भोपाल
गंभीर अपराध के मामलों में अगर किसी को आजीवन कारावास की सजा होती है तो वह 14 साल बाद जेल से छूट जाता है। अब एमपी में शिवराज सरकार गंभीर अपराध करने वाले अपराधियों पर कोई रहम नहीं करेगी। सरकार आजीवान कारावास नीति में बदलाव करने जा रही है। नई नीति में पहले की तुलना में ज्यादा कठोर है। इसमें आतंकियों, रेपिस्ट और जहरीली शराब बनाने वाले लोगों पर कोई रहम नहीं होगी। गुरुवार को सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इसे लेकर मंत्रियों और अधिकारियों के साथ चर्चा की है। अभी एमपी में आजीवन कारावास से दंडित बंदियों की रिहाई के लिए वर्ष 2012 की नीति लागू है।
राज्य सरकार अब आजीवन कारावास नीति में बदलाव कर रही है। वहीं, राज्य सरकार ने अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा की अध्यक्षता में आजीवन कारावास की नीति पर विचार करने के लिए समिति बनाई है। इस समिति ने यूपी, महाराष्ट्र, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश सहित अन्य राज्यों की नीति का अध्ययन की है। इसके बाद एमपी के लिए नई नीति प्रस्तावित की है। गुरुवार को सीएम के साथ इस नीति पर चर्चा हुई है।
अंतिम सांस तक जेल में रहेंगे रेपिस्ट
वहीं, प्रदेश में नई नीति लागू हो जाने के बाद नाबालिग से रेप, आतंकी गतिविधियों में लिफ्त लोग और जहरीली शराब बनाने वाले लोगों पर कोई रहम नहीं होगी। आजीवन कारावासा की सजा के बाद अंतिम सांस तक लोगों को जेल में ही रहना पड़ेगा। इस नीति के अनुसार आजीवन कारावास की सजा पाए लोगों को कोई रियायत नहीं दी जाएगी। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मीटिंग के दौरान कहा कि आजीवन कारावास के ऐसे बंदी जो अच्छे व्यवहार के कारण समय से पूर्व रिहाई का लाभ लेते हैं, वे अलग श्रेणी के हैं। आतंकी और रेपिस्ट अलग श्रेणी के है। ऐसे बंदियों को समय के पूर्व रिहाई का लाभ नहीं मिलना चाहिए। ऐसे अपराध करने वाले लोग समाज के विरोधी हैं।
ऐसे हो सकती है रिहाई
हालांकि इस नीति में यह प्रावधान दिया गया है कि आजीवान कारावास के बंदियों की रिहाई तभी होगी, जब कलेक्टर, एसपी और जिला अभियोजक की अनुशंसा होगी। इसके बाद जेल मुख्यालय शासन से अनुशंसा करेगा और फिर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। प्रदेश में अभी अच्छे कार्य करने वाले बंदियों की साल में दो बार रिहाई होती। एक 26 जनवरी और दूसरा 15 अगस्त को होता है। नई नीति के बाद साल में चार बार रिहाई होगी। एक 26 जनवरी, दूसरा 15 अगस्त, तीसरा 14 अप्रैल और चौथा दो अक्टूबर है।गौरतलब है कि एमपी में कुल 131 जेल हैं। इन जेलों में 12 हजार से अधिक कैदी आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। ये कैदी अलग-अलग अपराध के मामलों में जेल में बंद हैं। वहीं, नई नीति को जल्द ही लागू करने के लिए राज्य सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है।