आत्मदाह करने वाले पुजारी गिरिराज शर्मा की मौत, पुलिस ने 4 आरोपियों को किया गिरफ्तार

जयपुर:

राजस्थान के जयपुर में 18 अगस्त की सुबह 5:30 बजे आत्मदाह का प्रयास करने वाले महंत गिरिराज शर्मा की देर रात मौत हो गई। 90 फीसदी झुलस चुके गिरिराज शर्मा ने सवाई मानसिंह अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। मृतक महंत की पत्नी चंद्रकांता की ओर से मुरलीपुरा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई। इस रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने लक्ष्मी नारायण मंदिर विकास समिति के पूर्व अध्यक्ष मूलचंद मान और वर्तमान अध्यक्ष दिनेश धारियाल समेत लोगों को गिरफ्तार कर लिया। इनमें व्यवस्थापक सांवरमल अग्रवाल और रामकिशन शर्मा भी शामिल हैं। इन पर पुजारी गिरिराज शर्मा को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप है।

तीन नामदज आरोपी हैं फरार
महंत गिरिराज शर्मा की पत्नी चंद्रकांता ने कुल 7 आरोपियों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया। इनमें चार की गिरफ्तारी हो चुकी है जबकि तीन आरोपी शंकर जोशी, अशोक झालानी और मालीराम स्वामी फिलहाल फरार चल रहे हैं। चंद्रकांता का आरोप है कि विकास समिति के पदाधिकारी मंदिर पर कब्जा करना चाहते थे। इसी कारण पिछले कई महीनों से वे पुजारी को धमकियां देते हुए मंदिर छोड़कर चले जाने के लिए कहते थे।

पूर्व अध्यक्ष मूलचंद मान के घर के बाहर किया आत्मदाह
मृतक महंत गिरिराज शर्मा मुरलीपुरा के शंकर विहार स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर के पुजारी थे। पिछले कई महीनों से उन्हें मंदिर से बेदखल करने की धमकियां दी जा रही थी। इसी से परेशान होकर उन्होंने गुरुवार 18 अगस्त की सुबह 5:30 बजे विकास समिति के पूर्व अध्यक्ष मूलचंद मान के घर के बाहर आत्मदाह कर लिया। मूलचंद मान के घर में लगे सीसीटीवी कैमरे में पूरी घटना रिकॉर्ड हो गई। महंत गिरिराज शर्मा पिछले 21 साल से मंदिर में पूजा अर्चना कर रहे थे।

विकास समिति और ट्रस्ट के बीच विवाद
स्थानीय लोगों के मुताबिक, मुरलीपुरा के शंकर विहार स्थित लक्ष्मी नारायण जी मंदिर की स्थापना साल 2002 में हुई थी। कुछ सालों पहले एक ट्रस्ट की स्थापना भी की गई थी। ट्रस्ट और विकास समिति के बीच मंदिर के संचालन को लेकर विवाद हो गया था। ट्रस्ट अपने नियमों के अनुसार पूजा अर्चना कराने की बात कर रहा था, आरोप है कि विकास समिति अपनी मनमर्जी पर अड़ी थी।

About bheldn

Check Also

बिहार: नालंदा में 65 लाख की शराब जब्त, भूसा में छिपाकर ले जाई जा रही थी वैशाली

नालंदा एक कहावत है ‘भूसे के ढेर में सुई ढूंढना’, शायद इसी कहावत के चलते …