सेना को अब तक नहीं मिल पाया कॉर्नर शॉट वेपन सिस्टम, विश-लिस्ट में शामिल लेकिन खरीदने में देरी

नई दिल्ली

इंडियन आर्मी की विश लिस्ट में कॉर्नर शॉट वेपन सिस्टम करीब आठ साल से शामिल है लेकिन आर्मी को अभी तक यह नहीं मिल पाया है। कश्मीर में काउंटर टेररिज्म ऑपरेशंस का जिम्मा संभाल रही राष्ट्रीय राइफल के लिए 2014 में ही इसकी जरूरत बताई गई थी। उस वक्त यह सिर्फ इजरायल ही बनाता था। लेकिन कुछ साल पहले डीआरडीओ ने भी इसे डिजाइन कर लिया है और दो साल पहले ही दो स्वदेशी कंपनियों को तकनीक भी ट्रांसफर कर दी है। आर्मी की उत्तरी कमान की विश लिस्ट में कॉर्नर शॉट वेपन सिस्टम शामिल तो है लेकिन सूत्रों के मुताबिक अभी तक इसे खरीदने की कोई पहल नहीं हुई है। जबकि जम्मू-कश्मीर पुलिस को इसकी डिलीवरी भी शुरू हो गई है।

2014 में लेना था कॉर्नर शॉट वेपन
सूत्रों के मुताबिक आर्मी को 2014 में कॉर्नर शॉट वेपन सिस्टम लेना था। तब इजरायल से इसे लेने की बात हुई लेकिन यह मामला आगे नहीं बढ़ा और डीआरडीओ ने कहा कि वह इस सिस्टम को बना सकते हैं। डीआरडीओ ने इसे बनाया और जब आर्मी को दिखाया तो शुरू में इसमें डिस्पले की दिक्कत बताई गई। बाकी सारा सिस्टम ठीक था लेकिन गोली चलाते वक्त डिस्प्ले हिल जाता था। 2016 में आर्मी ने डीआरडीओ से कहा कि वह इसे ठीक करें और आर्मी इस सिस्टम को लेगी।

डीआरडीओ ने कॉर्नर शॉट वेपन के बारे में दी जानकारी
डीआरडीओ ने कॉर्नर शॉट वेपन सिस्टम के बारे में एनबीटी के सवाल के जवाब में कहा कि इसे हमारी पुणे बेस्ड यूनिट आर्मामेंट रिसर्च एंड डिवेलपमेंट इस्टेबलिस्टमेंट (एआरडीई) ने डिजाइन किया है। इसके दो वेरियंट डिजाइन किए गए हैं। एक 9 एमएम पिस्टल और दूसरा 40 एमएम अंडर बैरल ग्रेनेड लॉन्चर। इसमें वेपन, कैमरा, लेजर, आईआर इल्युमिनेटर और टॉर्च फ्रंट हिस्से में है। इसका डिस्प्ले, इलैक्ट्रॉनिक्स, बैटरी पीछे की तरफ है। यह दिन और रात में सटीकता से फायर कर सकता है। इसमें कलर डिस्प्ले, डिजिटल जूम, हाई पावर बैटरी है जिसका स्टेटस भी पता चलते रहता है। डीआरडीओ के मुताबिक इसके सफल यूजर ट्रायल हो गए हैं। इसका कई एजेंसी को डेमो भी दिया जा चुका है। सभी ट्रायल और मूल्यांकन के दौरान सिस्टम ने दिन और रात उत्कृष्ट फायर क्षमता दिखाई। डीआरडीओ ने इस तकनीक को दो इंडियन एजेंसी बीईई, पुणे और जेन टेक्नॉलजी, हैदराबाद को ट्रांसफर किया है।

कॉर्नर शॉट वेपन सिस्टम से कोनों में भी निशाना लगाया जा सकता है
सूत्रों के मुताबिक आर्मी की उत्तरी कमान ने जो विश लिस्ट बनाई है उसमें कई तरह के ड्रोन्स के अलावा कॉर्नर शॉट वेपन सिस्टम भी शामिल है। हालांकि अभी किसी कंपनी को इनकी खरीद का ऑर्डर नहीं दिया गया है। जम्मू-कश्मीर में आर्मी के साथ मिलकर काउंटर टेररिजम ऑपरेशन कर रही पुलिस ने इसकी खरीद की है और उन्हें कुछ दिन पहले ही डिलीवरी भी शुरू हो गई है। इस हथियार काउंटर इनसरजेंसी और काउंटर टेरर ऑपरेशन के लिए काफी मददगार बताया जा रहा है। क्योंकि जब एक छोटे स्पेस में मुठभेड़ होती है तो बिना एक्सपोज हुए, छिप कर वार करने में यह हथियार कारगार साबित होता है। कॉर्नर शॉट वेपन सिस्टम से कोनों में भी निशाना लगाया जा सकता है।

अगर हम किसी राइफल को देखें तो उससे सीधे दुश्मन को टारगेट कर निशाना लगता है लेकिन कॉर्नर शॉट वेपन सिस्टम के जरिए दायें या बांये या किसी कोने में भी निशाना लगाया जा सकता है। क्योंकि इसे मोड़ा जा सकता है और यह विडियो फीड भी लगातार कैप्चर करता है। इससे सैनिक को किसी भी अचानक हमले से बचाया जा सकता है। यह खासकर नजदीकी मुठभेड़ में उपयोगी होता है।

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