नई दिल्ली
पैगंबर मोहम्मद साहब के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता के खिलाफ देश भर में दर्ज एफआईआर और इस मामले में भविष्य में दर्ज होने वाले केस को दिल्ली पुलिस के पास ट्रांसफर करने का सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा को इस बात की लिबर्टी दे दी है कि वह मामले में दिल्ली में दर्ज केस के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट अप्रोच कर सकतीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही छानबीन पूरा होने तक नूपुर शर्मा को प्रोटेक्शन दे दिया है। 19 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा को जो प्रोटेक्शन दिया था उसे सुप्रीम कोर्ट ने छानबीन पूरी होने तक बढ़ा दी है।
नूपुर शर्मा को जान का खतरा
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश एडवोकेट मेनका गुरुस्वामी की उस दलील को ठुकरा दिया है जिसमें मेनका ने कहा था कि कोर्ट की मॉनिटरिंग में मामले में जॉ़इंट स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम जांच करे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मामले की छानबीन दिल्ली पुलिस की आईएफएसओ (साइबर क्राइम यूनिट) कर रही है और वह स्पेशलाइज्ड यूनिट है और वह उनकी छानबीन की सराहना करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आईएफएसओ को इस बात की लिबर्टी है कि वह अन्य राज्यों से छानबीन के सिलसिले में जानकारी मांग सकती है। सुप्रीम कोर्ट में तमाम केस दिल्ली पुलिस के हवाले किए जाने का भी विरोध किया गया। सुप्रीम कोर्ट को कहा गया कि मुंबई में पहला केस दर्ज हुआ था। गुरुस्वामी की दलील थी कि आरोपी की इच्छा के मुताबिक जूरिडिक्शन तय नहीं होना चाहिए। इस दौरान नूपुर शर्मा के वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि यह मामला अति विशेष है यहां नूपुर को जान का खतरा था इसलिए कोर्ट ने दखल दिया है।
भविष्य में दर्ज केस भी दिल्ली पुलिस के हवाले
सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई समेत देश भर के तमाम केस दिल्ली ट्रांसफर करने को कहा है और कहा है कि दिल्ली पुलिस सुनिश्चित करे कि मुंबई में दर्ज पहले केस की छानबीन साथ में करे। कोर्ट ने तमाम केस क्लब कर दिया है। मामले की छानबीन एसआईटी से हो इस दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस की आईएफएसओ छानबीन कर रही है और वह स्पेशलाइज्ड यूनिट है और छानबीन बेहतर की जा रही है। अन्य राज्यों से वह जानकारी ले सकती है ताकि छानबीन का निष्कर्ष तार्किक हो। सुप्रीम कोर्ट ने तमाम मौजूदा केस और भविष्य में इस विषय पर दर्ज होने वाले केस भी दिल्ली पुलिस के हवाले करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट से 19 जुलाई को मिली थी राहत
बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा को सुप्रीम कोर्ट से 19 जुलाई को बड़ी राहत मिल गई थी। पैगंबर मोहम्मद साहब के खिलाफ नूपुर शर्मा की आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में देश भर के राज्यों में दर्ज तमाम केसों में दडात्मक कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट में नुपुर शर्मा की ओर से कहा गया था कि उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही है और ऐसे में उनके लिए हाई कोर्ट जाना मुश्किल हो गया है साथ ही तमाम केसों को क्लब करने की गुहार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने देश भर के संबंधित राज्यों (जहां केस दर्ज हुआ है) और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर सुनवाई के लिए 10 अगस्त की तारीख तय कर दी थी। एक जुलाई को जस्टिस सूर्यकांत और पारदीवाला की बेंच ने नूपुर को इस मामले में कड़ी फटकार लगाई थी और जिसके बाद नूपुर ने याचिका वापस ले ली थी।
क्या था नूपुर शर्मा का बयान
नूपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद साहब के खिलाफ एक टीवी डिबेट के दौरान टिप्पणी की थी और इसके बाद देश भर में गुस्सा फूट पड़ा था । बाद में बीजेपी ने नूपुर को पार्टी से सस्पेंड कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में नूपुर शर्मा की ओर से अर्जी दाखिल कर देश भर में उनके खिलाफ दर्ज केस को एक साथ क्लब कर दिल्ली ट्रांसफर करने की गुहार लगाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने अर्जी पर रिलीफ देने से मना कर दिया था और याचिकाकर्ता को अर्जी वापस लेने की इजाजत देते हुए अर्जी खारिज कर दी।
एक जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की इसी बेंच ने नूपुर के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की थी
एक जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी नेता नूपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद साहब के खिलाफ दिए गए बयान को बेहद परेशान करने वाला बताया था और कहा था कि देश भर में जो भी घटनाएं हो रही है उसके लिए नूपुर का बयान जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नूपुर का बयान या तो सस्ती लोकप्रियता के लिए दिया गया या फिर राजनीतिक एजेंडे के तहत बयान है। अदालत ने कहा था कि मोहम्मद साहब के खिलाफ जो गैर जिम्मेदाराना और विवादास्पद बयान नूपुर ने दिया है उसके कारण देश भर में आग लग गई। अकेले नूपुर का बयान देश में जो हो रहा है उसके लिए जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उदयपुर सहित देश भर में जो भी घटनाएं हो रही है उसके लिए नूपुर शर्मा का बयान अकेले जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच के सामने बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता ने अपने खिलाफ देश भर में दर्ज केस एक जगह दिल्ली ट्रांसफर करने की गुहार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस के खिलाफ सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि अभी तक नूपुर के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई। शीर्ष अदालत ने कहा कि नूपुर शर्मा को अपने बयान के लिए बिना शर्त देश से माफी मांगनी चाहिए थी।
117 नामचीनों ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर ऐतराज जताया था
बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद अब देश भर के 15 रिटायर जस्टिस समेत 117 नामचीन शख्सियत ने ओपन लेटर जारी कर सुप्रीम कोर्ट की मौखिक टिप्पणी पर ऐतराज जताया और कहा था कि लोकतंत्र में सभी संस्थान अगर अपनी ड्यूटी संविधान के तहत करे तो वह अक्षुण्ण रहेगा। लेटर में कहा गया है कि नूपुर केस में हाल में सुप्रीम कोर्ट जज की मौखिक टिप्पणी के कारण लक्ष्मण रेखा पार किया गया है इसी कारण ओपन लेटर लिखना पड़ा है।
ढींगड़ा समेत अन्य पर कंटेप्ट चलाने की नहीं मिली थी इजाजत
बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर ऐतराज जताने वाले हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस एस एन ढींगड़ा और दो सीनियर एडवोकेट पर कंटेप्ट की कार्रवाई शुरू करने की मंजूरी देने से अटॉर्नी जनरल ने इनकार कर दिया था। नूपुर शर्मा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ आलोचना करने के मामले में हाई कोर्ट के रिटायर जस्टिस एसएन ढींगड़ा, सीनियर एडवोकेट अमन लेखी और सीनियर एडवोकेट राम कुमार के खिलाफ कंटेप्ट कार्रवाई के लिए अटॉर्नी जनरल को लेटर लिखकर उनसे इसके लिए मंजूरी देने की गुहार लगाई गई थी। 14 जुलाई कोअटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इन तीनों के खिलाफ कंटेप्ट कार्रवाई शुरू करने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा कि इन तीनों ने जो बयान दिया है वह न तो अपमानजनक और न ही न्यायिक प्रक्रिया में दखल का प्रयास है।
अब नूपुर शर्मा की नई याचिका
नूपुर की ओर से नई याचिका में केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकारों को प्रतिवादी बनाया गया है और एक जुलाई की अपनी याचिका को रिवाइव करते हुए गुहार लगाई है कि उसे प्रोटेक्शन दिया जाए। याचिका में तमाम दर्ज केस एक साथ क्लब करने की गुहार लगाई गई थी और जीवन को खतरा बताया गया था। याचिका में कहा गया है कि एक जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान अदालत ने जो टिप्पणी की थी उसे व्यापक तौर पर रिपोर्ट किया गया। उसके बाद एक वीडियो सर्कुलेट कर उसे जान से मारने की धमकी की जा रही है। एक वीडियो में कहा गया है कि नूपुर का गला काटा जाना चाहिए साथ ही उस शख्स ने गोली मारने की भी धमकी दी है। लगातार जान को खतरा है ऐसे में बदली हुई परिस्थितियों में सुप्रीम कोर्ट उन्हें राहत दे।