नई दिल्ली
अमेरिका कई बार मंदी का सामना कर चुका है। उस पर फिर यह खतरा मंडरा रहा है। हर बार ऐसा होने पर भारतीय बाजारों पर मंदड़िये हावी हो गए। घरेलू बाजारों में इन्होंने ताबड़तोड़ बिकवाली की। लेकिन, इस बार यह ट्रेंड टूटेगा। यानी अमेरिका के मंदी में जाने पर भारत में बिकवाली नहीं दिखेगी। मॉर्गन स्टेनले के एमडी रिधम देसाई ने यह बात कही है। उन्होंने ऐसा न होने के पीछे कई कारण बताएं हैं।
हमारे सहयोगी न्यूज चैनल ईटी नाउ के साथ खास बातचीत में देसाई ने कई अहम पहलुओं पर रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि हर बार जब अमेरिका मंदी की चपेट में आया तो भारत में बिकवाली का दौर देखने को मिला। लेकिन, इस बार शायद ऐसा नहीं हो।
देसाई ने कहा कि अमेरिका में मंदी का मतलब भारत में मंदड़ियों के हावी होने का दौर आना होता है। वह बोले, ‘मैं यह कहता हूं कि अगर अमेरिका अगले साल या इस साल के अंत में मंदी की चपेट में आता है, तो हमें इस बार शायद भारत में ‘बेयर फेज’ यानी बिकवाली का दौर देखने को नहीं मिलेगा। घरेलू बाजार में यही एक बड़ा बदलाव हुआ है।’ देसाई ने पिछले पांच या छह सालों में लागू किए गए तीन प्रमुख नीतिगत बदलावों पर रोशनी डाली। उनके मुताबिक, इन बदलावों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है।
तीन बदलाव जो बन गए हैं चट्टान
देसाई ने कहा कि 2015 में पहले कुछ बदलाव हुए। सरकार ने आरबीआई को सिर्फ महंगाई पर फोकस करने के लिए कह दिया। दूसरा, प्रधानमंत्री ने पॉलिसी के जरिये भारत में रिटायरमेंट फंडों, नेशनल पेंशन स्कीम और प्रॉविडेंट फंडों को पहली बार शेयरों में निवेश करने की अनुमति दी। तीसरी अहम चीज कॉर्पोरेट प्रॉफिट की ओर रुख करना था। यह बदलाव सितंबर 2019 में हुआ था। सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्सेज में काफी कटौती करके चौंका दिया। इसने कॉर्पोरेट प्रॉफिट को जीडीपी में सुधार के लिए प्लेटफॉर्म दिया।
नया भारत कई चीजों से अछूता
देसाई का मानना है कि ऊर्जा, खपत से संबंधित क्षेत्रों और इन्फ्रास्ट्रक्चर में भारी मात्रा में पूंजीगत खर्च देखने को मिलेगा। इससे ज्यादा समृद्धि आएगी। यह नया भारत है जो अब यूरोपीय या अमेरिकी संकट से ज्यादा अछूता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और चीन ने शायद पॉलिसी के स्तर पर कुछ गलतियां की हैं। ऐसे में उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। हम वास्तव में बाकी दुनिया से बहुत अलग दिख रहे हैं।