समस्याओं से जूझ रहे हैं भेल टाउनशिप के श्रमिक,खस्ता हाल मकानों में रहने को मजबूर

भोपाल

भेल को आसमान सी बुलंदियों पर पहुंचाने वाले भेल श्रमिक खुद परेशान हैं, उनकी समस्याओं का निराकरण नहीं किया जा रहा जबकि वह वरिष्ठ अधिकारियों को भी शिकायतें कर चुके हैं। ई और एफ सेक्टर में रह रहे सोसायटी कर्मचारी अनेक समस्याओं से ग्रस्त हैं। इन सेक्टर के मकानों की हालत खस्ता हो रही है और अधिकांश मकान वर्षों से खाली पड़े हुए हैं जो मेंटेनेंस के अभाव में जर्जर होते जा रहे हैं। जिनमें श्रमिक रह रहे हैं उन मकानेां की छतें खराब हो चुकी हैं बारिश के मौसम में मकानों सेे पानी रिसता है।

छतोंं पर पानी नहीं चढऩे के कारण रहवासी कर्मचारियों को पीने के पानी क ी भारी दिक्कत हो रही है। जबकि व्यवस्थाओं को दुरूस्त करने के लिए ठेका दिया गया है लेकिन ठेकेदार द्वारा शिकायतों पर गौर ही नहीं किया जाता। भेल द्वारा ठेकेदार को इन्ही जरूरी शर्तों पर काम दिया गया था कि वह शिकायतों का 24 घंटे के अंदर निराकरण करे।

गोविंदपुरा डी सेक्टर के जानलेवा गढ्ढें
आर्थिक संकट का रोना रोते हुए भेल प्रशासन ने अपनी ही उद्योग नगरी में रहने वाले लोगों की समस्याओं पर लगभग ध्यान देना ही बंद कर दिया। हाल यह है कि छोटे-छोटे सेक्टर बड़े गढ्ढों में तब्दील हो गई है। ऐसा ही नजारा भेल उद्योग नगरी गोविंदपुरा के डी सेक्टर में देखा जा सकता हैं यहां एक नहीं सड़कों पर कई जान लेवा गढ्ढें बन गये हैं आये दिन बारिश में लोग यहां गिर रहे हैं। गोविंदपुरा सिविल आफिस बजाय इन गढ्ढों पर मलबा डलवाने के खाली क्वाटरों के सामने मलबा डलवा रहे हैं। यह बात यहां रहवासियों के गले नहीं उतर रही है।

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