कोलकाता
पश्चिम बंगाल में एक बार फिर बीजेपी के लिए निराशा हाथ लगी है, जहां सहकारी चुनाव में पार्टी के दिग्गज नेता माने जाने वाले सुवेंदु अधिकारी के गढ़ में ही टीएमसी ने बाजी मार ली है। नंदीग्राम में हुए सहकारी चुनाव में 52 में से 51 सीटें टीएमसी के खाते में दर्ज हुई हैं। जबकि एक सीट लेफ्ट के खाते में रही। रविवार को आए सहकारी समिति के चुनाव नतीजों ने सभी को हैरान कर दिया है। बीजेपी इस बात को लेकर चिंतित है कि आखिरकार ऐसा क्या हो गया कि को-ऑपरेटिव चुनाव में पार्टी को इस तरह मुंह की खानी पड़ी। इन नतीजों के बाद माना जा रहा है कि कहीं न कही टीएमसी पार्टी के साथ ही कार्यकर्ताओं का मनोबल भी इससे जरूर बढ़ेगा। बीजेपी नेताओं का कहना है कि पार्टी लोगों के बीच सही संवाद नहीं कर सकी, जिसके चलते ही यह निराशा हाथ लगी है।
नंदीग्राम में हार पर सवाल
नंदीग्राम निर्वाचन क्षेत्र में बीजेपी सहकारी चुनाव हार गई। वहीं टीएमसी के खाते में 52 में से 51 सीटें आईं। पश्चिम बंगाल के हनुभुंजा, घोलपुकुर, बिरुलिया सहकारी समिति के लिए मतदान रविवार को हुए थे। केसर ब्रिगेड कृषि विकास सहकारी समिति में बीजेपी खाता नहीं खोल पाई। इन नतीजों के आने के बाद बीजेपी में अंदरखाने काफी चर्चा है कि इस तरह से हार आखिरकार कैसे हो गई। बीजेपी से जुड़े एक स्थानीय नेता अरुण जाना ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यह एक सहकारी चुनाव था और बीजेपी समाज में लोगों के बीच अच्छी तरह से संवाद नहीं कर पाई। इसी का नतीजा रहा कि हमें हार मिली है।
टीएमसी छोड़ थामा था बीजेपी का दामन
सुवेंदु अधिकारी ने तृणमूल कांग्रेस का हाथ छोड़ बीजेपी का दामन थामा था। इसके साथ ही नंदीग्राम चुनाव में दीदी यानी कि ममता बनर्जी को शिकस्त भी दी थी। सुवेंदु ने दिसंबर 2020 में TMC छोड़ दी थी। इसके बाद अधिकारी ने अमित शाह की मौजूदगी में भाजपा का दामन थाम लिया था। इस दौरान सुवेंदु के साथ कई टीएमसी विधायक भी बीजेपी में शामिल हुए थे। साल 2021 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान नंदीग्राम संसदीय सीट पर सुवेंदु अधिकारी ने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को 1,956 मतों से मात दी थी। जिसके बाद अधिकारी के कद को लेकर बीजेपी के साथ ही पं. बंगाल में भी बड़ा आंका जाने लगा था।