नई दिल्ली,
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी प्रो. अनीता बोस फाफ ने भारत सरकार से मार्मिक अपील की है. उन्होंने सरकार से नेताजी सुभाष चंद्र बोस के अवशेषों को जापान से वापस भारत लाने का आग्रह किया है. अनीता ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रमुख नायकों में से एक सुभाष चंद्र बोस भी हैं. हालांकि, वे अभी तक अपनी मातृभूमि वापस नहीं लौटे हैं. ऐसे में सरकार को उनकी आखिरी ख्वाहिश देश में लौटने की रही है.
अनीता ने कहा कि इंडियन नेशनल आर्मी (INA) और उनके साथी प्यार से और सम्मानपूर्वक उन्हें नेताजी के नाम से पुकारते थे. उन्होंने जीवनभर देश के अंदर स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया. उन्होंने इस संघर्ष के लिए बहुत त्याग किया- जिसमें उनके मन की शांति, पारिवारिक जीवन, उनका करियर और अंततः उनका जीवन शामिल रहा.
देशवासियों में उनके समर्पण और बलिदान के लिए आज भी प्रेम है. यही वजह है कि नेताजी के जगह-जगह स्मारकों के निर्माण कराए गए और उनकी स्मृति को आज तक जीवित रखा गया है. हाल ही में एक और भव्य स्मारक बनाया गया है. भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर 15 अगस्त, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नई दिल्ली में इसका अनावरण करने जा रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा कि नेताजी के प्रति इतना गहरा स्नेह और प्रेम है कि भारत में आज भी लोग ना सिर्फ उनको याद करते हैं, बल्कि कुछ लोग ये उम्मीद भी करते हैं कि 18 अगस्त 1945 को एक हवाई जहाज दुर्घटना में उनकी मृत्यु नहीं हुई थी और एक दिन वे अपनी स्वतंत्र मातृभूमि लौटकर आएंगे. लेकिन आज हमारे पास 1945 और 1946 की विस्तृत जांच की रिपोर्ट है. इससे पता चलता है कि नेताजी की मृत्यु उस दिन विदेश में हुई थी.
अनीता ने कहा कि जापान ने टोक्यो के रेनकोजी मंदिर में नेताजी के अवशेषों को एक ‘अस्थायी’ जगह पर रखा है. यहां देखभाल करने वाली तीन पीढ़ियां गुजर गई हैं. जापानी लोगों के मन में सम्मान भी देखा जाता है. जापान के अधिकांश प्रधानमंत्रियों समेत कई भारतीय नेताजी को श्रद्धांजलि देते आए हैं.
आधुनिक तकनीक में अब डीएनए टेस्ट होने लगा है. बशर्ते डीएनए को अवशेषों से निकाला जा सके. जिन लोगों को अभी भी संदेह है कि नेताजी की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को नहीं हुई थी, उनके लिए ये वैज्ञानिक प्रमाण महत्वपूर्ण होगा. अभी लोगों में संदेह है कि टोक्यो के रेनकोजी मंदिर में रखे गए अवशेष नेताजी के नहीं हो सकते हैं.
उन्होंने कहा कि रेनकोजी मंदिर के पुजारी और जापानी सरकार इस तरह के परीक्षण के लिए सहमत है, जैसा कि नेताजी की मृत्यु (जस्टिस मुखर्जी जांच आयोग) की अंतिम सरकारी भारतीय जांच रिपोर्ट में दिखाया गया है. तो चलिए अंत में नेताजी को घर वापस लाने की तैयारी करते हैं.
अनीता ने पत्र में ये भी लिखा- दरअसल, नेताजी के लिए अपने जीवन में देश की आजादी से ज्यादा कुछ महत्वपूर्ण नहीं था. वह विदेशी शासन से मुक्त भारत में रहने के अलावा और कुछ भी नहीं चाहते थे. चूंकि, उन्होंने स्वतंत्रता के आनंद का अनुभव करने के लिए नहीं जीया, इसलिए समय आ गया है कि कम से कम उनके अवशेष भारतीय जमीन पर लौट सकें. नेताजी की इकलौती संतान के रूप में मैं ये सुनिश्चित करने के लिए अपील कर रही हूं कि उनकी सबसे प्रिय इच्छा, स्वतंत्रता में अपने देश लौटने की थी. आखिरकार इस रूप में ये इच्छा पूरी होगी और उन्हें सम्मानित करने के लिए उपयुक्त समारोह किए जाएंगे.
उन्होंने आगे कहा कि आज सभी भारतीय, पाकिस्तानी और बांग्लादेशी स्वतंत्रता में रह सकते हैं. मैं आप सभी को अपने भाइयों और बहनों के रूप में नमन करती हूं और मैं आपको नेताजी को घर लाने के मेरे प्रयासों का समर्थन करने के लिए आमंत्रित करती हूं