वाला नेता भी बता दिया। उन्होंने पार्टी के नेताओं पर भी गंभीर आरोप लगाए और नीतीश कुमार के नजदीकी नेताओं पर भी सवाल उठाया। उनकी कार्य प्रणाली पर सवाल उठाते हुए आरसीपी सिंह ने जेडीयू को डूबता हुआ जहाज बता दिया।
पार्टी को ‘बर्बाद’ करने वाले नेताओं की ओर इशारा
अपने इस्तीफे से पहले पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जो सवाल उठाए, वो पार्टी के हित को ध्यान में रख कर कही। उन्होंने बताया कि पार्टी के संगठन स्तर पर नीतीश कुमार के आसपास परिक्रमा करने वाले नेताओं की पकड़ है। उन्होंंने ये भी बताया कि पिछले कई सालों से संगठन का कोई काम नहीं हुआ है। इसके लिए उन्होंने नीतीश कुमार के करीबियोंं को जिम्मेदार बताया। इसमें उन लोगों के नाम शामिल है, जो लगातार मीडिया के सामने आकर आरसीपी सिंह के खिलाफ बयानबाजी कर रहे थे।
नीतीश कुमार और पार्टी को क्या हुआ हासिल?
अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि आरसीपी सिंह के पार्टी से बाहर चले जाने से नीतीश कुमार को क्या हासिल हुआ? नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह के संबंधों में खटास के बाद भी 7 जुलाई 2021 को केंद्र सरकार में मंत्री बने थे। इसके बाद नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह के बीच दूरियां आ गई थी। दरअसल, नीतीश कुमार नहीं चाहते थे कि आरसीपी सिंह केंद्रीय मंत्रिमंडल में जाएं लेकिन आरसीपी ने अपने नाम को ही आगे बढ़ा दिया था। तब वे जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। मंत्री बनने के बाद उन्हें पार्टी के अध्यक्ष का पद ललन सिंह को सौंपना पड़ा। इसके कुछ ही दिनों बाद उनकी दल और पार्टी संगठन से दूरी बढ़ने लगी। ऐसे में कई मसले ऐसे भी आए, जिसमें आरसीपी का बयान केंद्र सरकार के पक्ष में और दल की राय से अलग थे। उनके बयानों से ये अनुमान लगाया जाने लगा कि उनकी नजदीकियां बीजेपी से हो गई हैं। जिसका खमियाजा उन्हें भुगतना पड़ा। पार्टी की ओर आरसीपी सिंह के लिए ऐसी स्थिति बना दी गई, जिसके बाद उन्हें पार्टी से इस्तीफा देना पड़ा।
करीबियों ने बिगाड़ी आरसीपी की छवि
इधर, पार्टी के भीतर के लोगों और आरसीपी के करीबियों की बात मानी जाए तो उनका कहना है कि कुछ लोगों ने आरसीपी सिंह के खिलाफ साजिश की। नीतीश कुमार के सामने आरसीपी की छवि बिगाड़ी गई। उन्होंने पार्टी के बनने के समय से ही नीतीश कुमार का साथ दिया। पार्टी के एक पूर्व नेता ने कहा कि नीतीश कुमार के करीब घूमने वाले नेताओंं ने कभी पार्टी के लिए कोई काम नहीं किया। केवल परिक्रमा के दम पर पार्टी में हैं। उन्होंने कहा कि इससे नीतीश कुमार को कुुछ हासिल नहीं होने वाला। उल्टे पार्टी को नुकसान होगा।