बाड़मेर
राजस्थान में ओबीसी आरक्षण पर पंजाब कांग्रेस प्रभारी एवं पूर्व मंत्री हरीश चौधरी ने गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। हरीश चौधरी ने आज बाड़मेर में एक रैली को संबोधित करते हुए आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया। हरीश चौधरी प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि ओबीसी में विसंगतियों के दुरस्त करने का निर्णय होगा… होगा और होकर रहेगा। उल्लेखनीय है कि राजस्थान में ओबीसी आरक्षण बहाल करो की मुहिम चला रखी है। इस मुहिम का नेतृत्व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश चौधरी कर रहे हैं। हरीश चौधरी कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बेहद करीबी माने जाते हैं।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान में ओबीसी आरक्षण बहाल करो की मुहिम चला रखी है। इस मुहिम का नेतृत्व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश चौधरी कर रहे हैं। आज ओबीसी आरक्षण में 2018 में किए गए संशोधन के खिलाफ सोमवार को बाड़मेर जिला मुख्यालय से इस ओबीसी आरक्षण विसंगति को दूर करने को लेकर आंदोलन हुआ। हजारों की संख्या में युवा सड़क पर उतर आए। जहां पर पूर्व मंत्री और बायतु विधायक हरीश चौधरी और किसान नेता कर्नल सोनाराम चौधरी के नेतृत्व में हजारों की संख्या में युवाओं की भीड़ ने बाड़मेर जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन कर रैली निकाली और और जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर जल्द ओबीसी आरक्षण को बहाल करने की मांग की।
हरीश चौधरी बोले- आरक्षण हमारा हक
पूर्व मंत्री और बायतु विधायक हरीश चौधरी ने कहा कि जिस तरीके से युवा अपने हकों के प्रति जागरूक है, उससे यह लग रहा है कि हम चुनावों से पहले ही अपने हक और अधिकार की लड़ाई आरक्षण को बहाल करवा रहे हैं। वहीं किसान नेता कर्नल सोनाराम चौधरी ने धरना स्थल पर युवाओं की भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार ने समय रहते इस आदेश को वापस नहीं लिया तो युवाओं से जल्द जयपुर कुछ करने का आह्वान किया और सरकार से दो-दो हाथ करने की चेतावनी भी दे डाली, जिसके बाद युवाओं ने कर्नल सोनाराम चौधरी की बात का जबरदस्त समर्थन करते हुए जमकर नारेबाजी की।
रोस्टर फॉर्मूले पर हो रहा हंगामा
उल्लेखनीय है कि राजस्थान में सरकारी भर्तियों में रोस्टर फॉर्मूला 1997 में लागू किया गया था जिसके पीछे उद्देश्य था कि सरकारी नौकरियों के पदों में हर वर्ग को समान प्रतिनिधित्व दिया जा सके। वहीं रोस्टर फॉर्मुले से भर्ती को लेकर आरक्षित वर्गों के अभ्यर्थियों का कहना है कि उन्हें नुकसान झेलना पड़ता है। कई अभ्यर्थियों का कहना है कि सामान्य पदों पर चयन होने वाले आरक्षित वर्गों के अभ्यर्थियों की गणना सामान्य पदों में होनी चाहिए लेकिन 2010 के बाद से ऐसा नहीं हो रहा है जिसके चलते आरक्षित वर्ग के जिन अभ्यर्थियों का चयन सामान्य पदों पर हुआ उनकी गणना आरक्षित वर्ग में होती है जिससे आरक्षित यानि ओबीसी पदों की संख्या अगले साल के लिए कम हो जाती है। उदाहरण से समझें तो आरएएस भर्ती 2021 में सरकार की ओर से जारी विज्ञप्ति में ओबीसी के लिए पदों की जीरो थी लेकिन राजस्थान में ओबीसी वर्ग को 21 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है. हालांकि इस मामले पर विरोध के बाद आरएएस 2021 की भर्ती में ओबीसी वर्ग के लिए पदों की संख्या 15 की गई थी।