चीन के खिलाफ हथियारों का जखीरा जुटा रहा ताइवान, यूक्रेन और भारत से ली सीख…

ताइपे

चीन के खिलाफ अमेरिका का साथ पाकर ताइवान के हौसले बढ़े हुए हैं। इसकी झलक ताइवान के 2023 के रक्षा बजट में देखी जा सकती है। इसमें 13.9 फीसदी का इजाफा हुआ है और अब यह 17.3 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। ताइवान अपने नए रक्षा बजट से अमेरिकी का हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम (HIMARS) M142 खरीदेगा। 2023 के लिए प्रस्तावित बजट से वह M109A6 ‘पलाडिन’ सेल्फ-प्रोपेल्ड हॉवित्जर के बदले अमेरिकी HIMARS खरीद रहा है। बुधवार को सदन भेजे गए नए डिफेंस बजट के मुताबिक सेना 18 के बजाय 29 HIMARS, एक मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम जो एक मिलिट्री ट्रक पर फिट हो सकता है, खरीदने की योजना बना रही है।

सेना 64 के बजाय अब 84 लॉन्ग-रेंज गाइडेड मिसाइल ATACMS खरीदना चाहती है। इस लिस्ट में 864 प्रिसिजन रॉकेट भी शामिल हैं जिन्हें HIMARS से इस्तेमाल किया जाएगा। HIMARS एक मोबाइल सिस्टम है जिसकी मारक क्षमता 300 किमी है। माना जा रहा है कि 11 HIMARS की पहली खेप 2024 तक ताइवान को मिल सकती है। ताइवान का यह फैसला मौजूदा चीनी खतरे से निपटने की तैयारियों के रूप में देखा जा रहा है। ताइवान की सेना का HIMARS खरीदने का फैसला, 40 ‘पलाडिन’ न खरीदने के फैसले के बाद आया है।

अमेरिकी ‘ब्रह्मास्त्र’ की खूबियां
M142 हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम (HIMARS) एक लाइट मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर है जिसे 1990 के दशक के अंत में अमेरिकी सेना के लिए विकसित किया गया था। इस रॉकेट सिस्टम को अमेरिकी सेना के M1140 ट्रक के ऊपर लगाया गया था। M142 में छह गाइडेड मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम रॉकेट, या दो प्रिसिजन स्ट्राइक मिसाइल या एक जमीन से जमीन पर मार करने वाली आर्मी टेक्टिकल मिसाइल लगी होती है। 7 मीटर लंबाई, 2.4 मीटर चौड़ाई और 3.2 मीटर ऊंचाई वाले इस सिस्टम को ऑपरेट करने के लिए तीन लोगों के क्रू की जरूरत पड़ती है।

अमेरिकी MQ-9B सीगार्जियन ड्रोन खरीदेगा ताइवान
अमेरिका रूस के खिलाफ यूक्रेन को भी HIMARS दे चुका है जिसने पुतिन की सेना को पीछे धकेलने में बड़ी भूमिका निभाई है। इस रॉकेट सिस्टम के एक यूनिट की कीमत 5.1 मिलियन डॉलर है। ताइवान ने अमेरिका के साथ 500 मिलियन डॉलर में 4 MQ-9B सीगार्जियन ड्रोन खरीदने का भी कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है। सेना को उम्मीद है कि MQ-9B ड्रोन से ताइवान की वायु सेना की निगरानी और युद्धक क्षमताओं में सुधार होगा। भारत भी अमेरिका से इस ड्रोन को खरीद रहा है। कुछ रिपोर्ट्स इस ड्रोन की कीमतों पर सवाल उठा रही हैं क्योंकि ये काफी महंगे हैं।

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