बिहार विधानसभा में बुधवार को मौका शक्ति परीक्षण का था। विधानसभा के गलियारों से गुजरते नीतीश, तेजस्वी और राबड़ी देवी की चाल बता रही थी, मामला पकड़ में है। तीनों के कदमों का तालमेल भी इस बात की तस्दीक कर रहा था कि गठबंधन में अभी ऑल इज वेल है। एक जगह थोड़ा किसी एक के आगे निकलने की स्थिति बनी, तो तेजस्वी में चाचा को नीतीश को हाथ से पहले आप का इशारा किया। नीतीश के चेहरे पर मुस्कुराहट तैर गई।
नीतीश आगे ही बढ़ गए। इस तस्वीर के साथ एक दूसरी तस्वीर भी जेहन में ताजा हो गई। पिछले दिनों की है। राबड़ी के घर से निकल रहे नीतीश को शायद लालू बाहर तक छोड़ने आ रहे हैं। बीमार लालू को सीढ़ियों में नीतीश सहारा देते हुए संभाल रहे हैं। ये दोनों तस्वीरें फिलवक्त बिहार में महागठबंधन की सबसे खुशनुमा तस्वीरों में से एक है।
नीतीश, तेजस्वी और राबड़ी की तस्वीर
बिहार विधानसभा के गलियारों में आज भी एक लालू के दोस्त की एक तस्वीर दिखी। इस तस्वीर तेजस्वी चाचा नीतीश और मां राबड़ी देवी को आगे बढ़ने का इशारा करते दिख रहे हैं। अभी दोनों दलों के नेताओं के बीच रिश्ते बेहतरीन दौर से गुजर रहे हैं। तस्वीरें यही कहानी बयां कर रही हैं। सारी कड़वाहट भूलकर दोनों दल बिहार में मजबूत गठबंधन देने की बात कर रहे हैं।
नई सरकार, खुशनुमा माहौल
जब से बिहार में आरजेडी और जेडीयू के गठबंधन में नई सरकार बनी है तबसे दोनों दलों के नेताओं के बीच मेल-मिलाप की खुशनुमा तस्वीर दिख रही है। कुछ दिन पहले ही सीएम नीतीश ‘बड़े भाई’ लालू यादव से मिलने उनके आवास गए थे। इस दौरान में भी जेपी के दिनों के साथी रहे दोनों नेताओं के बीच बड़ी ही रोचक तस्वीर सामने आई थी। लालू को लाल गुलाब देकर नीतीश उनसे मिले थे। दरअसल, 2017 में जब नीतीश ने आरजेडी का साथ छोड़ फिर से बीजेपी का दामन पकड़ा था तो लालू यादव ने उन्हें काफी बुरा-भला कहा था। लेकिन समय बदलने के बाद नजारे और तस्वीर भी बदल गई है। लालू का हाथ पकड़कर उन्हें रास्ता दिखाते नीतीश की तस्वीर को दोनों दलों के नेताओं ने नई सुबह की शुरुआत बताई थी।
नीतीश आगे बढ़ रहे, तेजस्वी दे रहे रास्ता
अभी दोनों दलों के रिश्ते अच्छे चल रहे हैं। आज राबड़ी भी थीं, नीतीश और तेजस्वी तो थे ही इन सबके बीच जो एक चीज दिखी वो था इन दोनों दोस्तों के बीच पुरानी दोस्ती, नीतीश आगे बढ़ रहे थे और तेजस्वी उन्हें रास्ता दे रहे थे। ये रास्ता मिशन 2024 का भी है। दरअसल, विश्लेषकों के अनुसार, नीतीश ने बड़े लक्ष्य के साथ बीजेपी का साथ छोड़कर आरजेडी का दामन थामा है। उनके निशाने पर पीएम पद है। पीएम नरेंद्र मोदी का कई मौकों पर विरोध कर चुके नीतीश के आरजेडी आगे बढ़ा भी चुकी है। तेजस्वी यादव ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि अगर विपक्षी दल तैयार हो जाएं तो नीतीश एक मजबूत पीएम कैंडिडेट हो सकते हैं।
दोस्त के लिए लालू भी तैयार
एक वक्त लालू यादव भी पीएम पद की रेस में शामिल थे। हालांकि, हालात ने उनका साथ नहीं दिया और वह चूक गए थे। इस बार लालू अपने दोस्त को आगे बढ़ाने में लग गए हैं। उनकी पार्टी नीतीश के पीएम पद की रेस के लिए पूरा समर्थन कर रही है। तो इन खुशनुमा तस्वीरों के पीछे एक सधी चाल है। भविष्य का दांव और बिहार में नई सियासत की बयार भी है।
पुराने दोस्त, दोस्ती में नयापन
लालू यादव और नीतीश कुमार की दोस्ती जेपी आंदोलन के दौर की है। दोनों ने आपातकाल के खिलाफ लड़ाई लड़ी। बाद में जनता दल में दोनों नेता आगे बढ़े। 90 के दशक में लालू ने अलग पार्टी बनाई थी। फिर नीतीश ने जेडीयू बनाया। दोनों के बीच कई बार रिश्ते तल्ख तो हुए लेकिन अभी सब ऑल वेल वाले फेज में है।