बिल्किस के रेपिस्ट ‘ब्राह्मण’ और उनमें अच्छे संस्कार थे’, भाजपा MLA का बयान

गोधरा

गुजरात के गोधरा से भाजपा के मौजूदा विधायक सीके राउलजी का कहना है कि बिल्किस बानो के बलात्कार के दोषी 11 लोग “ब्राह्मण” थे और उनके “अच्छे संस्कार” थे। बता दें कि गोधरा कांड के बाद 2002 में दंगों के दौरान बिल्किस बानो से सामूहिक बलात्कार किए जाने के मामले में उम्रकैद की सजा पाए सभी 11 दोषियों को सोमवार को गोधरा उप-कारागार से रिहा कर दिया गया। गुजरात सरकार ने अपनी क्षमा नीति के तहत इनकी रिहाई की मंजूरी दी।

सीके राउलजी उन दो भाजपा नेताओं में से एक थे, जो गुजरात सरकार के उस पैनल का हिस्सा थे, जिसने सर्वसम्मति से बलात्कारियों को रिहा करने का फैसला किया। यह फैसला तब लिया गया जब एक दोषी ने छूट की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य से इस पर फैसले लेने के लिए कहा था। भाजपा विधायक सीके राउलजी ने एक रिपोर्टर से कहा, “मुझे नहीं पता कि उन्होंने कोई अपराध किया है या नहीं। लेकिन अपराध करने का कोई इरादा तो होना चाहिए।” विधायक ने इंटरव्यू में कहा, “वे ब्राह्मण थे और ब्राह्मण अच्छे संस्कार के लिए जाने जाते हैं। हो सकता है कि किसी का गलत इरादा उन्हें घेरने और दंडित करने का रहा हो।” उन्होंने कहा कि जेल में रहने के दौरान दोषियों का आचरण अच्छा था।

टीआरएस के सोशल मीडिया संयोजक ने ये वीडियो शेयर करते हुए केंद्र पर निशाना साधा है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लाल किले की प्राचीर से महिला सशक्तिकरण की बात करने के कुछ घंटे बाद, बलात्कारी स्वतंत्रता दिवस पर आजाद हुए थे। कुछ ही समय बाद, कुछ दक्षिणपंथी समूहों द्वारा उनका गर्मजोशी से स्वागत करने वाले वीडियो भी सामने आए।

तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) की विधान परिषद सदस्य के. कविता ने 2002 गुजरात दंगों में बिल्किस बानो के सामूहिक बलात्कार के 11 दोषियों का ‘‘स्वागत किए जाने’’ का जिक्र करते हुए कहा कि जेल से छूटकर आए बलात्कारियों और हत्यारों का एक विशेष विचारधारा के लोगों द्वारा स्वागत किया जाना एक सभ्य समाज के मुंह पर तमाचा है। तेलंगाना विधान परिषद की सदस्य कविता ने ट्वीट किया कि इस अत्यंत खतरनाक परंपरा को शुरुआत में ही रोक देना जरूरी है।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘एक स्त्री होने के नाते मैं बिल्कीस बानो के दर्द और भय को महसूस कर सकती हूं। जेल से छूटकर आने पर बलात्कारियों एवं हत्यारों का जिस तरह से सम्मान किया गया, वह सभ्य समाज के मुंह पर एक तमाचा है। विरासत का रूप लेने से पहले इस बेहद खतरनाक परंपरा को रोकना जरूरी है।’’

तीन मार्च, 2002 को गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका के रंधिकपुर गांव में भीड़ ने बिल्कीस बानो के परिवार पर हमला किया था। बिल्कीस उस समय पांच महीने की गर्भवती थीं। उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई।

ऐसा बताया जा रहा है इस मामले में रिहा किए गए कैदियों के संबंधियों एवं एक संगठन के सदस्यों ने मिठाइयां बांटकर और हार पहनाकर उनका स्वागत किया। इधर आलोचनाओं के के बीच, गुजरात सरकार ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि उसने 1992 की नीति के अनुसार रिहाई की याचिका पर विचार किया। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था, क्योंकि 1992 की नीति 2008 में दोषसिद्धि के समय प्रभावी थी।

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