कोच्चि
पूरी बाजू की शर्ट, पारंपरिक लुंगी, अंगवस्त्रम् और ऊपर से गले में रुद्राक्ष की माला… केरल के एर्णाकुलम जिले में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आदि शंकराचार्य की जन्मस्थली कलाडी गांव पहुंचे तो उनकी वेशभूषा यहां की संस्कृति से मेल खा रही थी। पीएम की विशेषता ही यही है वह जहां भी जाते हैं वहां की संस्कृति और लोक परंपराओं का पूरा ख्याल रखते हैं। दरअसल प्रधानमंत्री गुरुवार को केरल के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे। यहां उन्होंने आदि शंकर जन्म भूमि क्षेत्रम में प्रार्थना की। प्रधानमंत्री मोदी ने मंदिर में 45 मिनट बिताए और पूजा-अर्चना की। इस दौरान मोदी ने खासतौर पर रुद्राक्ष की माला पहन रखी थी। यह केरल में पहला मौका है जब प्रधानमंत्री इस अंदाज में दिखे। इससे पहले पिछले साल नवंबर में प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर परिसर में आदि शंकर के फिर से बनाई गई समाधि स्थल पर उनकी 12 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया था। उस दौरान भी उन्हें रुद्राक्ष पहने देखा गया था।
दरअसल केरल की दो दिनों की यात्रा पर आए पीएम नरेंद्र मोदी की कलाडी स्थित मंदिर के पदाधिकारियों ने अगवानी की। इसके बाद प्रधानमंत्री ने मंदिर में 45 मिनट बिताये और पूजा अर्चना की। मोदी ने मंदिर में प्रार्थना की। इससे पहले, उन्होंने नेदुम्बासरी में कोचीन अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा के पास एक जनसभा को संबोधित करते हुए भारत के इन दार्शनिक संत के योगदान को याद किया।
आदि शंकर की जन्म स्थली पर मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आदि शंकर की धरोहर को श्री नारायण गुरु, चट्टम्पी स्वामीकल और अय्यंकाली जैसे कई संत और समाज सुधारक केरल से बाहर ले गए। आदि शंकर अपने ‘अद्वैत’ दर्शन को लेकर जाने जाते हैं। प्रधानमंत्री आदि शंकर की जन्म स्थली पर गए। यह स्थान पेरियार नदी के तट पर स्थित है।
केदारनाथ में रुद्राक्ष पहन पहुंचे थे मोदी
पिछले साल नवंबर में प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर परिसर में आदि शंकर के पुनर्निर्मित समाधि स्थल पर उनकी 12 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया था।
सिख वेशभूषा में रुद्राक्ष पहने थे मोदी
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 अप्रैल की शाम अपने आवास पर सिखों के एक डेलीगेशन से मुलाकात की थी। इस कार्यक्रम में पीएम पूरी तरीके से सिख वेशभूषा में नजर आए थे। इस दौरान भी प्रधानमंत्री सिर पर पगड़ी बांधे और गले में रुद्राक्ष की माला पहने हुए भी दिखे थे।
क्यों पहनते हैं रुद्राक्ष की माला
शिवपुराण के अनुसार: “यथा च दृश्यते लोके रुद्राक्ष: फलद: शुभ:। न तथा दृश्यते अन्या च मालिका परमेश्वरि:।यानी इस संपूर्ण विश्व में रुद्राक्ष की माला की तरह अन्य कोई दूसरी माला फलदायक नहीं है। इस माला में अपार शक्ति है। कहा जाता है कि इस माला को पहनने वाले की कभी हार नहीं होती और वह सफलता के शिखर पर जरूर पहुंचता है।
रुद्राक्ष की क्या है मान्यता
वैसे तो रुद्राक्ष एक फल की गुठली है। ऐसा माना जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर की आंखों के जलबिंदु से हुई है। इसे धारण करने से पॉजिटिव ऊर्जा मिलती है। रुद्राक्ष शिव का वरदान है, जो संसार के भौतिक दु:खों को दूर करने के लिए प्रभु शंकर ने प्रकट किया है।