नई दिल्ली
सीनियर एडवोकेट और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से कोई उम्मीद नहीं है। सिब्बल ने शीर्ष अदालत के हालिया फैसलों की खुलकर आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह सब बोलते हुए उन्हें अच्छा नहीं लग रहा है। सिब्बल ने कहा कि ‘मैंने यहां 50 साल प्रैक्टिस की है लेकिन अब यह कहने का वक्त आ गया है, अगर हम नहीं कहेंगे तो कौन कहेगा?’ वह एक संस्था की ओर से आयोजित पीपुल्स ट्रिब्यूनल में बोल रहे थे। कार्यक्रम का फोकस 2002 गुजरात दंगों और छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के नरसंहार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर था। सिब्बल ने अपने भाषण में इन दो फैसलों से इतर SC को कई और फैसलों के लिए भी आड़े हाथों लिया। समाजवादी पार्टी के समर्थन से राज्यसभा पहुंचे सिब्बल ने जाकिया जाफरी की याचिका खारिज करने के फैसले पर सवाल उठाए। प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (PMLA) के प्रावधानों को सही ठहराने वाले फैसले पर भी सिब्बल बिफरे। दिलचस्प बात यह है कि सिब्बल इन दो मामलों में खुद याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश हुए थे।
‘सुप्रीम कोर्ट पर कैसे करें भरोसा जब…’
कपिल सिब्बल ने अपने भाषण की शुरुआत में ही कहा कि सुप्रीम कोर्ट में 50 साल प्रैक्टिस करने के बाद अब उन्हें संस्था से कोई उम्मीद नहीं है। वरिष्ठ एडवोकेट ने कहा कि अगर मील के पत्थर जैसा कोई फैसला होता भी है तो उससे जमीनी हकीकत नहीं बदलती। उन्होंने सेक्शन 377 को असंवैधानिक करार देने के फैसले का जिक्र किया। बकौल सिब्बल, फैसले के बावजूद जमीन पर स्थितियां पहले जैसी ही हैं। PMLA से जुड़े फैसले पर सिब्बल ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट में आप भरोसा कैसे कर सकते हैं जब वह ऐसे कानूनों को वैध करार देता है।’
‘SC ने सीतलवाड़ को बेवजह लताड़ा’
बतौर वकील, कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में जाकिया जाफरी (गुजरात दंगों में मारे गए कांग्रेस सांसद अहसान जाफरी की विधवा) की पैरवी की। सिब्बल ने कहा कि उन्होंने सबूतों के साथ अदालत में यह बताया कि SIT ने अपनी जांच ठीक से नहीं की मगर सुप्रीम कोर्ट ने कुछ नहीं किया। जाकिया जाफरी पर SC के फैसले के बाद ऐक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ को अरेस्ट किया गया था। सिब्बल ने कहा कि सीतलवाड़ को लेकर अदालत के सामने कोई दलील नहीं दी गई थी फिर भी कोर्ट ने उनके खिलाफ टिप्पणियां की जिससे उनकी गिरफ्तारी हुई।
‘खास जजों को मिलते हैं खास केस’
सिब्बल ने बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामले ‘कुछ खास जजों को असाइन’ किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि फैसला क्या आएगा, यह भी पहले ही बताया जा सकता है। सिब्बल ने कहा कि भारत में आपको पहले FIRs के आधार पर गिरफ्तार कर लिया जाता है, फिर जांच शुरू होती है। उन्होंने कहा, ‘यह ब्रितानी परंपरा है। कानून ऐसा होना चाहिए कि जांच पहले हो और गिरफ्तारी बाद में। ऐसे कानून का तबतक कोई मतलब नहीं जबतक क्रिमिनल लॉ नहीं बदलता… मैं उस अदालत के बारे में इस तरह बात नहीं करना चाहता जहां मैंने 50 साल प्रैक्टिस की है लेकिन समय आ गया है। अगर हम नहीं करेंगे तो कौन करेगा। सच्चाई ऐसी है कि कोई संवदेनशील मसला हो वह मुट्ठीभर जजों के सामने रखा जाता है।’