नई दिल्ली,
सुप्रीम कोर्ट में आज पेगासस स्पाइवेयर मामले में सुनवाई शुरू हुई। इस मामले पर गठित पैनल की रिपोर्ट भी सर्वोच्च न्यायालय में पेश की गई। वहीं, पैनल का आरोप है कि सरकार ने इस मामले की जांच में सहयोग नहीं किया। आपको बता दें कि मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने पैनल की रिपोर्ट को तीन भागों में शामिल किया था। सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा, “पेगासस पैनल की रिपोर्ट का कुछ हिस्सा गोपनीय है। इसमें लोगों की निजी जानकारी भी हो सकती है। समिति का मानना है कि इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं की जा सकती है।”
सुनवाई के दौरान पीठ कहा कि जांच समिति को 29 में से 5 उपकरणों में मैलवेयर मिला। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि ये मैलवेयर वास्तव में पेगासस था या नहीं। इसके अलावा जिन लोगों ने अपने-अपने फोन जमा कराए उन्होंने रिपोर्ट जारी नहीं करने का भी अनुरोध किया था। आपको बता दें कि सीजेआई के अलावा इस पीठ में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली भी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि पैनल की रिपोर्ट के उन हिस्सों का पता लगाया जाएगा, जिन्हें सार्वजनिक किया जा सकता है। इस मामले को चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया गया।आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2021 में इस मामले की जांच के लिए पूर्व जस्टिस जस्टिस आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ पैनल का गठन किया था।
क्या है पूरा मामला?
एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि 2019 में ही भारत में कम से कम 1400 लोगों के निजी मोबाइल या सिस्टम की जासूसी हुई थी. कहा गया कि इसमें 40 मशहूर पत्रकार, विपक्ष के तीन बड़े नेता, संवैधानिक पद पर आसीन एक महानुभाव, केंद्र सरकार के दो मंत्री, सुरक्षा एजेंसियों के कई आला अफसर, दिग्गज उद्योगपति भी शामिल हैं. काफी हंगामे के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. मांग उठी की इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.
पेगासस एक जासूसी सॉफ्टवेयर का नाम है. इस वजह से इसे स्पाईवेयर भी कहा जाता है. इसे इजरायली सॉफ्टवेयर कंपनी NSO Group ने बनाया है. पेगासस एक जासूसी सॉफ्टवेयर है जो टारगेट के फोन में जाकर डेटा लेकर इसे सेंटर तक पहुंचाता है. इस सॉफ्टवेयर के फोन में जाते ही फोन सर्विलांस डिवाइस के तौर पर काम करने लगता है. इससे एंड्रॉयड और आईओएस दोनों को टारगेट किया जा सकता है.