श्रीनगर
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला शनिवार को कश्मीरी हिंदुओं के सवाल पर भड़क गए। इस दौरान वह टीवी शो बीच में छोड़कर उठ गए। दरअसल जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने पुलवामा के नदीमर्ग में हुए नरसंहार की फाइल दोबारा खोलने के आदेश दिए हैं। जो कि 23 मार्च 2003 की रात को हुआ था, जिसमें सेना की वर्दी में आए लश्कर ए तैयबा के आतंकियों ने नदीमर्ग में 24 कश्मीरी पंडितों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मरने वालों में 11 पुरुष, 11 महिलाएं और 2 बच्चे भी शामिल थे। कश्मीरी पंडितों पर हुए जघन्य अपराधों को लेकर जब फारूक अब्दुल्ला से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि वो हमारे साथी भाई हैं, पर बात जब उनके ऊपर हुए अत्याचारों की आई तो वह इंटरव्यू बीच में छोड़कर चले गए।
Times Now Navbharat के एक शो के दौरान पुलवामा के नदीमर्ग में हुए नरसंहार केस को दोबारा खोलने को लेकर फारूक अब्दुल्ला से सवाल किया गया। इस पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अदालत का फैसला स्वागत योग्य है। हालांकि इस नरसंहार में हिंदुओं के अलावा मुसलमान भी मारे गए थे। ऐसे में एकतरफा केस का फैसला सवाल उठाता है। हालांकि उन्हेांने कहा कि वो कश्मीरी पंडितों का घाटी में स्वागत करते हैं।
यह कहते हुए छोड़ा शो
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला से जब कश्मीर घाटी से हिंदुओं के पलायन पर सवाल किया गया तो वह भड़क गए। उन्होंने कहा कि आप जख्मों को उखाड़ रही हैं। वो हिंदू हमारे भाई थे। उनके साथ हम मरे और जिए हैं। फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि आपके सवाल एकतरफा बीजेपी माइडेड लगाते हैं। यह कहते हुए फारूक अब्दुल्ला शो को छोड़कर चले गए।
नदीमर्ग में हुए कश्मीरी नरसंहार का उठा था जिक्र
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने शुक्रवार को पुलवामा के नदीमर्ग में हुए कश्मीरी नरसंहार केस को दोबारा खोलने का आदेश दिया है। ये घटना 23 मार्च 2003 की है। उस रात नदीमर्ग में सेना की वर्दी में आए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने 24 कश्मीरी पंडितों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसमें 11 महिलाएं और कम उम्र के बच्चे भी शामिल थे। जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति संजय धर ने 21 दिसम्बर 2011 के उस आदेश को वापस लेने का अनुरोध स्वीकार कर लिया है जिसमें आपराधिक पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी गई थी।
मामले की सुनवाई अब 15 सितंबर, 2022 को होगी। नदीमर्ग नरसंहार 90 के दशक में कश्मीर में आतंकवाद बढ़ा तो कश्मीरी पंडितों की हत्याएं की गयीं। कश्मीरी पंडितों के नरसंहार साल 2003 में भी हुआ था। नदीमर्ग नरसंहार भारतीय इतिहास की सबसे खौफनाक घटनाओं में से एक है जिसमें लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने 24 हिंदू कश्मीरी पंडितों की हत्या कर दी थी। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के नदीमर्ग गांव में जिस समय 24 चिताओं को मुखाग्नि दी गई थी