मतदाता सूची नहीं तो चुनाव कैसे लड़ेंगे, कांग्रेस के दांव पर बागियों के सवाल.. क्या करेंगी सोनिया गांधी?

नई दिल्ली

कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव की पटकथा तैयार है। एक्टर भी चुन लिए गए हैं। लेकिन ऐन समय पर स्क्रीनप्ले में कुछ बदलाव हो गया है। इस बदलाव से पार्टी के कुछ ‘बड़े एक्टर’ नाराज हो गए हैं। दरअसल, इस बदलाव के बाद उन्हें पार्टी के पर्दे पर ‘मार-धाड़’ दिखाने का मौका नहीं मिल पाएगा। तो फिलहाल पार्टी में शूटिंग के पहले ही क्लाईमेक्स आ गया है। कुछ दिग्गज एक्टर सवाल दर सवाल दागने लगे हैं। चलिए हम आपके बताते हैं कि स्क्रीनप्ले में बदलाव क्या हुआ है।

कांग्रेस में मचा बवाल
दरअसल, कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद के चुनाव की घोषणा हो गई है। अक्टूबर में चुनाव होना है। राहुल गांधी अभी पार्टी अध्यक्ष पद के लिए हामी नहीं भरी है। ऐसे में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत का नाम इस पद की रेस में सबसे आगे है। पर ठहरिए, जी-23 वाले नेता शशि थरूर भी इस पद के लिए ताल ठोंकने की सोच रहे हैं। बागी गुट की तैयारी को देखते हुए कांग्रेस ने पटकथा में थोड़ा बदलाव कर दिया। बुधवार को कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण (सीईए) के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री ने मतदाता सूची को सार्वजनिक नहीं किए जाने वाला बयान दिया। ऐसे में पार्टी के भीतर और बाहर के लोगों को भी अध्यक्ष चुनाव में पारदर्शिता को लेकर सवाल भी उठा रहे हैं। मिस्त्री ने कहा कि पार्टी के अध्यक्ष पद के चुनाव से जुड़ी पूरी प्रक्रिया निष्पक्ष, पारदर्शी और कांग्रेस के संविधान के मुताबिक है। निर्वाचक मंडल (डेलीगेट) की सूची को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।

कांग्रेस के बागी बिफरे
पार्टी में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी, शशि थरूर और कार्ति चिदंबरम समेत कई नेता मतदाता सूची को सार्वजनिक किए जाने की मांग कर रहे हैं। बागी मनीष तिवारी ने कहा कि जब मतदाता सूची ही सार्वजनिक नहीं होगी तो कोई चुनाव लड़ने की कैसे सोचेगा। तिवारी ने ट्वीट कर कहा, मधुसूदन मिस्त्री जी से पूरे सम्मान से पूछना चाहता हूं कि निर्वाचन सूची के सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हुए बिना निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कैसे हो सकता है? निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव का आधार यही है कि प्रतिनिधियों के नाम और पते कांग्रेस पार्टी की वेबसाइट पर पारदर्शी तरीके से प्रकाशित होने चाहिए। कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने भी तिवारी की राय का समर्थन किया और कहा कि हर चुनाव के लिए अच्छी तरह से परिभाषित निर्वाचक मंडल होना चाहिए।

आनंद शर्मा ने मांगी थी प्रक्रिया की जानकारी
शर्मा ने गत 28 अगस्त को कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में पार्टी अध्यक्ष के चुनाव के लिए निर्वाचन सूची तैयार किए जाने की प्रक्रिया के बारे में जानना चाहा था। हालांकि बाद में पार्टी ने कहा था कि इस बैठक में किसी नेता ने कोई सवाल खड़ा नहीं किया। दूसरी तरफ, लोकसभा सदस्य तिवारी ने चुनाव से जुड़े निर्वाचक मंडल की सूची सार्वजनिक नहीं किये जाने को लेकर सवाल खड़े करते हुए बुधवार को कहा कि निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव के लिये जरूरी है कि यह सूची पार्टी की वेबसाइट पर डाली जाए।

पहले भी सार्वजनिक नहीं हुई है सूची
मिस्त्री का कहना है कि अतीत में हुए कांग्रेस अध्यक्ष के चुनावों के समय भी सूची सार्वजनिक नहीं की गई, उम्मीदवारों को मुहैया कराई गई। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हर किसी को सूची नहीं दे सकते। हमारी पार्टी के छह करोड़ सदस्य हैं। नौ हजार प्रतिनिधि हैं। सबको सूची नहीं दे सकते। जो चुनाव लड़ेगा, उसे सूची दी जाएगी।’ मिस्त्री के अनुसार, चुनाव के लिए निर्वाचन सूची तैयार करने का काम पूरा हो गया है। केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण चुनाव कराने के लिए पूरी तरह तैयार है।

के सी वेणुगोपाल ने सुझाया तरीका
मतदाता सूची पर मचे बवाल के बीच कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा कि पार्टी का कोई भी नेता किसी भी कांग्रेस कार्यालय में जाकर मतदाता सूची चेक कर सकता है। उन्होंने कहा कि यह एक आंतरिक प्रक्रिया है। ऐसे में इसे सभी को देखने के लिए पब्लिश नहीं किया जा सकता है।

जो चाहे वो लड़े अध्यक्ष का चुनाव-थरूर
तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस के सांसद थरूर ने बुधवार को कहा कि हिंदीभाषी क्षेत्र का कोई शख्स अगर चुनाव लड़ना चाहता है तो उसे जरूर खड़ा होना चाहिए। भारत में पैदा हुए सभी लोग भारतीय हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोई हिंदीभाषी क्षेत्र का नेता कांग्रेस अध्यक्ष बनना चाहता है तो उसे जरूर चुनाव लड़ना चाहिए।

ऐसे होता है कांग्रेस में चुनाव
बूथ से ब्लॉक और राज्य के अधिकारियों के चयन की प्रक्रिया। हर 8 पीसीसी पर एक केंद्रीय कांग्रेस कमिटी प्रतिनिधि या एआईसीसी डेलिगेट चुना जाता है। एआईसीसी और पीसीसी का अनुपात एक और आठ का होता है। पीसीसी डेलिगेट्स के वोटों से ही प्रदेश कांग्रेस कमिटी का अध्यक्ष और पार्टी अध्यक्ष चुना जाता है। जबकि एआईसीसी के प्रतिनिधियों के वोटिंग से कांग्रेस वर्किंग कमिटी चुनी जाती है। 2017 में हुए संगठन चुनावों के दौरान जहां पीसीसी की तादाद 9000 थी तो वहीं एआईसीसी डेलिगेट्स की संख्या 1500 थी। हर नया अध्यक्ष अपनी CWC बनाता है, जिसमें 12 सदस्य चुनकर आते हैं, जबकि 11 सदस्यों को वह मनोनीत करता है। लेकिन आमतौर पर CWC सदस्य अध्यक्ष ही चुनता है। इस कमिटी में अध्यक्ष के अलावा, संसद में पार्टी का नेता और अन्य सदस्य होते हैं। अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए किसी भी व्यक्ति को बतौर प्रस्तावक 10 पीसीसी डेलिगेट्स का समर्थन चाहिए होता है। चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद पार्टी अपना अधिवेशन बुलाती है, जहां अध्यक्ष पद का औपचारिक ऐलान होता है और CWC का चुनाव होता है।

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