कौन हैं मौलाना मुक्तदा, जिनके संन्यास के ऐलान भर से इराक में भड़के दंगे

नई दिल्ली

इराक की राजनीति इन दिनों दुनियाभर में चर्चा का विषय बनी हुई है। कारण यह है कि वहां के प्रभावशाली शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सद्र ने सोमवार को राजनीति छोड़ने का ऐलान कर दिया। इसके बाद सेना ने कर्फ्यू लगा दिया लेकिन अल-सद्र के समर्थक सड़क पर उतर आए। जगह-जगह उग्र प्रदर्शन हो रहे हैं। दुनियाभर में मुक्तदा अल-सद्र का नाम चर्चा में है। आइए समझते हैं और कि क्या है इराकी राजनीति का यह पूरा मामला और मुक्तदा अल-सद्र कौन हैं।

इराक के प्रभावशाली शिया धर्मगुरु
दरअसल, मुक्तदा अल-सद्र ने सोमवार को एक ट्वीट करके राजनीति से संन्यास लेने और अपने पार्टी कार्यालयों को भी बंद करने का ऐलान किया था। शिया धर्मगुरू मुक्तदा अल-सद्र के समर्थन में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच इराकी सेना ने सोमवार को चार बजे शाम से देशव्यापी कर्फ्यू की घोषणा कर दी है। मुक्तदा अल-सद्र इराक के प्रभावशाली शिया धर्मगुरु हैं और राजनीतिक रुप से भी काफी सक्रिय हैं।

सद्दाम हुसैन के पतन के बाद चर्चा में आए
असल में सद्दाम हुसैन के पतन के बाद अल-सद्र 2003 तक चर्चा में आ चुके थे। वे ग्रैंड अयातुल्ला सैय्यद मुहम्मद मुहम्मद-सादिक अल-सद्र के बेटे हैं, जिनकी 1999 में सद्दाम हुसैन ने हत्या कर दी थी। शिया सपोर्ट के साथ वो धीरे-धीरे इराक का सबसे चर्चित चेहरा बनते गए। इसके बाद अल-सद्र ने इराक में दशकों के संघर्ष और प्रतिबंधों से उबरने के प्रयास और सांप्रदायिक संघर्ष, बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार से निपटने के लिए अपने समर्थकों के साथ आंदोलन किया है।

पिछले चुनाव में बहुमत तक नहीं पहुंच पाए
इतना ही नहीं अल सदर ने अमेरिका और ईरानी प्रभाव का विरोध करके देश में व्यापक समर्थन प्राप्त किया। अल-सद्र के करीबियों का कहना है कि वे जल्दी ही नाराज हो जाते हैं और निर्णय भी बहुत जल्दी लेते हैं। अल-सद्र अपने पिता और अपने ससुर के विचारों से बहुत प्रभावित हैं। फिलहाल पिछले अक्टूबर में हुए चुनाव में अल-सद्र की पार्टी ने सबसे अधिक सीटें जीती थी, लेकिन वह बहुमत तक नहीं पहुंच पाए थे। इसके बाद राजनीतिक गतिरोध बढ़ता गया।

इराक में पिछले दस महीने से कोई स्थाई सरकार नहीं
इराक का राष्ट्रपति बनने के लिए जरूरी बहुमत न जुटा पाने की वजह से मुक्तदा अल-सद्र ने सरकार बनाने की बातचीत से खुद को बाहर कर लिया था। इराक में पिछले दस महीने से ना तो कोई स्थाई प्रधानमंत्री है, ना कोई मंत्रिमंडल है और ना ही कोई सरकार है। अब नई सरकार के गठन को लेकर फिर से एक महीने से गतिरोध चल रहा है। अल-सद्र अब जल्द चुनाव कराने और संसद को भंग करने की मांग कर रहे थे।

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