नई दिल्ली,
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस छोड़ने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कांग्रेस आलाकमान पर निशाना साधा और कहा कि मुझे बेहद अफसोस है कि गुलाम नबी आजाद को कांग्रेस पार्टी छोड़नी पड़ी, जो यूनिवर्सिटी से लेकर आज तक आपके साथ खड़े रहे. इस देश को बनाने के लिए खड़े रहे. उन्हें आज पार्टी छोड़नी पड़ी. फारूक ने आजाद को साथ आने की भी खुला ऑफर दिया.
फारूक ने कहा कि ये (गुलाम नबी आजाद) सिर्फ कांग्रेस के नेता ही नहीं थे, बल्कि गांधी परिवार के एक हिस्सा थे. इंदिरा गांधी से लेकर आज तक जैसे राहुल गांधी हैं, वैसे ही गुलाम नबी आजाद सोनिया गांधी के करीबी रहे हैं. फारूक ने कहा कि कुछ ना कुछ तो हुआ है, जिसकी वजह से आजाद को गांधी खानदान को छोड़ना पड़ा.
कोई राहुल को गलत राय दे रहा है…
उन्होंने कहा कि मैं इतना कह सकता हूं कि राहुल गांधी के बगल में कोई ऐसा आदमी जरूर बैठा है, जो पार्टी को नुकसान पहुंचा पा रहा है. वो ना सिर्फ राहुल गांधी को गलत राय दे रहा है, बल्कि कांग्रेस को खत्म करने की कोशिश कर रहा है. इसलिए ये कद्दावर लीडर्स (जी-23) को अनसुना किया जा रहा है. इन लोगों ने पार्टी में सुधारों को लेकर एक साधारण चिट्ठी लिखी थी. चिट्ठी में लोकतंत्र और सुधार लाने की बात कही थी. संगठन में चुनाव की मांग की थी, वो मांगें आज तक पूरी नहीं हो सकीं.
कानाफूसी करने वाले बाहर निकाले कांग्रेस
फारूक ने कहा कि मैं सीधे तौर पर कांग्रेस के सारे लोगों को मैसेज देना चाहता हूं और कहना चाहता हूं कि ‘वो जो शख्स वहां बैठा हुआ है, कानाफूसी कर रहा है, उस व्यक्ति को बाहर निकालना चाहिए और इन लोगों को वापस लाना चाहिए. अगर इस जमात को जिंदा रखना है और इस जमात को आगे चलाना है तो फैसला लेना होगा.’
पीएम किसी की तारीफ नहीं कर सकते क्या?
फारूक बोले कि आज सबसे ज्यादा मजबूत विपक्ष की जरूरत है, जो हुकूमत को कंट्रोल कर सके. इसलिए कांग्रेस को खुद को मजबूती के साथ साबित करना पड़ेगा. अगर भारत को आगे ले जाना है. फारूक ने कहा कि कांग्रेस के दुश्मन प्रोपेगेंडा फैला रहे हैं. पीएम मोदी ने एक अच्छे आदमी की तारीफ की. उनकी आंखों में आंसू आ गए. अच्छे काम के लिए बजीर-ए-आलम ने तारीफ की थी. मैं पूछना चाहता हूं कि क्या तारीफ करने पर आजाद बीजेपी के बन गए थे? क्या पीएम किसी की तारीफ नहीं कर सकते हैं? यही हैं वो लोग, जो कांग्रेस को कमजोर करने में लगे हैं. जो आज गलत शब्द इस्तेमाल कर रहे हैं.
आरोप तो लगते रहते हैं…
उन्होंने आगे कहा कि फारुख अब्दुल्ला को तो पाकिस्तानी और खालिस्तानी भी कहा गया था. मगर जानता हूं कि मैं क्या हूं. मुझे जीना यहां और मरना यहां है. इन आरोपों से डरना वाला नहीं हूं. आरोपों का क्या.. आरोप तो आते-जाते रहते हैं. इंसान चलता जाता है.
कुर्बानियों को मत भूले देश
उन्होंने कहा कि गांधी पर कम आरोप लगे थे क्या? मगर जब वक्त आया तो लाल किले पर नेहरू ने तिरंगा लहराया. वो कुर्बानियां मत भूलिए इस जमात की. वो नेताओं की, जिन्होंने अंडमान में सजा काटी. काला पानी की सजा भुगती. इंडियन नेशनल आर्मी को मत भूलिए. सुभाषचंद्र बोस को मत भूलिए. उन शहीदों को मत भूलिए, जिन्होंने देश की आजादी के लिए कुर्बानियां दीं.
आजाद के लिए हमारे दरवाजे खुले हैं…
फारूक से पूछा गया कि आजाद नई पार्टी बनाने जा रहे हैं, क्या जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस साथ देगी? इस पर उन्होंने कहा कि वो अगर कहेंगे तो हमारे दरवाजे उनके लिए खुले हैं. हमारा दिल खुला है. जरूरी सहयोगी बनेंगे. देश की मजबूती के लिए हम खड़े हैं.