पटना
बिहार में नीतीश कुमार के अचानक बीजेपी का साथ छोड़कर आरजेडी के साथ सरकार बनाने का फैसला सबको चौंका रहा था। विश्लेषक इसे बीजेपी और जेडीयू के बीच अंदरूनी कलह बता रहे हैं। लेकिन जो नीतीश कुमार की राजनीति को जानते हैं वो ये भी जानते हैं कि नीतीश को यूं ही ‘चाणक्य’ नहीं कहा जाता है। नीतीश के इस फैसले के पीछे एक सोची-समझी रणनीति है। जो ऐसा लगता है कि 2020 विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद से ही शुरू हो गई थी। आप कुछ सवाल और उनके जवाबों से समझिए कि नीतीश ने कितनी लंबी चाल चली है..
6 सवालों में समझिए नीतीश के पाला बदलने की कहानी
सवाल- नीतीश ने ऐसा क्यों किया?
जवाब-नीतीश कुमार ने पूरी योजना के साथ ये दांव चला है। इस वक्त देश में पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक मजबूत विपक्ष की कमी साफ दिख रही है। नीतीश ने अब अपना लक्ष्य बदल लिया है। वह पिछले करीब 17 साल से (कुछ वक्त को छोड़कर) लगातार बिहार के सीएम हैं। उनकी उम्र 71 साल की हो चुकी है। जाहिर है कि वह उम्र की उस दहलीज पर हैं आगे उन्हें पाने के लिए एक ही पद है और वह है प्रधानमंत्री का पद। तो उन्होंने उस दिशा में अब कदम बढ़ा दिए हैं।
सवाल-इसी समय क्यों किया?
जवाब- दरअसल, नीतीश कुमार ने यह फैसला भी काफी सोच-विचारकर लिया है। वह आहिस्ते, आहिस्ते पीएम पद की रेस में कदम बढ़ाना चाहते हैं। अगर वो यह फैसला एक 2023 में लेते तो उनपर पदलोलुप होने का आरोप लगता। अभी राज्य सरकार का कार्यकाल करीब पौने तीन साल का बचा हुआ है। ऐसे में वह अभी ये फैसला करके ये भी दिखाना चाहते हैं कि उनको पद की लालसा नहीं है बल्कि वह अपने रास्ता खुद बना रहे हैं।
सवाल- नीतीश के लिए क्या चांस?
जवाब- अगर मौजूदा राजनीतिक हालात की बात करें तो नीतीश कुमार के पास बड़ा मौका है। अभी विपक्षी कुनबा पूरी तरह बिखरा हुआ है। ऐसे में नीतीश ने दबे पांव उस रेस में एंट्री कर ली है, जो खाली है। उन्हें मालूम है कि बिखरे विपक्षी कुनबे में वह बढ़त बना सकते हैं। अगर पीएम पद की रेस में वह आगे बढ़ते हैं तो उनके लिए बहुत ज्यादा दिक्कत नहीं होगी।
सवाल- लालू से होगी डील?
जवाब- खबरों के मुताबिक, नीतीश कुमार ने लालू यादव से पीएम उम्मीदवारी पर दावेदारी को लेकर आश्वासन ले लिया है। इसमें लालू यादव को भी फायदा होगा। पहला तो तेजस्वी के सीएम बनने का रास्ता साफ हो जाएगा, दूसरा वो अपने पुराने साथी को पीएम पद की रेस में आगे बढ़ा सकते हैं। माना जा रहा है कि लालू यादव नीतीश के लिए लॉबिंग भी कर सकते हैं।
सवाल- नीतीश का एग्जिट प्वाइंट क्या होगा
जवाब- ये सवाल सभी के जेहन में है। दरअसल, सूत्रों के हवाले से ऐसी खबरें हैं कि नीतीश कुछ समय तक सीएम रहकर तेजस्वी यादव को यह कुर्सी छोड़ सकते हैं। माना जा रहा है कि नीतीश 2023 के मध्य में ऐसा फैसला कर सकते हैं। तबतक वह अपनी उम्मीदवारी को मजबूत बना सकते हैं। एकबार उस दिशा में आगे बढ़ने के बाद एक साल तक वह देश में अपने काम और उपलब्धियों को दिखाकर दावा मजबूत कर सकते हैं।
सवाल- क्या रेस के लिए जुटेंगे विपक्षी?
जवाब- विपक्ष तो इस वक्त पूरी तरह से छितराया हुआ है। शरद पवार महाराष्ट्र की राजनीति में उलझे हुए हैं। ममता बनर्जी ने कई कारणों से अब केंद्र सरकार के प्रति नरम रुख अपना लिया है। केसीआर जरूर पीएम मोदी पर निशाना साध रहे हैं लेकिन नीतीश के नाम पर वो भी शायद ही इनकार कर पाएं। अखिलेश यादव तो तैयार बैठे हैं। रही बात कांग्रेस की तो वो खुद ईडी के जाल में फंसी है। अगर पीएम मोदी के सामने कोई मजबूत कैंडिडेट सामने आ जाएगा तो कांग्रेस शायद मान भी जाए।