नोएडा
सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट सोसायटी सेक्टर-93 ए में अवैध बने टि्वन टावर रविवार को ढहा दिए जाएंगे। ये अवैध टावर बनवाने वाले नोएडा अथॉरिटी के तत्कालीन अधिकारियों पर कार्रवाई अभी फाइलों में ही चल रही है। अथॉरिटी की तरफ से 4 अक्टूबर 2021 को लखनऊ में दर्ज करवाई गई एफआईआर पर विजिलेंस की कार्रवाई भी नोएडा अथॉरिटी के दौरे और टि्वन टावर देखने तक ही सीमित रही है।
अथॉरिटी में चल रही विभागीय जांच में भी सवाल-जवाब चल रहे हैं। यही नहीं विभागीय जांच में आरोपी तत्कालीन किसी आईएएस या पीसीएस अधिकारी को भी शामिल नहीं किया गया है। जिनकी जांच चल रही है वह भी जवाब अपनी सहूलियत के हिसाब से समय मांगते हुए दे रहे हैं। इनकी विभागीय जांच में अथॉरिटी को 11 आरोपी अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र जारी करने की मंजूरी शासन से मिली थी
सुप्रीम कोर्ट का 31 अगस्त 2021 को आदेश आने के बाद नोएडा अथॉरिटी में तत्कालीन अधिकारियों का भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा बना था। सुप्रीम कोर्ट ने भी अथॉरिटी को लेकर तल्ख टिप्पणी की थी। इसके बाद सीएम के आदेश पर जांच को हाई लेवल एसआईटी का गठन हुआ। एसआईटी जांच के बाद अथॉरिटी ने जो एफआईआर करवाई है उसमें 24 तत्कालीन अधिकारी आरोपी हैं।
इन अधिकारियों की तैनाती 2004 से 2012 तक अथॉरिटी में रही है। इनकी विभागीय जांच में अथॉरिटी को 11 आरोपी अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र जारी करने की मंजूरी शासन से मिली थी। यह विभागीय जांच अथॉरिटी के एसीईओ प्रवीण मिश्रा कर रहे हैं। आरोप पत्र जारी होने के बाद पहले इन आरोपी अधिकारियों ने कई दस्तावेज अथॉरिटी से मांगे। फिर अब अपने जवाब अथॉरिटी में पहुंचाए हैं।
जवाब देने वालों में तत्कालीन प्लानिंग असिस्टेंट टीएन पटेल, नगर नियोजक अशोक कुमार मिश्र, सहायक प्रबंधक अनीता, ऋतुराज व्यास सीनियर मैनेजर प्लानिंग, प्रॉजेक्ट इंजीनियर बाबूराम, विमला सिंह तत्कालीन सह आयुक्त नगर नियोजक, एमसी त्यागी तत्कालीन प्रॉजेक्ट इंजीनियर, मुकेश गोयल मैनेजर प्लानिंग शामिल हैं।
इनमें ऋतुराज व्यास, विमला सिंह और मुकेश गोयल ने एक-एक आरोप पत्र पर जवाब देने का और समय मांगा है। तीन अधिकारियों ने जवाब ही नहीं दिए हैं। जवाब देने वालों में भी कई अधिकारी कुछ और दस्तावेज की दरकार बताकर कुछ बिंदुओं पर समय मांग रहे हैं।
पीसीएस, आईएएस के खिलाफ विभागीय जांच पर फैसला नहीं
टि्वन टावर को लेकर हुए भ्रष्टाचार में पूर्व सीईओ मोहिंदर सिंह, एसके द्विवेदी, पूर्व एसीईओ आरपी अरोड़ा, पूर्व ओएसडी यशपाल सिंह, पीएन बाथम भी आरोपी हैं। इनके खिलाफ विजिलेंस में एफआईआर तो दर्ज करवाई गई है। विभागीय जांच में ये आईएएस और पीसीएस अब तक बचे हुए हैं।
नीचे के अधिकारियों पर ही आरोप पत्र जारी करने का निर्णय शासन से हुआ है। सूत्रों की मानें तो इनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू करने के लिए शासन की मंजूरी अथॉरिटी को चाहिए। यह मंजूरी अथॉरिटी ने मांगी है। लेकिन शासन से कोई जवाब अब तक नहीं आया है।
पूर्व की सरकारों के करीबी थे आरोपी अधिकारी
टि्वन टावर के लिए नियम ताक पर रखकर सुपरटेक बिल्डर को मंजूरी देने वाले अथॉरिटी के अधिकारी बीएसपी-सपा सरकार में पावरफुल स्थिति में थे। एक सीईओ की तो सीधे तत्कालीन सीएम के ऑफिस में पहुंच थी। बाकी अधिकारियों पर भी सरकार और शासन की विशेष कृपा चर्चित थी।