पटना
32 साल के तेजस्वी प्रसाद यादव ने जुलाई में अपने हाथों से पिता की जीप को धक्का दिया और खींच लिया। क्रिकेट के छक्के मारे, तो किसी ने अनुमान नहीं लगाया कि वो अगले पखवाड़े में अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर भारी पड़ जाएंगे। कहा गया कि वो वजन कम करने के लिए पीएम मोदी की सलाह पर ध्यान दे रहे थे। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के छोटे बेटे ने बुधवार को मंत्री के रूप में शपथ ली। एक विश्लेषक ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि उन्होंने अपनी ताकत कहीं और दिखाई और रिजल्ट राजनीतिक क्षेत्र में निकला। उन्हें दूसरी बार बिहार का डिप्टी सीएम बनाया गया।
‘ऑपरेशन तेजस्वी’ के आगे बीजेपी फेल
वैसे, राष्ट्रीय जनता दल ने हमेशा तेजस्वी को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किया। 2017 में नीतीश कुमार ने तेजस्वी को छोड़ दिया था तो उन्होंने बड़ी परिपक्वता दिखाई है और एक तरह से बिहार की राजनीति पर शासन करने का अवसर भी हासिल किया। हाल ही में राज्य में जो भी राजनीतिक डेवेलपमेंट हुआ, उसे ‘ऑपरेशन तेजस्वी’ कहा जा सकता है। बीजेपी को अंत तक समझ में नहीं आया कि उन्हें किस चीज ने चोट पहुंचाई है।
क्रिकेट से राजनीति का रूख
अब चर्चा ये है कि ‘युवा यादव वंशज’ ने एक बार फिर खुद को बीमार लालू का सही राजनीतिक उत्तराधिकारी साबित किया। एक क्रिकेटर जो चार सीजन (2008-12) के लिए दिल्ली डेयरडेविल्स के साथ रहा। 2012 में जब वो राज्य का दौरा कर रहा था, तब उसे क्रिकेट के मैदान से बाहर कर दिया गया। फिर वो क्रिकेट ग्राउंड से बिहार के पॉलिटिकल बैटलफील्ड में आ गया। सार्वजनिक स्वास्थ्य, शिक्षा, शराबबंदी, नौकरी, विकास उस अभियान के मुहावरे थे। जो बाद के सालों में भी आरजेडी के साथ बने रहे। ‘शराब नहीं किताब चाहिए, मधुशाला नहीं पाठशाला चाहिए’ जैसे नारे लगे।
‘एक महीने के भीतर बंपर जॉब देंगे’
बुधवार को दूसरी पारी की शुरुआत के साथ ही तेजस्वी ने एक बार फिर आह्वान किया। युवाओं को एक महीने के भीतर सरकारी नौकरी देने के वादे को दोहराया। उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश कुमार के साथ मिलकर वो दिन-रात काम करेंगे। हमारी लड़ाई बेरोजगारी के खिलाफ रही है। हमारे सीएम ने गरीबों और युवाओं का दर्द महसूस किया। हम गरीबों और युवाओं को एक महीने के भीतर बंपर जॉब देंगे। ये कुछ इतना बेहतर होगा कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ होगा।
राजनीतिक रूप से बुद्धिमान हैं- शिवानंद
2015 में तेजस्वी यादव पूरी तरह से नेता बन गए। राघोपुर से विधानसभा चुनाव जीते। 26 साल की उम्र में महागठबंधन सरकार में डेप्युटी सीएम बने। हालांकि वो लंबे समय तक इसे जारी नहीं रह सके क्योंकि नीतीश ने राजद से नाता तोड़ लिया। 2017 में नीतीश ने बीजेपी से हाथ मिला लिया था। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि ‘मैंने उन्हें विकसित होते देखा है। 2020 के चुनावों में, उन्होंने भाजपा की ओर से सांप्रदायिक मुद्दों को लाने के बावजूद रोजगार को एक इश्यू बनाया। इससे पता चलता है कि वो राजनीतिक रूप से बुद्धिमान हैं…उन्होंने भाजपा को रोजगार जैसे वास्तविक मुद्दों पर बात करने के लिए मजबूर किया।’