‘कोर्ट नहीं आने के लिए स्वतंत्र’, सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाकर अपनों के बीच घिरे कपिल सिब्बल

नई दिल्ली

‘सुप्रीम कोर्ट से कोई उम्मीद नजर नहीं आती’…वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल के बयान पर बार एसोसिएशन और कानून मंत्री ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि हार के बाद न्यायिक व्यवस्था को दोष देना ठीक नहीं है। एआईबीए के अध्यक्ष आदिश अग्रवाल ने कहा कि सिब्बल का बयान अपमानजनक है।

वरिष्ठ अधिवक्ता और संसद सदस्य कपिल सिब्बल की सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कथित टिप्पणी पर उनकी ही बिरादरी से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। ऑल इंडिया बार एसोसिएशन (एआईबीए) के अध्यक्ष आदिश अग्रवाल ने कहा कि सिब्बल का बयान अपमानजनक है। उन्होंने कहा अदालत पेश किए गए तथ्यों को देखकर फैसला करती है, वे भारत के संविधान के प्रति निष्ठा रखते हैं। अग्रवाल ने कहा कि यदि उन्हें वास्तव में संस्था में उम्मीद की कमी महसूस होती है, तो वह अदालतों के सामने पेश नहीं होने के लिए स्वतंत्र हैं।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष एमके मिश्रा ने कहा कि कुछ मामले हारने के बाद न्यायिक व्यवस्था को दोष देना उचित नहीं है। उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता कि इस तरह के बयान की कोई सराहना कर सकता है। वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सांसद महेश जेठमलानी ने कहा कि संस्था को उच्च सम्मान में रखना चाहिए, क्योंकि यह एक वकील और सांसद होने का कर्तव्य है।

सीनियर एडवोकेट और राज्‍यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने एक कार्यक्रम में कहा कि उन्‍हें सुप्रीम कोर्ट से कोई उम्‍मीद नजर नहीं आ रही। सिब्‍बल ने शीर्ष अदालत के हालिया फैसलों की खुलकर आलोचना की। उन्‍होंने कहा कि यह सब बोलते हुए उन्‍हें अच्‍छा नहीं लग रहा है। सिब्‍बल ने कहा कि ‘मैंने यहां 50 साल प्रैक्टिस की है लेकिन अब यह कहने का वक्‍त आ गया है, अगर हम नहीं कहेंगे तो कौन कहेगा?’ वह एक संस्‍था की ओर से आयोजित पीपुल्‍स ट्रिब्‍यूनल में बोल रहे थे। कार्यक्रम का फोकस 2002 गुजरात दंगों और छत्‍तीसगढ़ में आदिवासियों के नरसंहार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर था।

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