सूख रही नदी से बाहर आए पत्थर, इनपर लिखी थी आने वाले सूखे की चेतावनी

चेक गणराज्य,

यूरोप इस वक्त भयानक सूखे के दौर से गुजर रहा है. लेकिन सदियों पहले इस कठिन समय के बारे में चेतावनी दे दी गई थी, जो अब नदियों के सूखने की वजह से सामने आई है. आने वाली पीढ़ियों को इस कठिन समय की चेतावनी देने के लिए सदियों पहले, पत्थरों पर चेतावनी को उकेरा गया था. मियामी हेराल्ड के मताबिक, स्थानीय लोगों का कहना है कि सूखे की वजह से नदियों का पानी सूख जाने से सदियों पुराने पत्थर, जिन्हें ‘हंगर स्टोन्स’ कहा जाता है, हाल ही में दिखने लगे.

ऐसा ही एक पत्थर एल्बे नदी (Elbe River) के तट पर है. एल्बे नदी, चेक गणराज्य से शुरू होती है और जर्मनी से होती हुई बहती है. यहां बाहर आया पत्थर 1616 का है और इसपर जर्मन में एक चेतावनी को उकेरा गया है. इसपर लिखा है कि ‘Wenn du mich seehst, dann weine’ यानी ‘अगर आप मुझे देखेंगे तो रोएंगे.’2013 में किए गए एक शोध के मुताबिक, इन पत्थरों को कठिन दौर के सालों में तराशा गया था, और इसे लिखने वाले इतिहास में कहीं खो गए हैं. यह शिलालेख सूखे के परिणामों की चेतावनी देते हैं.

शोधकर्ताओं ने लिखा था कि यह शिलालेख बताते हैं कि सूखे की वजह से फसल खराब हुई, भोजन की कमी हुई, कीमतें बढ़ीं और गरीब लोग भूखे रहे. शिलालेख पर लिखा है कि 1900 से पहले इन सालों में सूखा आया- 1417, 1616, 1707, 1746, 1790, 1800, 1811, 1830, 1842, 1868, 1892 और 1893.

एनपीआर के मुताबिक, ये हाइड्रोलॉजिकल लैंडमार्क पिछली बार 2018 के सूखे के दौरान सामने आए थे. लेकिन यूरोपीय आयोग के संयुक्त अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ शोधकर्ता एंड्रिया टोरेती के मुताबिक, यूरोप इस वक्त जिस सूखे से जूझ रहा है, वह 500 सालों का सबसे खराब सूखा हो सकता है. उन्होंने कहा कि अगले तीन महीनों में स्थिति और खराब हो सकती है.European Drought Observatory के मुताबिक, यूरोप का 47 प्रतिशत हिस्सा सूखे की चेपेट में है. 17 प्रतिशत हिस्सा अलर्ट पर है, जिसका मतलब है कि मिट्टी में नमी की कमी है, फसल और पेड़ पौधे प्रभावित हो रहे हैं.

About bheldn

Check Also

डॉक्टर बना हैवान! सदर अस्पताल से 2 मरीजों को बाहर फिकवाया, मौत के बाद खुला राज तो 7 पर FIR

औरंगाबाद औरंगाबाद के सदर अस्पताल में एक बेहद ही दर्दनाक और अमानवीय घटना सामने आई …