पटना
बिहार में शनिवार को खबर उड़ी कि पशुपति पारस गुट के तीन लोजपा सांसद महबूब अली कैसर, वीणा देवी और चंदन सिंह एलजेपी और एनडीए छोड़कर महागठबंधन के पाले में आ सकते हैं और नीतीश कुमार की जेडीयू में शामिल हो सकते हैं। लेकिन शाम होते-होते वीणा देवी और चंदन सिंह का बयान आ गया कि वे लोग एनडीए में थे, एनडीए में हैं और एनडीए में ही रहेंगे। माना जा रहा है कि जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह के ऑपरेशन एनडीए में दलबदल कानून आड़े आ गया है क्योंकि छह सांसदों वाली लोजपा को तोड़ने के लिए चार सांसद की जरूरत होगी।
जनता के बीच भले पशुपति पारस और चिराग पासवान की लोजपा अलग-अलग हो लेकिन लोकसभा के रिकॉर्ड में दोनों एक ही हैं। लोकसभा में लोक जनशक्ति पार्टी के 6 सांसद हैं जिसमें पारस गुट के 5 सांसदों के साथ-साथ चिराग भी शामिल हैं। ऐसे में दलबदल कानून के मुताबिक लोजपा में टूट के लिए तो तिहाई यानी कुल 4 सांसदों का एक साथ होना जरूरी है।
बिहार में जो खबर उड़ी उसमें महबूब अली कैसर, वीणा देवी और चंदन सिंह का नाम चला। चौथे सांसद को जुगाड़ करना इनके लिए मुश्किल होगा क्योंकि बाकी तीन पासवान परिवार के हैं। इन तीन में एक तो खुद केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस हैं जो नीतीश के एनडीए छोड़ने के बाद कह चुके हैं कि लोजपा एनडीए में रहेगी। दूसरे हैं चिराग पासवान जो लोजपा के दूसरे गुट के इकलौते सांसद हैं। चिराग की नीतीश से इस समय तो सीधी अदावत है और दोनों एक साथ आ सकें ऐसा माहौल भी नहीं है।
तीसरे हैं प्रिंस राज जो पारस के भतीजे और चिराग के चचेरे भाई हैं। चूंकि पारस या चिराग का फिलहाल नीतीश की तरफ आना संभव नहीं है ऐसे में इन तीन सांसदों की आखिरी उम्मीद प्रिंस राज हैं। जब तक प्रिंस राज इन तीनों के साथ आने को तैयार नहीं होते हैं तब तक किसी के लिए भी लोजपा छोड़ना मुश्किल है।
चलते-चलते ललन सिंह का एक पुराना बयान याद दिला दें। ललन सिंह ने एक बार कहा था कि वो होम्योपैथ के डॉक्टर हैं और जब बीमारी का इलाज करते हैं तो जड़ से खत्म कर देते हैं। चिराग पासवान और लोजपा जेडीयू के सामने एक बीमारी है जिसका इलाज पार्टी के होम्योपैथ डॉक्टर साहब खोज रहे हैं।