नई दिल्ली
कोरोना के चलते करीब साढ़े 5 महीने तक मेट्रो का परिचालन बंद रहा। उसके बाद भी दूसरी-तीसरी और चौथी लहर के दौरान बीच-बीच में मेट्रो का परिचालन लगातार प्रभावित होता रहा और उसका असर मेट्रो में यात्रियों की कमी के रूप में साफ देखने को मिला। अभी भी मेट्रो की राइडरशिप पहले के मुकाबले 20 फीसदी कम ही है। ऊपर से इस दौरान प्रॉपर्टी डिवेलपमेंट, पार्किंग, विज्ञापन और अन्य माध्यमों से मिलने वाले रेवेन्यू में भी भारी कमी आई। उल्टे डीएमआरसी को कोविड काल में हुए नुकसान की भरपाई के रूप में वेंडरों को कई तरह की आर्थिक छूट तक देनी पड़ी। इस सबका असर मेट्रो को भारी आर्थिक नुकसान के रूप में सामने आया है। वित्त वर्ष 2020-21 के डीएमआरसी के बहीखातों की वार्षिक रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि एक साल में ही डीएमआरसी का घाटा इससे पहले के वित्त वर्ष यानी 2019-20 के मुकाबले करीब 5 गुना ज्यादा बढ़ गया है। इसका असर आने वाले समय में दिल्ली मेट्रो के कामकाज पर भी देखने को मिल सकता है, क्योंकि इस घाटे की भरपाई का अभी तक कोई ठोस उपाय डीएमआरसी नहीं तलाश पाई है।
दिल्ली मेट्रो का कुल खर्चा 6802.71 करोड़ रुपये
ताजा एनुअल रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में डीएमआरसी ने ट्रेन ऑपरेशन, रियल स्टेट, कंसल्टेंसी सेवाओं और कुछ अन्य बाहरी प्रोजेक्ट्स के माध्यम से कुल 3289.20 करोड़ रुपये का रेवेन्यू जनरेट किया। इसी समय सीमा के दौरान दिल्ली मेट्रो का कुल खर्चा 6802.71 करोड़ रुपये रहा। इस तरह डीएमआरसी को कुल 3513.51 करोड़ रुपये का भारी भरकम नुकसान झेलना पड़ा। अगर करों में छूट समेत अन्य लाभों को छोड़ भी दें, तब भी डीएमआरसी का पिछले वित्त वर्ष का नेट लॉस 2341.52 करोड़ रुपये बैठ रहा है। वित्त वर्ष 2019-20 में यह घाटा कितना अधिक है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उस साल डीएमआरसी को कुल 732.02 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था और करों में छूट व अन्य लाभों को घटाने के बाद उसका नेट लॉस महज 541.05 करोड़ का ही रहा था।
घाटे की भरपाई करने और नुकसान को कम करने की चुनौती
मेट्रो के काम के लिए जापान इंटरनैशनल को-ऑपरेशन एजेंसी (जाइका) से लिए गए लोन के रूप में भी डीएमआरसी के सिर पर 31 मार्च 2021 तक कुल 31284.17 करोड़ रुपये का कर्जा बकाया था। इसमें से डीएमआरसी पिछले साल 8069.51 करोड़ रुपये का पेमेंट करने में सफल रही थी। डीएमआरसी के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती घाटे की भरपाई करने और नुकसान को कम करने की है, लेकिन फिलहाल तो डीएमआरसी की मुश्किलें कम होने के बजाय और बढ़ गई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब उसे एयरपोर्ट एक्सप्रेस मेट्रो लाइन का निर्माण करने वाली कंपनी DAMEPL को भी 4600 करोड़ रुपये के हर्जाने का भुगतान करना है। केंद्र सरकार से फिलहाल कोई मदद न मिलते देख अब डीएमआरसी को इस रकम के भुगतान के लिए बैंकों से लोन लेने तक की नौबत आ गई है।
फेज-3 में बनी नई लाइनें फिलहाल सफेद हाथी
फेज-3 में बनी नई लाइनें भी डीएमआरसी के लिए फिलहाल सफेद हाथी की तरह साबित हो रहीं हैं, जिनके रखरखाव पर तो करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं, लेकिन उन लाइनों पर यात्रियों की संख्या डीपीआर में बताई गई अनुमानित संख्या से कई गुना कम है। डीएमआरसी का प्रॉपर्टी डिवेलपमेंट का काम भी लक्ष्य से काफी पीछे चल रहा है और उससे उतनी इनकम नहीं हो पा रही है, जिसका अनुमान लगाया गया था। यही वजह है कि पिछले दिनों कुछ केंद्र व दिल्ली सरकार के अधिकारियों को डीएमआरसी को यह सलाह देनी पड़ी थी कि वह अपने खर्चों को कम करने और अपनी इनकम को बढ़ाने के नए तरीके खोजे, ताकि उस पर पड़ रहा आर्थिक बोझ कुछ कम हो सके।