सागर,
इसी साल अप्रैल में एक फिल्म आई थी केजीएफ-2. इस फिल्म में हीरो का नाम था रॉकी भाई. सागर जिले के रहने वाले एक नौजवान को रॉकी भाई इतना पसंद आया कि उसने खुद भी रॉकी भाई जैसा डॉन बनने की ठान ली. इसके बाद उसने महज कुछ दिनों में ही 4 कत्ल कर डाले. खास बात ये थी कि मरने वाले सभी सुरक्षा गार्ड थे. इसके आगे वो पुलिसवालों का अपना शिकार बनाना चाहता था. मगर शुक्र है कि इससे पहले वो सीरियल किलर पुलिस के हत्थे चढ़ गया. पढ़ें इस सीरियल किलर की पूरी दास्तान..
सीसीटीवी में दर्ज है कत्ल की वारदात
जो सीवीटीवी फुटेज सागर पुलिस के हाथ लगी है. उसकी एक तस्वीर में साफ देखा जा सकता है कि कैसे वो सीरियल किलर एक फैक्ट्री में सो रहे चौकीदार पर हमला करता है और उसे बेरहमी से मौत की नींद सुला देता है. ऐसे ही उसने कम से कम चार क़त्ल अंजाम दिए. हालांकि उसने ज्यादा से ज्यादा कितने कत्ल किए फिलहाल ये खुद पुलिस भी नहीं जानती. पूछताछ के दौरान उस कातिल ने एक-एक कर चार लोगों के कत्ल की बात फिलहाल कबूल कर ली है. एक और दो मई की रात को भोपाल में सीरियल किलर के हाथों हुआ कत्ल शायद आखिरी कत्ल था. क्योंकि इसके बाद वो कातिल पकड़ा गया.
19 साल का शिव प्रसाद धुर्वे निकला सीरियल किलर
9 साल के देश के इस सबसे नए-नए और ताजा ताजा सीरियल किलर का नाम शिव प्रसाद धुर्वे है. वो एमपी के सागर जिले का ही रहनेवाला है. धुर्वे आठवीं पास है, वो पहले पुणे और गोवा में भी छोटी-मोटी नौकरी कर चुका है. ठीक-ठाक अंग्रेजी बोल लेता है. अभी बरसात शुरू होने से पहले ही वो वापस सागर आया था. सागर आने तक भी सबकुछ ठीक था. मगर फिर तभी इसी साल अपैल में फिल्म केजीएफ-2 रिलीज हुई. बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर साबित हुई इस फिल्म को शिव प्रसाद ने भी देखी और बस यहीं से उसकी पूरी सोच ही बदल गई. केजीएफ टू के रॉकी भाई से वो इतना प्रभावित हुआ कि उसने भी रॉकी भाई जैसा ही डॉन बनने की ठान ली. डॉन बनने के बाद वो अपना गैंग बनाना चाहता था. रॉकी भाई जैसा ही. मगर उसके लिए उसे पैसे चाहिेए थे और पैसे से भी पहले नाम. ठीक रॉकी भाई जैसा ही.
ड्यूटी पर सोने वाले गार्ड का कत्ल
इसी के बाद उसने पहले नाम कमाने और खुद को मशहूर करने का फैसला किया. जुर्म की दुनिया में अपनी एक अलग जगह बनाने के लिए उसने कई तरीकों पर गौर किया. फिर फैसला किया कि वो ऐसा काम करेगा जिससे ना सिर्फ लोग उससे डरेंगे बल्कि पुलिस भी परेशान हो उठेगी. इसी के बाद उसने तय किया कि वो उन चौकीदारों या सिक्योरिटी गार्ड को मारेगा, जो ड्यूटी पर सो रहे होते हैं. दरअसल, एक बार एक चौकीदार से बातचीत करते हुए उसने कहा था कि उसे वो गार्ड बिलकुल पसंद नहीं है, जो अपनी ड्यूटी के वक्त सो रहे होते हैं. फैसला हो चुका था. अब उस पर अमल की बारी थी.
अलग-अलग इलाकों में 3 कत्ल
27, 29 और 30 अगस्त की रात शिव प्रसाद ने सागर जिले के अलग-अलग इलाकों में तीन चौकीदारों की हत्या कर दी. तीनों के सर पर डंडे पत्थर या किसी वजनी चीज से वार करके. आखिरी कत्ल के बाद चूंकि सागर पुलिस हरकत में आ चुकी थी, लिहाजा 31 अगस्त की सुबह शिव प्रसाद सागर से भोपाल चला गया। पुलिस को चकमा देने के लिए. मगर उसने एक गलती की. 29 अगस्त को जिस चौकीदार शंभू शरण की उसने हत्या की थी, उस शंभू का मोबाइल वो अपने साथ ले गया था. हालांकि मोबाइल का सिम निकाल कर वो फेंक चुका था. उसे अंदाजा ही नहीं था कि उस मोबाइल में कोई भी सिम डाल कर उसे चालू करने पर उसका लोकेशन पता चल सकता है. भोपाल पहुंचने के बाद उसने शंभू के मोबाइल में नई सिम डाली. शाम को उसने जैसे ही फोन ऑन किया, सागर पुलिस को शंभू के मोबाइल का लोकेशन पता चल गया.
भोपाल से पकड़ा गया सीरियल किलर
शंभू के कत्ल के बाद पुलिस उसके मोबाइल को सर्विलांस पर रख चुकी थी. सीरियल किलर का लोकेशन भोपाल में पता चलते ही सागर पुलिस की एक टीम फौरन भोपाल रवाना होती है. लेकिन भोपाल में फोन का लोकेशन लगातार बदल रहा था. उधर, सागर पुलिस भी देर रात भोपाल पहुंची थी. इसी दौरान शिव प्रसाद को एक और कत्ल करने का मौका मिल गया. सीसीटीवी में कैद ये तस्वीर शिव प्रसाद के हाथों हुए उसी चौथे कत्ल की है. भोपाल में इस चौथे और आखिरी कत्ल के बाद शिव प्रसाद बेखबर बस स्टैंड की तरफ बढ ही रहा था कि मोबाइल की लोकेशन और फिर उसके स्केच और हुलिए को देखते हुए सागर पुलिस को यकीन हो गया कि यही सागर का सीरियल किलर है. पुलिस ने फौरन उसे दबोच लिया. आनन-फानन में उसे गाड़ी में बिठाया गया और सूरज निकलने से पहले ही पुलिस की टीम उसे अपने साथ लेकर सागर की तरफ चल पड़ी.
कातिल ने सुनाई हैरान करने वाली कहानी
सफर लंबा था. कहानी अधूरी. लिहाजा पुलिस ने रास्ते में ही शिव प्रसाद से पूछताछ शुरू कर दी. जब शिव प्रसाद ने पूरी कहानी सुनाई तो सागर पुलिस भी चौंक उठी. पूरी कहानी कुछ यूं है. केजीएफ का रॉकी भाई बनने के लिए शिव प्रसाद ने शुरुआती काम तो कर लिया था, पांच दिन में चार खून करने के बाद वो मीडिया में सुर्खियों में था. पुलिस हैरान परेशान, लेकिन असली कहानी अब इसके आगे शुरू होने जा रही थी.
पुलिसवालों को मारने की साजिश
यहां से अब शिव प्रसाद चौकीदारों को नहीं, बल्कि सीधे पुलिसवालों को ही मारने की प्लानिंग बना चुका था. बस इसके लिए उसे पैसों की जरूरत थी. ताकि वो हथियार खरीद सके. चौकीदारों के मारने के लिए उसने किसी हथियार का इस्तेमाल नहीं किया था. बल्कि जो मौके पर मिल जाता, वो उसी से हमला कर देता. लेकिन पुलिसवालों को मारने के लिए उसने बंदूक की जरूरत थी. उसने पूछताछ में बताया कि एक बार बंदूक हाथ आने के बाद ठीक चौकीदारों की तरह ही वो सिलसिलेवार पुलिसवालों को मौत के घाट उतारता. इससे उसका नाम बड़ा हो जाता. ठीक रॉकी भाई की तरह.
पुणे में भी किया था कत्ल
फिलहाल शिव प्रसाद सागर पुलिस की कस्टडी में है. पुलिस उससे पूछताछ कर रही है. पुलिस की मानें तो वो मानसिक रूप से भी पूरी तरह से फिट है. बस ये सबकुछ उसने सिर्फ और सिर्फ नाम कमाने के लिए किया. हालांकि खबर ये भी है कि उसने पुणे में भी कत्ल किया है. गोवा की उसकी रिपोर्ट भी खंगाली जा रही है. पुलिस को शक है कि उसके हाथों मारे जानेवालों की गिनती बढ़ भी सकती है.
शिवप्रसाद ने एक के बाद एक ऐसे किए थे कत्ल
मध्य प्रदेश के सागर जिले में कातिल शिवप्रसाद ने एक-एक कर, एक ही तरीके से एक ही जैसे लोगों के मर्डर किए. इसी बात ने सागर जिले को अचानक सुर्खियों में ला दिया है. इनमें भी पिछले तीन कत्ल तो लगातार तीन दिनों के दरम्यान हुए हैं.
2-3 मई 2022
सागर के मकरोनिया थाना इलाके में रेलवे के ओवर ब्रिज के नीचे इस रात को एक भयानक वारदात हुई. अंडर कंस्ट्रक्शन ओवरब्रिज की देखभाल के लिए यहां तैनात एक चौकीदार का किसी ने खौफनाक तरीके से सिर पर डंडों से वार कर कत्ल कर दिया था. सुबह जब लोगों की नजर इस चौकीदार की लाश पर पड़ी तो पूरे इलाके में सनसनी फैल गई. आनन-फानन में मकरोनिया पुलिस मौका-ए-वारदात पर पहुंची. लाश को बरामद कर पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवाया. तफ्तीश शुरू हो गई. लेकिन एक-एक कर चार महीने गुज़र गए, मगर क़ातिल का कोई पता नहीं चला.
27-28 अगस्त 2022
पिछली वारदात को लोग धीरे-धीरे भुलाने लगे थे. लेकिन करीब 16 हफ्तों के बाद कातिल ने एक बार फिर दस्तक दी. इस बार वारदात कैंट इलाके के भैंसा गांव में हुई थी. यहां ट्रकों के एक गैरेज में चौकीदार का काम करनेवाले एक शख्स का ठीक उसी तरीके से सिर कुचल कर कत्ल किया गया था, जिस तरह चार महीने पहले मकरोनिया में सोते हुए चौकीदार का हुआ था. फर्क बस इतना था कि वहां कातिल ने हथियार के तौर पर डंडे का इस्तेमाल किया था और यहां चौकीदार का कत्ल बडे से हथौडे से सिर कुचल कर किया गया था. और ये हथौडा भी कातिल ने उसी गैरेज से उठा लिया था, जहां चौकीदार तैनात था और जहां उसकी हत्या हुई थी.
29-30 अगस्त 2022
चार महीने के बाद शहर में एकाएक एक ही तरीके से हुए दूसरे कत्ल की वारदात ने पुलिस महकमे में हलचल पैदा कर दी थी. हालांकि शहर के लोग अभी भी कत्ल के किसी खास पैटर्न से अंजान थे. लेकिन अगले ही दिन शहर में फिर से एक ऐसी वारदात हुई, जिसने सागर में रहनेवाले आम लोगों को भी खौफ से भर दिया. 29 और 30 अगस्त की दरम्यानी रात को शहर के आर्ट एंड कॉमर्स कॉलेज परिसर में तैनात चौकीदार का कत्ल हो चुका था. चौकीदार कॉलेज परिसर में बनी कैंटिन में सो रहा था और कातिल ने उसे ठीक पहले दो कत्ल की तरह सोए हुए हालत में ही निशाना बनाया था.
हथियार के बिना कत्ल
एक खास बात ये थी कि इस बार कातिल ने अपने साथ लाए गए किसी हथियार से उसकी जान नहीं ली थी, बल्कि उसका कत्ल एक भारी पत्थर से कुचल कर किया गया था. आधी रात को ही जब कॉलेज में तैनात दूसरे चौकीदार की नजर अपने साथी की लाश पर पडी तो उसके होश फाख्ता हो गए. उसने फौरन आस-पास के लोगों को जगाया और पुलिस को फोन किया. पुलिस भी मुंह अंधेरे मौका-ए-वारदात पर पहुंची और लाश को बरामद कर पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवाया गया. लेकिन जिस तरह से कातिल ने इस शख्स की जान ली थी, वो दिमाग़ घुमाने वाला था. लाश की हालत इतनी बुरी थी कि उसे देखने के लिए भी कलेजा चाहिए था. यानी अब चार महीने में तीन और पिछले दो दिनों में दो चौकीदारों का कत्ल किया जा चुका था.
30-31 अगस्त 2022
अभी तफ्तीश चालू थी. पुलिस चौकीदारों की जान लेनेवाले कातिल की तलाश में जर्रा-जर्रा छानना शुरू कर चुकी थी. लेकिन कातिल को अभी और घात करना था और ये घात हुआ अगले ही दिन यानी 30 और 31 अगस्त की रात को. इस बार वारदात शहर के बिल्कुल एक दूसरे कोने में हुई थी. मगर रात के अंधेरे में इस बार भी कत्ल एक चौकीदार का ही हुआ था. कातिल ने शहर के मोतीनगर थान इलाके के रतौना गांव में एक चौकीदार को अपना शिकार बनाया था. ये चौकीदार रतौना में बन रही एक अंडर कंस्टक्शन बिलडिंग में तैनात था और जब उस पर हमला किया गया, वो गहरी नींद में सो रहा था.
नहीं बच सकी जान
चौंकानेवाली बात ये थी कि कातिल ने उसे भी अपने साथ लाए गए किसी खास हथियार से निशाना नहीं बनाया था, बल्कि उस पर मौका-ए-वारदात पर पड़े एक फावड़े से हमला किया गया था. हालांकि दूसरों मामलों से अलग इस केस में कातिल के वार से फौरन इस चौकीदार जान नहीं गई, बल्कि सिर पर हुए जानलेवा हमले से उसकी नींद खुल गई और वो किसी तरह उठ खड़ा हुआ. उसे देख कर हमलावर तो भाग निकला और जख्मी चौकीदार ने किसी तरह लोगों से मदद मांगी. चौकीदार को अस्पताल ले जाया गया. चूंकि हालत नाजुक थी, सागर के अस्पताल से उसे राजधानी भोपाल रेफर किया गया, लेकिन उसकी जान नहीं बचाई जा सकी.
मरनेवालों के बीच ये था कॉमन एलिमेंट
इस तरह पिछले तीन दिनों में तीन और चार महीने में कुल चार चौकीदारों का रहस्यमयी तरीके से कत्ल हो चुका था. मरनेवालों में 60 साल का उत्तम रजक, 60 साल का ही कल्याण लोधी, 55 साल का शंभू शरण शर्मा और 46 साल का मंगल अहिरवार शामिल था. वैसे तो मरनेवाले इन चारों लोगों का एक दूसरे से कोई रिश्ता नहीं था और ना ही इनके घर परिवार वाले एक-दूसरे को जानते थे लेकिन जो चीज़ इन इन तमाम वारदातों को एक दूसरे से जोड़ रही थी. वो थी इन हत्याओं को एक बेहद अजीब, चौंकानेवाले और डरावने सिलसिले में तब्दील कर दिया था.