इस्लामाबाद
पाकिस्तान के दिन इस समय ठीक नहीं चल रहे हैं। आर्थिक हालात, फिर राजनीतिक स्थितियां और अब बाढ़, सबने देश की तस्वीर को बहुत जटिल कर दिया है। इन सबके बीच अब देश में शहबाज सरकार के आलोचक, उस पर उंगली उठाने से नहीं चूक रहे हैं। उनका कहना है कि देश की सरकार विदेश नीति के मामले में अंधों की तरह आगे बढ़ रही है तो वहीं पड़ोसी मुल्क भारत में एक नई शुरुआत हो रही है। उन्होंने भारत में लगने वाले उस सेमीकंडक्टर प्लांट का जिक्र किया है जिसे इजरायल और यूएई की कंपनी एक भारतीय कंपनी के साथ मिलकर लगा रही है।
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थकों ने अब शहबाज शरीफ और उनकी सरकार को आर्थिक मोर्चे पर घेरना शुरू कर दिया है। इमरान समर्थकों की मानें तो पाक सरकार की विदेश नीतियां अंधों की तरह अपने साथियों पर भरोसा कर रही है। जबकि पड़ोसी मुल्क भारत को अब इसका फायदा मिलने लगा है। भारत के शहर मैसूर में भारत, इजरायल और यूएई मिलकर सेमी-कंडक्टर्स का मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने की तैयारी कर चुके हैं।
इजरायल जो एक यहूदी आबादी देश है और यूएई एक मुसलमान आबादी वाला देश और ये दोनों देश एक हिंदू आबादी वाले देश के साथ मिलकर 3 बिलियन डॉलर यानी 29,000 करोड़ का निवेश करने वाले हैं। इजरायल की आईएसएमसी ने इजरायली टॉवर सेमीकंडक्टर और अबुधाबी स्थित नेक्स्ट ऑर्बिट वेंचर्स के साथ मिलकर कर्नाटक की सरकार के साथ एमओयू साइन किया है। इसके तहत सेमीकंडक्टर चिप का प्लांट लगाया जाएगा। इस प्लांट के लिए मैसूर में 150 एकड़ की जमीन भी तय हो चुकी है। कंपनी की मानें तो आज की स्थिति ऐसी है जिसमें भारत की एक बड़ी भूमिका होने वाली है। कंपनी ने भारत के उस माहौल की तारीफ की है जिसने निवेश को आसान बना दिया है।
सबसे बड़ी वर्कशॉप होगा भारत
फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट की मानें तो जल्द ही भारत एशिया की उस वर्कशॉप में बदल जाएगा जिस पर दुनिया की नजरें होंगी। रिपोर्ट में कई और कंपनियों का जिक्र किया गया है जिनकी फैक्ट्रियां अब भारत में सबसे महत्वपूर्ण हो गई हैं। जल्द ही एप्पल भी भारत में अपना आईफोन बनाना शुरू कर देगा। अगर ऐसा होता है तो फिर चीन से कई सप्लाई चेन भारत आ जाएंगी।
भारत का मकसद चिप मार्केट में नंबर वन होना है। पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं के बीच जारी तनाव का सीधा फायदा भारत को मिलने वाला है। कोविड-19 और चीन के लॉकडाउन के बाद चिप सप्लाई में काफी रुकावट आई है और सरकारों को भारत के तौर पर बेहतरीन विकल्प मिला है। केंद्र सरकार की तरफ से मिलने वाली सब्सिडी के अलावा भारत का माहौल अब बिजनसे फ्रेंडली भी होता जा रहा है। इसकी वजह से कई देश अब इस पर नजरें गड़ाए हुए हैं।
पाकिस्तान के मुश्किल हालात
अब बात करते हैं पाकिस्तान की और मुसलमान देश यूएई उसका अहम साथी रहा है। साल 2020 में अब्राहम समझौता साइन हुआ तो यूएई ने इजरायल के साथ एतिहासिक ट्रेड डील की। इसका नतीजा हुआ कि 10 बिलियन डॉलर के साथ दोनों देश हर साल बिजनेस करने पर राजी हो गए। यूएई अरब वर्ल्ड का वह पहला देश था जिसने इस समझौते के बाद इजरायल के साथ बिजनेस करने पर रजामंदी जताई। यूएई और कतर ने पिछले दिनों पाकिस्तान में 1 बिलियन डॉलर का निवेश करने का ऐलान किया है।
पाकिस्तान के अधिकारियों की तरफ से कहा गया है कि उनका लक्ष्य मुसलमान देशों से करीब 30 बिलियन डॉलर का निवेश हासिल करना है। निवेश के ऐलान तो हो रहे हैं लेकिन राजनीतिक अस्थिरता के चलते कब योजना सफल होगी कोई नहीं जानता। पाकिस्तान को इस समय आर्थिक मदद की सख्त जरूरत है। ऐसे में निवेश प्लान के जल्द से जल्द अपने अंजाम पर पहुंचना बहुत जरूरी है।
आलोचकों की मानें तो यूएई और सऊदी अरब जो पाकिस्तान के सबसे खास दोस्त होने का दावा करते हैं, जमीनी स्तर पर क्या कर रहे हैं, कुछ पता नहीं। दोनों देश भारत में निवेश को तुरंत तैयार हो जाते हैं लेकिन पाकिस्तान की बात जब आती है तो वो अपना मन टटोलने लगते हैं। ऐलान तो होते हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आती है।