नई दिल्ली
भारतीय वायुसेना (IAF) ने शुक्रवार को कहा कि उसने ऑस्ट्रेलिया में अपने लड़ाकू विमान भेजे हैं। वायुसेना ने कहा कि उसका दल ऑस्ट्रेलिया में ‘पिच ब्लैक’ नाम से हो रहे सैन्य अभ्यास (एक्सरसाइज) में हिस्सा लेने के लिए गया है। ‘पिच ब्लैक’ हर दो साल में होने वाला वायु युद्ध अभ्यास है। इसमें 17 देश अपनी हवा से हवा में ईंधन भरने की क्षमताओं को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। ‘एक्सरसाइज पिच ब्लैक 2022’ को रॉयल ऑस्ट्रेलियाई वायु सेना (आरएएएफ) द्वारा आयोजित किया जा रहा है। बहुराष्ट्रीय अभ्यास शुक्रवार से शुरू होकर 8 सितंबर तक आयोजित किया जा रहा है।
ग्रुप कैप्टन वाईपीएस नेगी के नेतृत्व में भेजी गई भारतीय वायुसेना की टुकड़ी में 100 से अधिक वायु योद्धा शामिल हैं। इन योद्धाओं को चार सुखोई-30 MKI लड़ाकू विमानों और दो C-17 रणनीतिक परिवहन विमानों के साथ तैनात किया गया है। IAF ने कहा कि वे एक मुश्किल परिस्थितियों में मल्टी-डोमेन, एयर-कॉम्बैट मिशन को पूरा करेंगे और भाग लेने वाली अन्य वायु सेनाओं के साथ सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान करेंगे।
भारतीय वायुसेना ने पहली बार 2018 में अपने विमानों के साथ इस अभ्यास में भाग लिया था। उससे पहले तक IAF की भागीदारी एक पर्यवेक्षक के रूप में होती थी। अभ्यास का 2020 संस्करण महामारी के कारण रद्द कर दिया गया था। ऑस्ट्रेलिया के रक्षा विभाग के एक प्रेस बयान में अभ्यास कमांडर, एयर कमोडोर टिम अलसॉप के हवाले से कहा गया है, “पिच ब्लैक लड़ाकू युद्ध परिदृश्यों को देखते हुए एक बड़ा अभ्यास है। इस वर्ष, भाग लेने वाले कई देशों के बीच हवा से हवा में ईंधन भरने की क्षमता को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं।” अभ्यास में दिन और रात दोनों ऑपरेशन शामिल हैं।
एयर कमोडोर अलसॉप ने कहा, “हवा से हवा में ईंधन भरना एक बहुत बड़ा काम है। यह हमारे लड़ाकू विमानों तक आवश्यक पहुंच प्रदान करता है। कई भाग लेने वाले देशों के साथ काम करने का लक्ष्य हमारे संबंधों को बढ़ाना और हमारी क्षमता को अधिकतम करना है।” उन्होंने यह भी कहा कि अभ्यास पिच ब्लैक की वापसी “साझेदारी को मजबूत करने और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए एक उत्कृष्ट अवसर को चिह्नित करती है”।
भारतीय वायुसेना के अधिकारियों ने कहा कि इस अभ्यास ने गतिशील युद्ध के माहौल में प्रतिभागियों के साथ ज्ञान और अनुभव के आदान-प्रदान का एक बड़ा अवसर प्रदान किया। यह अभ्यास वायुसेना के दल को विभिन्न देशों के साथ बातचीत करने, उनके ट्रेनिंग पैटर्न को समझने, ऑपरेटिंग फिलॉसफी और मित्र देशों की कॉम्बैट एसेट्स के कामकाज का सीधा अनुभव प्राप्त करने का मौका देता है।