आपसी खींचतान में उलझा है भेल का सोनागिरी सुपर स्पेशलिस्ट बीमा अस्पताल बनाने का मामला

-ढाई लाख से ज्यादा लोगों को मिल सकेंगी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाऐं

भोपाल

लंबे समय से गोविंदपुरा विधान सभा क्षेत्र के सोनागिरी स्थित राज्य बीमा चिकित्सालय को सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल बनाने के लिये भले ही केन्द्र सरकार ने हरी झंडी दे दी हो लेकिन कर्मचारी राज्य बीमा निगम व राज्य सरकार के श्रम विभाग के कुछ अफसरों की आपसी खींचतान के चलते मामला लंबा खिंचता जा रहा है । सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल बनाने के प्रस्ताव पर मुहर लगने के बाद यह कहा जा रहा था कि अगले माह सितंबर इस अस्पताल को बेहतर सुविधाऐं मिलेंगी ।

यदि खींचतान लंबी नहीं चली तो यह उम्मीद की जा रही है कि सितंबर के अंत तक यह अस्पताल सुपर स्पेशलिस्ट हो जायेगा । भोपाल-मंडीदीप सहित आस-पास के जिलों में निजी संस्थानों और उद्योगों में काम करने वाले करीब 2.50 लाख निजी कर्मचारियों को अपने और अपने परिजनों के इलाज के लिए जल्द ही ज्यादा और बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। ईएसआईसी ने इंदौर की तर्ज पर भोपाल के सोनागिरी में स्थित राज्य स्तरीय बीमा अस्पताल को टेकओवर करने का प्रस्ताव मप्र श्रम विभाग को दिया था। इस बारे में औपचारिक प्रस्ताव जुलाई 2021 में हुई कर्मचारी राज्य बीमा निगम की क्षेत्रीय परिषद की बैठक में रखा गया था। इसे मप्र सरकार के श्रम मंत्री का भी अनुमोदन मिल गया। लेकिन विभागीय उदासीनता के चलते यह प्रस्ताव लंबे समय तक ठंडे बस्ते में पड़ा रहा।

करीब 3 साल तक चली कवायद के बाद सरकार ने अब ईएसआईसी के प्रस्ताव पर अमल करने का निर्णय लिया है। सितंबर से अस्पताल का संचालन ईएसआईसी के आधीन हो सकता है । अस्पताल में कार्यरत सभी वर्तमान डॉक्टर्स, पैरामेडिकल स्टॉफ औऱ अन्य कर्मचारी दो साल तक यहीं काम करेंगे। ईएसआईसी इस अस्पताल को मॉडल हॉस्पिटल के रूप में डेवलप करेगा। यहां मरीजों की जांच और इलाज के लिए नई मशीनें लगाई जाएंगी। इससे भोपाल और आस-पास के जिलों में ईएसआईसी से जुड़े सभी निजी संस्थानों और उद्योगों में काम करने वाले कर्मचारियों औऱ उनके परिजनों को इलाज की सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध होंगी।

प्रायवेट कंपनियों, उद्योग और कारखानों में 21 हजार रूपए से कम सैलरी वाले कर्मचारियों और उनके परिजनों को इलाज की सुविधा के लिए कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) कर्मचारी राज्य बीमा योजना (ईएसआईएस) के तहत कर्मचारी की सैलरी से हर महीने 0.75 प्रतिशत राशि काटता है। इसके अलावा निगम 3.25 प्रतिशत राशि का शेयर कंपनी या नियोक्ता संस्थान (एम्प्लॉयर) से लेता है। मध्यप्रदेश में करीब 10 लाख 60 हजार निजी कर्मचारी इस योजना से जुड़े हुए हैं। ऐसे में प्रति कर्मचारी के औसत 10 हजार रूपए वेतन के हिसाब से 4 प्रतिशत राशि करीब 95 करोड़ हर माह और सालाना करीब 504 करोड़ रूपए ईएसआईसी के पास पहुंचते हैं।

यदि भोपाल औऱ मंडदीप की बात की जाए तो यहां निजी संस्थानों के करीब ढाई लाख से ज्यादा कर्मचारियों के वेतन से ईएसआई की राशि कटती है। भोपाल-मंडदीप के ईएसआईसी से बीमित ढाई लाख से ज्यादा कर्मचारियों की 0.75 प्रतिशत राशि के रूप में हर माह करीब 2 करोड़ की राशि काटी जाती है। साल में यह राशि करीब 24 करोड़ रूपए होती है। वहीं नियोक्ता संस्थानों के 3.25 प्रतिशत शेयर की बात की जाएग तो हर माह यह राशि करीब 8 करोड़ रूपये और सालभर में करीब 98 करोड़ रूपए होती है। इन दोनों को मिला दिया जाए तो 4 प्रतिशत के हिसाब से सालभर में 124 करोड़ ईएसआईसी के पास पहुंचती है।

बीमा अस्पताल में डॉक्टरों की कमी
निजी कर्मचारियों की सैलरी से काटी जाने वाली राशि के बदले में ईएसआईसी और मप्र श्रम विभाग की जिम्मेदारी बनती है कि वह बीमित व्यक्तियों को बेहतर औऱ मुफ्त इलाज मुहैया कराए। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। हालात ये हैं कि इतनी बड़ी राशि के लेने के बाद भी निजी कर्मचारियों को बीमा अस्पताल में बेहतर इलाज तो दूर सामान्य दवाओं और सोनोग्राफी, एक्सरे जैसी सामान्य जांचों के लिए भी परेशान होना पड़ता है। स्टाफ की भारी कमी से जूझ रहे अस्पताल में फिलहाल स्पेशलिस्ट डॉक्टर व जांच की सुविधा नहीं है।

इनका कहना है
गोविंदपुरा विधान सभा क्षेत्र के सोनागिरी स्थित राज्य बीमा चिकित्सालय को सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल बनाने की प्रक्रिया जारी है । निगम या श्रम विभाग में कोई आपसी खींचतान है तो उसे दूर करने के प्रयास किये जायेंगे । इस अस्पताल का काम सितंबर 2022 में शुरू हो जाये इसके लिये संबंधित अधिकारियों से कल ही चर्चा करूंगी ।
कृष्णा गौर, विधायक, गोविंदपुरा विधान सभा क्षेत्र

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